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जातीय जनगणना पर सियासत : बीजेपी-जेडीयू ने लालू को बताया मानसिक रूप से अस्वस्थ

जातीय जनगणना को लेकर आरजेडी प्रमुख लालू यादव द्वारा दिए गए बयान पर सत्ताधारी बीजेपी-जेडीयू ने हमला बोला है. बीजेपी का कहना है कि लालू यादव मानसिक रूप से अस्वस्थ हो चुके हैं, यही कारण है कि अब वे उटपटांग बात कर रहे हैं. पढ़ें पूरी खबर..

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Published : Aug 12, 2021, 10:47 PM IST

पटना : बिहार में जातीय जनगणना ( Caste Census ) पर सियासत जारी है. आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव ( Lalu Prasad Yadav ) ने तो यहां तक कह दिया है कि 'अगर 2021 जनगणना में जातियों की गणना नहीं होगी तो बिहार के अलावा देश के सभी पिछड़े-अतिपिछड़ों के साथ दलित और अल्पसंख्यक भी गणना का बहिष्कार कर सकते हैं.'

लालू प्रसाद यादव के इस बयान पर बीजेपी और जेडीयू ( BJP - JDU ) ने निशाना साधा है. बीजेपी प्रवक्ता विनोद शर्मा ने कहा कि उटपटांग बोलने के लिए ही लालू प्रसाद यादव जाने जाते हैं. उन्होंने पिछड़ा-अति पिछड़ा की राजनीति कर परिवार को ही संपोषित किया है और लोग यह जान चुके हैं.

जातीय जनगणना पर सियासत

''लालू प्रसाद यादव मानसिक रूप से भी अस्वस्थ हो चुके हैं. पिछड़ा और अति पिछड़ा की ही राजनीति करते रहे हैं और यह सब कुछ उन्होंने अपने परिवार के लिए किया है.'' - विनोद शर्मा, प्रवक्ता, बीजेपी

वहीं, जेडीयू विधायक विनय कुमार का कहना है कि आरजेडी प्रमुख ने नौटंकी के अलावा आज तक कुछ नहीं किया है. उन्होंने कहा कि, इस मामले में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा है. अभी जवाब नहीं आया है. लालू यादव को थोड़ा इंतजार करना चाहिए.

2 अगस्त को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पीएम नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी थी, जिसमें जातीय जनगणना को लेकर सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को मिलने का समय मांगा है. लेकिन अब तक पीएम मोदी की तरफ से कोई जवाब नहीं आया है.

जनता दरबार के बाद सोमवार को मीडिया से बात करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा था कि, 'पीएम को चिट्ठी लिखी है, लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं आया है. इस मसले को गम्भीरता से लेना होगा. पिछली जातीय जनगणना 1931 में हुई थी. उसके बाद कभी जातीय जनगणना नहीं हुई है, जबकि अभी के दौर में ये कराना बेहद जरूरी है.'

'जातीय जनगणना कराने से कई फायदे हैं. इससे यह पता चल जाएगा कि कौन सी जाति की क्या स्थिति है? उसके विकास के लिए काम किया जा सकता है. अभी भी समाज में कई ऐसे तबके हैं, जो विकास से दूर हैं. यह जातीय जनगणना में पता चल जाएगा.' - नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री, बिहार

ये भी पढ़ें- जातीय जनगणना पर शाहनवाज हुसैन- 'मामला CM-PM के बीच, लिहाजा इंतजार करना चाहिए'

इससे पहले, आरजेडी प्रमुख लालू यादव ने बुधवार को ट्वीट कर कहा था कि अगर 2021 जनगणना में जातियों की गणना नहीं होगी तो बिहार के अलावा देश के सभी पिछड़े और अतिपिछड़ों के साथ दलित और अल्पसंख्यक भी गणना का बहिष्कार कर सकते हैं. लालू ने कहा, 'जनगणना के जिन आंकड़ों से देश की बहुसंख्यक आबादी का भला नहीं होता हो तो फिर गणना के आंकड़ों का क्या हम अचार डालेंगे?'

बता दें कि बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और लालू के छोटे पुत्र तेजस्वी प्रसाद यादव की अगुवाई में विपक्षी दलों के एक शिष्टमंडल ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से 30 जुलाई को मुलाकत की थी. इस दौरान यह सुझाव दिया गया था कि विधानसभा का एक शिष्टमंडल, जिसमें उनके साथ सभी दलों के सदस्य शामिल रहेंगे. मुख्यमंत्री के नेतृत्व में प्रधानमंत्री से समय लेकर उनके समक्ष अपनी माग रखेंगे. अगर केंद्र सरकार ऐसा नहीं करती तो राज्य सरकार सभी जातियों की जनगणना करे जैसे, कर्नाटक ने कुछ समय पहले किया था.

ये भी पढ़ें- संसद में हंगामा : चिट्ठी में छलका मार्शलों का दर्द, सांसद ने की गला घोंटने की कोशिश

नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने 9 अगस्त को कहा था कि, उनका लिखा पत्र प्रधानमंत्री कार्यालय को मिल चुका है. अभी तक इसका जवाब नहीं आया है. हमलोग चाहते हैं कि जातीय जनगणना हो जाए, यह केंद्र सरकार पर निर्भर है, यह हम लोगों की पुरानी मांग है, हम पहले भी इस संबंध में अपनी बातों को रखते रहे हैं.

पटना : बिहार में जातीय जनगणना ( Caste Census ) पर सियासत जारी है. आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव ( Lalu Prasad Yadav ) ने तो यहां तक कह दिया है कि 'अगर 2021 जनगणना में जातियों की गणना नहीं होगी तो बिहार के अलावा देश के सभी पिछड़े-अतिपिछड़ों के साथ दलित और अल्पसंख्यक भी गणना का बहिष्कार कर सकते हैं.'

लालू प्रसाद यादव के इस बयान पर बीजेपी और जेडीयू ( BJP - JDU ) ने निशाना साधा है. बीजेपी प्रवक्ता विनोद शर्मा ने कहा कि उटपटांग बोलने के लिए ही लालू प्रसाद यादव जाने जाते हैं. उन्होंने पिछड़ा-अति पिछड़ा की राजनीति कर परिवार को ही संपोषित किया है और लोग यह जान चुके हैं.

जातीय जनगणना पर सियासत

''लालू प्रसाद यादव मानसिक रूप से भी अस्वस्थ हो चुके हैं. पिछड़ा और अति पिछड़ा की ही राजनीति करते रहे हैं और यह सब कुछ उन्होंने अपने परिवार के लिए किया है.'' - विनोद शर्मा, प्रवक्ता, बीजेपी

वहीं, जेडीयू विधायक विनय कुमार का कहना है कि आरजेडी प्रमुख ने नौटंकी के अलावा आज तक कुछ नहीं किया है. उन्होंने कहा कि, इस मामले में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा है. अभी जवाब नहीं आया है. लालू यादव को थोड़ा इंतजार करना चाहिए.

2 अगस्त को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पीएम नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी थी, जिसमें जातीय जनगणना को लेकर सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को मिलने का समय मांगा है. लेकिन अब तक पीएम मोदी की तरफ से कोई जवाब नहीं आया है.

जनता दरबार के बाद सोमवार को मीडिया से बात करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा था कि, 'पीएम को चिट्ठी लिखी है, लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं आया है. इस मसले को गम्भीरता से लेना होगा. पिछली जातीय जनगणना 1931 में हुई थी. उसके बाद कभी जातीय जनगणना नहीं हुई है, जबकि अभी के दौर में ये कराना बेहद जरूरी है.'

'जातीय जनगणना कराने से कई फायदे हैं. इससे यह पता चल जाएगा कि कौन सी जाति की क्या स्थिति है? उसके विकास के लिए काम किया जा सकता है. अभी भी समाज में कई ऐसे तबके हैं, जो विकास से दूर हैं. यह जातीय जनगणना में पता चल जाएगा.' - नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री, बिहार

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इससे पहले, आरजेडी प्रमुख लालू यादव ने बुधवार को ट्वीट कर कहा था कि अगर 2021 जनगणना में जातियों की गणना नहीं होगी तो बिहार के अलावा देश के सभी पिछड़े और अतिपिछड़ों के साथ दलित और अल्पसंख्यक भी गणना का बहिष्कार कर सकते हैं. लालू ने कहा, 'जनगणना के जिन आंकड़ों से देश की बहुसंख्यक आबादी का भला नहीं होता हो तो फिर गणना के आंकड़ों का क्या हम अचार डालेंगे?'

बता दें कि बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और लालू के छोटे पुत्र तेजस्वी प्रसाद यादव की अगुवाई में विपक्षी दलों के एक शिष्टमंडल ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से 30 जुलाई को मुलाकत की थी. इस दौरान यह सुझाव दिया गया था कि विधानसभा का एक शिष्टमंडल, जिसमें उनके साथ सभी दलों के सदस्य शामिल रहेंगे. मुख्यमंत्री के नेतृत्व में प्रधानमंत्री से समय लेकर उनके समक्ष अपनी माग रखेंगे. अगर केंद्र सरकार ऐसा नहीं करती तो राज्य सरकार सभी जातियों की जनगणना करे जैसे, कर्नाटक ने कुछ समय पहले किया था.

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नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने 9 अगस्त को कहा था कि, उनका लिखा पत्र प्रधानमंत्री कार्यालय को मिल चुका है. अभी तक इसका जवाब नहीं आया है. हमलोग चाहते हैं कि जातीय जनगणना हो जाए, यह केंद्र सरकार पर निर्भर है, यह हम लोगों की पुरानी मांग है, हम पहले भी इस संबंध में अपनी बातों को रखते रहे हैं.

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