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लखीमपुर खीरी घटना के बाद डैमेज कंट्रोल में जुटी भाजपा, नेताओं को जारी किए सख्त निर्देश

लखीमपुर खीरी में रविवार को किसानों के प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा की घटना को विपक्षी पार्टियों ने जिस तरह से जोर-शोर से उठाया, उसे देखते हुए ऐसा लग रहा था कि उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले हुई यह घटना, योगी सरकार के लिए बहुत ज्यादा नुकसानदेह होगी, लेकिन रातों-रात प्रशासन और प्रदर्शनकारियों के बीच समझौता और मुआवजे के एलान ने उत्तर प्रदेश को हिंसा की आग में झुलसने से रोक लिया. आनन-फानन में केंद्र के निर्देश पर बनाई गई इस रणनीति में, क्या 'डैमेज कंट्रोल' कर लिया गया है? या योगी सरकार को इसका खामियाजा आगे भी भुगतना पड़ सकता है? आइए जानते हैं वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना की इस रिपोर्ट में...

लखीमपुर खीरी घटना
लखीमपुर खीरी घटना
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Published : Oct 4, 2021, 7:34 PM IST

Updated : Oct 4, 2021, 8:58 PM IST

नई दिल्ली : लखीमपुर खीरी घटना में 24 घंटे के अंदर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने, किसानों के ही नेता राकेश टिकैत को बीच में लाकर, और पुलिस प्रशासन और आंदोलनरत किसानों के बीच समझौता और मुआवजे की घोषणा कर, इस हिंसात्मक विरोध को बढ़ने से काफी हद तक, नियंत्रण में तो कर लिया. लेकिन कहीं यह यूपी चुनाव में भाजपा को भारी न पड़ जाए, इस बात को लेकर पार्टी के अंदर, खासा बवाल मचा है.

सूत्रों की मानें तो इस घटना पर भाजपा आलाकमान खासा नाराज है और डैमेज कंट्रोल करने के लिए भाजपा जल्द ही कोई बड़ा कदम भी उठा सकती है, ऐसे संकेत मिल रहे हैं.

प्रदर्शनकारियों में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्रा और उनके पुत्र आशीष मिश्रा को लेकर खासा नाराजगी है, और पार्टी को यह अंदेशा है कि आने वाले दिनों में यह घटना पार्टी के लिए सिरदर्द बन सकती है. इतना ही नहीं राज्य के किसान बहुल इलाके के पार्टी के नेता भी चुनाव को देखते हुए दोषियों के खिलाफ (चाहे वो पार्टी के नेता क्यों न हो) दबी जुबान में ही सही पार्टी पर और कारवाई करने का दबाव बना रहे हैं.

हमेशा से बागी सुर में रहने वाले भाजपा सांसद वरुण गांधी ने तो पत्र लिखकर आने ही मुख्यमंत्री से इस घटना की निंदा की है और दोषियों के खिलाफ सख्त कारवाई की मांग तक कर डाली है, और ये शुरुआत दबी जुबान में राज्य के कई और नेताओं ने भी की है.

पार्टी के विश्वस्त सूत्र के अनुसार, इस घटना के होते ही पार्टी ने अपने तमाम बड़े नेताओं को इस पर चुप्पी साधने की हिदायत दी है. राष्ट्रीय नेताओं को इस पर कुछ भी टिप्पणी करने से बचने के निर्देश दिए गए हैं. इसकी वजह यह है कि भाजपा इस मामले को राष्ट्रीय मुद्दा नहीं बनने देना चाह रही है.

हालांकि, उत्तर प्रदेश के कुछ नेताओं को पार्टी के बचाव में मीडिया के सामने संतुलित बयान देने को कहा गया है, लेकिन किसानों के खिलाफ बहुत ज्यादा जहर उगलने पर साफ मनाही की गई है. यदि कोई नेता किसानों के खिलाफ किसी भी तरह की कठोर भाषा का प्रयोग करता है तो उसके खिलाफ पार्टी अनुशासनात्मक कार्रवाई भी कर सकती है.

खालिस्तानी ऐंगल ठंठने की कोशिश

उत्तर प्रदेश और केंद्र, दोनों में ही सत्ताधारी पार्टी भाजपा को यह भलीभांति मालूम है कि यह घटना अब आने वाले दिनों में राज्य के चुनाव में चुनावी मुद्दा बनने जा रही है, इसलिए पार्टी इस पर फूंक-फूंक कर कदम रख रही है. भाजपा के कुछ नेताओं ने कैमरा पर न बोलने की शर्त पर यहां तक कहा है कि यह घटना खालिस्तानियों के इशारे पर की गई है और भाजपा लखीमपुर खीरी हिंसा में आतंकी ग्रुप का हाथ भी देख रही है.

2017 में पंजाब और यूपी पुलिस के संयुक्त ऑपरेशन में भी यह बात सामने आई थी कि बब्बर खालसा इन इलाकों में सक्रिय है और रविवार की घटना के वीडियो सामने आने के बाद भाजपा को ऐसा लगता है कि इस घटना में इन लोगों का हाथ हो सकता है. यही वजह है कि भाजपा के नेता दबी जुबान में ही सही, मगर उपद्रवियों के कपड़ों में छपे बब्बर खालसा के चित्र को भी मुद्दा बना रहे हैं और जांच की दिशा इस ओर भी मोड़ने की अपील कर रहे हैं.

कहा जाए तो लखीमपुर खीरी की घटना ने तमाम विपक्षी पार्टियों को भाजपा के खिलाफ लामबंद होकर आरोप लगाने का अच्छा खासा मुद्दा दे दिया है. ऐसे में जब इनमें से कई पार्टियां यूपी चुनाव से पहले लामबंद होकर भाजपा के खिलाफ एक प्लेटफॉर्म तैयार करने में जुटी थीं, उनके लिए तो मानो बैठे-बिठाए एक सुनहरा अवसर मिल गया हो.

वीडियो

भाजपा के लिए खतरे की घंटी

यही वजह है कि घटना होते ही तमाम राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पार्टियों के छत्रप लखीमपुर खीरी की तरफ कूच कर गए. हालांकि तमाम नेताओं की घेराबंदी कर उन्हें हिरासत में ले लिया गया, लेकिन यह मामला जल्द शांत होने वाला नहीं दिखता है और इसमें वह पार्टियां भी लामबंद होती नजर आ रही हैं, जिनके बीच विचार धाराओं में मतभेद हैं और यह कहीं न कहीं भाजपा के लिए एक खतरे की घंटी साबित हो सकती है.

इस मुद्दे पर भाजपा प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि लखीमपुर खीरी में किसान आंदोलन के नाम पर जो षड्यंत्र हुआ है, वह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने कहा कि सीएम योगी ने त्वरित कार्रवाई की है, लेकिन षड्यंत्रकारी लोग किसानों के नाम पर राजनीतिक रोटियां सेकना चाहते हैं और अपने लक्ष्य को पूरा करने का प्रयास कर रहे हैं.

भाजपा प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल का बयान

षड्यंत्र का होगा पर्दाफाश

उन्होंने कहा कि इस षड्यंत्र का पूरी तरह से पर्दाफाश होगा और भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या मामले की विस्तृत जांच होगी. भाजपा प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने कहा कि योगी सरकार ने इस बात को बहुत ही स्पष्ट रूप से कहा है कि दोषियों को नहीं बख्शा जाएगा.

उन्होंने सवाल किया कि जब तीनों कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट ने स्टे लगाया है और केंद्र सरकार ने भी इन्हें फिलहाल सस्पेंड कर दिया है तो फिर इस तरह के आंदोलन की क्या आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि सरकार बात करने को तैयार है, लेकिन विपक्ष राजनीतिक रोटियां सेक रहा है और उसे किसानों का हित नहीं दिख रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्षी पार्टियां किसानों के हित देखने के बजाय अपने लक्ष्य को पूरा करने की कोशिश कर रही हैं, जो सरासर गलत है.

यह भी पढ़ें- लखीमपुर खीरी हिंसा : किसानों और सरकार में बनी बात, गृह मंत्रालय ने मांगी रिपोर्ट

भाजपा प्रवक्ता ने यह भी कहा, लखीमपुर खीरी जैसी षड्यंत्रकारी घटना को पूरी तरह से उजागर करने की आवश्यकता है और मुझे उम्मीद है कि योगी सरकार दोषियों को सजा दिलवाईगी.

नई दिल्ली : लखीमपुर खीरी घटना में 24 घंटे के अंदर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने, किसानों के ही नेता राकेश टिकैत को बीच में लाकर, और पुलिस प्रशासन और आंदोलनरत किसानों के बीच समझौता और मुआवजे की घोषणा कर, इस हिंसात्मक विरोध को बढ़ने से काफी हद तक, नियंत्रण में तो कर लिया. लेकिन कहीं यह यूपी चुनाव में भाजपा को भारी न पड़ जाए, इस बात को लेकर पार्टी के अंदर, खासा बवाल मचा है.

सूत्रों की मानें तो इस घटना पर भाजपा आलाकमान खासा नाराज है और डैमेज कंट्रोल करने के लिए भाजपा जल्द ही कोई बड़ा कदम भी उठा सकती है, ऐसे संकेत मिल रहे हैं.

प्रदर्शनकारियों में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्रा और उनके पुत्र आशीष मिश्रा को लेकर खासा नाराजगी है, और पार्टी को यह अंदेशा है कि आने वाले दिनों में यह घटना पार्टी के लिए सिरदर्द बन सकती है. इतना ही नहीं राज्य के किसान बहुल इलाके के पार्टी के नेता भी चुनाव को देखते हुए दोषियों के खिलाफ (चाहे वो पार्टी के नेता क्यों न हो) दबी जुबान में ही सही पार्टी पर और कारवाई करने का दबाव बना रहे हैं.

हमेशा से बागी सुर में रहने वाले भाजपा सांसद वरुण गांधी ने तो पत्र लिखकर आने ही मुख्यमंत्री से इस घटना की निंदा की है और दोषियों के खिलाफ सख्त कारवाई की मांग तक कर डाली है, और ये शुरुआत दबी जुबान में राज्य के कई और नेताओं ने भी की है.

पार्टी के विश्वस्त सूत्र के अनुसार, इस घटना के होते ही पार्टी ने अपने तमाम बड़े नेताओं को इस पर चुप्पी साधने की हिदायत दी है. राष्ट्रीय नेताओं को इस पर कुछ भी टिप्पणी करने से बचने के निर्देश दिए गए हैं. इसकी वजह यह है कि भाजपा इस मामले को राष्ट्रीय मुद्दा नहीं बनने देना चाह रही है.

हालांकि, उत्तर प्रदेश के कुछ नेताओं को पार्टी के बचाव में मीडिया के सामने संतुलित बयान देने को कहा गया है, लेकिन किसानों के खिलाफ बहुत ज्यादा जहर उगलने पर साफ मनाही की गई है. यदि कोई नेता किसानों के खिलाफ किसी भी तरह की कठोर भाषा का प्रयोग करता है तो उसके खिलाफ पार्टी अनुशासनात्मक कार्रवाई भी कर सकती है.

खालिस्तानी ऐंगल ठंठने की कोशिश

उत्तर प्रदेश और केंद्र, दोनों में ही सत्ताधारी पार्टी भाजपा को यह भलीभांति मालूम है कि यह घटना अब आने वाले दिनों में राज्य के चुनाव में चुनावी मुद्दा बनने जा रही है, इसलिए पार्टी इस पर फूंक-फूंक कर कदम रख रही है. भाजपा के कुछ नेताओं ने कैमरा पर न बोलने की शर्त पर यहां तक कहा है कि यह घटना खालिस्तानियों के इशारे पर की गई है और भाजपा लखीमपुर खीरी हिंसा में आतंकी ग्रुप का हाथ भी देख रही है.

2017 में पंजाब और यूपी पुलिस के संयुक्त ऑपरेशन में भी यह बात सामने आई थी कि बब्बर खालसा इन इलाकों में सक्रिय है और रविवार की घटना के वीडियो सामने आने के बाद भाजपा को ऐसा लगता है कि इस घटना में इन लोगों का हाथ हो सकता है. यही वजह है कि भाजपा के नेता दबी जुबान में ही सही, मगर उपद्रवियों के कपड़ों में छपे बब्बर खालसा के चित्र को भी मुद्दा बना रहे हैं और जांच की दिशा इस ओर भी मोड़ने की अपील कर रहे हैं.

कहा जाए तो लखीमपुर खीरी की घटना ने तमाम विपक्षी पार्टियों को भाजपा के खिलाफ लामबंद होकर आरोप लगाने का अच्छा खासा मुद्दा दे दिया है. ऐसे में जब इनमें से कई पार्टियां यूपी चुनाव से पहले लामबंद होकर भाजपा के खिलाफ एक प्लेटफॉर्म तैयार करने में जुटी थीं, उनके लिए तो मानो बैठे-बिठाए एक सुनहरा अवसर मिल गया हो.

वीडियो

भाजपा के लिए खतरे की घंटी

यही वजह है कि घटना होते ही तमाम राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पार्टियों के छत्रप लखीमपुर खीरी की तरफ कूच कर गए. हालांकि तमाम नेताओं की घेराबंदी कर उन्हें हिरासत में ले लिया गया, लेकिन यह मामला जल्द शांत होने वाला नहीं दिखता है और इसमें वह पार्टियां भी लामबंद होती नजर आ रही हैं, जिनके बीच विचार धाराओं में मतभेद हैं और यह कहीं न कहीं भाजपा के लिए एक खतरे की घंटी साबित हो सकती है.

इस मुद्दे पर भाजपा प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि लखीमपुर खीरी में किसान आंदोलन के नाम पर जो षड्यंत्र हुआ है, वह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने कहा कि सीएम योगी ने त्वरित कार्रवाई की है, लेकिन षड्यंत्रकारी लोग किसानों के नाम पर राजनीतिक रोटियां सेकना चाहते हैं और अपने लक्ष्य को पूरा करने का प्रयास कर रहे हैं.

भाजपा प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल का बयान

षड्यंत्र का होगा पर्दाफाश

उन्होंने कहा कि इस षड्यंत्र का पूरी तरह से पर्दाफाश होगा और भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या मामले की विस्तृत जांच होगी. भाजपा प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने कहा कि योगी सरकार ने इस बात को बहुत ही स्पष्ट रूप से कहा है कि दोषियों को नहीं बख्शा जाएगा.

उन्होंने सवाल किया कि जब तीनों कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट ने स्टे लगाया है और केंद्र सरकार ने भी इन्हें फिलहाल सस्पेंड कर दिया है तो फिर इस तरह के आंदोलन की क्या आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि सरकार बात करने को तैयार है, लेकिन विपक्ष राजनीतिक रोटियां सेक रहा है और उसे किसानों का हित नहीं दिख रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्षी पार्टियां किसानों के हित देखने के बजाय अपने लक्ष्य को पूरा करने की कोशिश कर रही हैं, जो सरासर गलत है.

यह भी पढ़ें- लखीमपुर खीरी हिंसा : किसानों और सरकार में बनी बात, गृह मंत्रालय ने मांगी रिपोर्ट

भाजपा प्रवक्ता ने यह भी कहा, लखीमपुर खीरी जैसी षड्यंत्रकारी घटना को पूरी तरह से उजागर करने की आवश्यकता है और मुझे उम्मीद है कि योगी सरकार दोषियों को सजा दिलवाईगी.

Last Updated : Oct 4, 2021, 8:58 PM IST
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