नई दिल्ली : अखिलेश यादव के जिन्ना पर दिए बयान ने उत्तर प्रदेश के चुनाव प्रचार को नया रंग दे दिया है. भाजपा अब इस मुद्दे को पूरी तरह भुनाने में लग गई है. विधानसभा चुनाव के कुछ महीने पहले ही 'जिन्ना के जिन्न' की एंट्री ने चुनावी प्रचार को हिंदू-मुसलमान में बदल दिया है.
भाजपा इस मुद्दे को तूल देते हुए अखिलेश यादव की पार्टी पर निशाना साध रही है. भाजपा का आरोप है कि सपा ने जिन्ना की एंट्री मुसलमानों का वोट हासिल करने और तुष्टिकरण की राजनीति के लिए किया. वहीं, भाजपा भी इस मुद्दे पर राजनीति करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही. सूत्रों की मानें तो भाजपा इस मुद्दे को फिलहाल खत्म नहीं होने देना चाहती.
दरअसल जिन्ना के इस विवाद पर अखिलेश यादव खुद ही फंस गए हैं. सरदार पटेल की जयंती पर जिन्ना का नाम नेहरू और पटेल के साथ लेकर अखिलेश यादव ने बैठे बिठाए भाजपा को बड़ा मुद्दा दे दिया है. भाजपा लखीमपुर खीरी घटना और किसान आंदोलन से ध्यान बंटाने के लिए समाजवादी पार्टी पर तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगा रही है.
भाजपा की मांग-माफी मांगें अखिलेश
भारतीय जनता पार्टी के अलग-अलग नेता, समाजवादी पार्टी पर अलग-अलग बयान दे रहे हैं. कोई समाजवादी पार्टी और उनके नेता को तालिबानी करार दे रहा है तो कोई समाजवादी पार्टी को विभाजन कारी नीति अपनाने वाली पार्टी बता रहा है. भाजपा मांग कर रही है कि अखिलेश यादव माफी मांगें. हालांकि हरदोई के मंच से अखिलेश यादव ने बाकी तमाम मुद्दे भी उठाए थे जिनमें उत्तर प्रदेश के कानून का मसला हो या फिर लखीमपुर खीरी की घटना, लेकिन अगर किसी बयान ने उत्तर प्रदेश की राजनीति को करवट दी है तो वह था, जिन्ना से जुड़ा बयान.
हैदराबाद को दक्षिण पाकिस्तान बनाना चाहते थे जिन्ना : भाजपा सांसद
भाजपा सांसद बृजलाल ने इस मुद्दे पर 'ईटीवी भारत' के सवाल पर कहा कि समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने लौह पुरुष यादव की तुलना जिन्ना से की है. देश की आजादी में सरदार पटेल की तरह नेहरू और जिन्ना का भी रोल बताया है. उन्होंने कहा कि 'अखिलेश यादव को पहले इतिहास पढ़ लेना चाहिए, ये वह जिन्ना हैं जिन्होंने आजादी के 1 साल के पहले 16 अगस्त 1946 को 'डायरेक्ट एक्शन' का कॉल दिया था. यह वह जिन्ना थे जिन्होंने जुम्मा पर हजारों हिंदुओं का कत्लेआम करवाया था. यह वह जिन्ना थे जो निजाम के पक्ष में हैदराबाद को दक्षिण पाकिस्तान बनाना चाहते थे. यह वह जिन्ने था जो देश के बंटवारे के जिम्मेदार हैं.' उन्होंने कहा कि यह वह जिन्ना है जो 1946 में कांस्टीट्यूएंट असेंबली का चुनाव हुआ तो देश के मुसलमानों को भरमाया और 90% देश के मुसलमानों ने मुस्लिम लीग को वोट दिया.'
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कुल मिलाकर भाजपा नेता जिस तरह से निशाना साध रहे हैं ऐसे में साफ जाहिर है यह बयान और वार-पलटवार की लड़ाई चुनाव को देखते हुए अभी लंबी खिंच जाएगी.