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BJP Election Plan 2023: मोदी और शाह की जोड़ी खेल रही हिन्दुत्व और मंदिरों के सहारे चुनाव जीतने का दांव! जानें सियासी मायने

MP Election 2023: भाजपा ने 2023 और 2024 के चुनाव के लिए हिदुत्व और मंदिरों का सहारा लिया है, यही कारण है कि पीएम मोदी और अमित शाह जिस जगह का दौरा करते हैं, वहां मंदिर पर मत्था टेकने जरूर जाते हैं. फिलहाल एमपी में 100 करोड़ की लागत से संत रविदास मंदिर की आधारशिला रखी है, जिसे चुनाव जीतने के लिए नया दांव बताया जा रहा है.

BJP Election Plan 2023
बीजेपी का हिंदुत्व एजेंडा
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Published : Aug 12, 2023, 7:23 PM IST

Updated : Aug 12, 2023, 8:13 PM IST

प्रधानमंत्री मोदी के दौरे पर कमलनाथ ने साधा निशाना

भोपाल। पीएम मोदी का फोकस 2024 के चुनाव पर है, पहले बीजेपी राम के जरिए सत्ता की कुर्सी तक पहुंची और अब उसी फार्मूले को आगे बढ़ाते हुए पीएम मोदी मंदिरों में जाकर पूजन अर्चना करते रहे हैं. इतना ही नहीं जब मोदी मंदिर जाते हैं तो वहां के विकास के नए प्लान पर काम भी शुरू करने का ऐलान करके आते हैं. ऐसे ही मोदी का इस बार का एमपी दौरा कुछ खास है. मकसद है संत रविदास का मंदिर निर्माण, इससे वे दलितों के बीच पैठ बना सकेंगे. देश में करीब 21 फीसदी दलित वोट बैंक हैं, जिनके लिए 100 करोड़ की लागत से संत रविदास मंदिर बनवाकर वे दलितों का दिल जीतने की कोशिश में हैं.

नया प्लान लेकर मंदिर जाते हैं पीएम मोदी: बीजेपी का हिंदुत्व एजेंडा पर तो कायम है, लेकिन मोदी और अमित की रणनीति मंदिरों पर फोकस है. एमपी में मोदी पहुंचे तो वे उज्जैन के महाकाल दरबार में पहुंचे, वहां उन्होंने विशेष पूजन की और फिर महाकाल कॉरिडोर का लोकार्पण किया. चाहे अयोध्या का राम मंदिर हो या काशी विश्वनाथ मंदिरों का जीर्णोद्धोर, हर जगह मंदिरों को नया स्वरूप दिया गया है. बात करें बद्रीनाथ और केदारनाथ की तो जब मोदी वहां गए तो वहां भी कॉरिडोर के साथ लोगों को दुर्गम स्थान तक पहुंचने के लिए सुविधाजनक बनाने का ऐलान करके लौटे.

अमित शाह का भी मंदिर पर ध्यान: एमपी में 2023 के आखिरी में विधानसभा के चुनाव हैं, शाह ने कमान अपने हाथ में ले रखी है लेकिन फोकस मंदिरों पर है. एक बार फिर मोदी सरकार मंदिरों के जरिए सत्ता में काबिज रहना चाहती है. अमित शाह जब 2018 में चुनावी दौरे पर थे, तब भी वे जहां गए, वहां के मंदिरों पर माथा जरूर टेका और संदेश दिया कि बीजेपी के एजेंडे में हिंदुत्व पहली प्राथमिकता पर है. इंदौर में वे प्राचीन महालक्ष्मी के मंदिर में पहुंचे और चुनावी अभियान का आशीर्वाद लिया, दतिया में मां पीतांबरा के दरबार में, अमित शाह ने परिवार संग अमृतसर पहुंचे. इसके अलावा शाह दुर्ग्याणा मंदिर में भी आशीर्वाद लिया.

Must Read:

हिंदु वोट बैंक के साथ जाति विशेष को भी साधने में जुटी भाजपा: मोदी सरकार की रणनीति में इस बार मंदिर भी शामिल हैं, उनकी यात्राओं पर नजर डालें तो एमपी में हिन्दुत्व और मंदिरों के जरिए चुनाव जीतने का दांव खेला जा रहा हैं. मोदी का महाकाल से लेकर रविदास तक का चक्कर, तो वहीं अमित शाह का टंट्या भील के मंदिर से लेकर परशुराम मंदिर जाना बता रहा है कि हिंदू वोट बैंक तो साधना ही है. लेकिन साथ ही जाति विशेष के मंदिरों में भी जाकर उन लोगों को भी साधने का काम किया जा रहा है.

प्रधानमंत्री मोदी के दौरे पर कमलनाथ ने साधा निशाना: फिलहाल आज पीएम मोदी के सागर दौरे को लेकर कमलनाथ ने कहा है कि "आज भारतीय जनता पार्टी को संत रविदास के साथ सब कुछ याद आने लगा, यह तो हालत है. लेकिन अगर वे सोचते हैं कि जनता का ध्यान मोड़ पाएंगे, लोगों को गुमराह कर पाएंगे तो मध्य प्रदेश के मतदाता ने तय कर लिया है कि बड़े प्यार से शिवराज सिंह को विदा करेंगे."

प्रधानमंत्री मोदी के दौरे पर कमलनाथ ने साधा निशाना

भोपाल। पीएम मोदी का फोकस 2024 के चुनाव पर है, पहले बीजेपी राम के जरिए सत्ता की कुर्सी तक पहुंची और अब उसी फार्मूले को आगे बढ़ाते हुए पीएम मोदी मंदिरों में जाकर पूजन अर्चना करते रहे हैं. इतना ही नहीं जब मोदी मंदिर जाते हैं तो वहां के विकास के नए प्लान पर काम भी शुरू करने का ऐलान करके आते हैं. ऐसे ही मोदी का इस बार का एमपी दौरा कुछ खास है. मकसद है संत रविदास का मंदिर निर्माण, इससे वे दलितों के बीच पैठ बना सकेंगे. देश में करीब 21 फीसदी दलित वोट बैंक हैं, जिनके लिए 100 करोड़ की लागत से संत रविदास मंदिर बनवाकर वे दलितों का दिल जीतने की कोशिश में हैं.

नया प्लान लेकर मंदिर जाते हैं पीएम मोदी: बीजेपी का हिंदुत्व एजेंडा पर तो कायम है, लेकिन मोदी और अमित की रणनीति मंदिरों पर फोकस है. एमपी में मोदी पहुंचे तो वे उज्जैन के महाकाल दरबार में पहुंचे, वहां उन्होंने विशेष पूजन की और फिर महाकाल कॉरिडोर का लोकार्पण किया. चाहे अयोध्या का राम मंदिर हो या काशी विश्वनाथ मंदिरों का जीर्णोद्धोर, हर जगह मंदिरों को नया स्वरूप दिया गया है. बात करें बद्रीनाथ और केदारनाथ की तो जब मोदी वहां गए तो वहां भी कॉरिडोर के साथ लोगों को दुर्गम स्थान तक पहुंचने के लिए सुविधाजनक बनाने का ऐलान करके लौटे.

अमित शाह का भी मंदिर पर ध्यान: एमपी में 2023 के आखिरी में विधानसभा के चुनाव हैं, शाह ने कमान अपने हाथ में ले रखी है लेकिन फोकस मंदिरों पर है. एक बार फिर मोदी सरकार मंदिरों के जरिए सत्ता में काबिज रहना चाहती है. अमित शाह जब 2018 में चुनावी दौरे पर थे, तब भी वे जहां गए, वहां के मंदिरों पर माथा जरूर टेका और संदेश दिया कि बीजेपी के एजेंडे में हिंदुत्व पहली प्राथमिकता पर है. इंदौर में वे प्राचीन महालक्ष्मी के मंदिर में पहुंचे और चुनावी अभियान का आशीर्वाद लिया, दतिया में मां पीतांबरा के दरबार में, अमित शाह ने परिवार संग अमृतसर पहुंचे. इसके अलावा शाह दुर्ग्याणा मंदिर में भी आशीर्वाद लिया.

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हिंदु वोट बैंक के साथ जाति विशेष को भी साधने में जुटी भाजपा: मोदी सरकार की रणनीति में इस बार मंदिर भी शामिल हैं, उनकी यात्राओं पर नजर डालें तो एमपी में हिन्दुत्व और मंदिरों के जरिए चुनाव जीतने का दांव खेला जा रहा हैं. मोदी का महाकाल से लेकर रविदास तक का चक्कर, तो वहीं अमित शाह का टंट्या भील के मंदिर से लेकर परशुराम मंदिर जाना बता रहा है कि हिंदू वोट बैंक तो साधना ही है. लेकिन साथ ही जाति विशेष के मंदिरों में भी जाकर उन लोगों को भी साधने का काम किया जा रहा है.

प्रधानमंत्री मोदी के दौरे पर कमलनाथ ने साधा निशाना: फिलहाल आज पीएम मोदी के सागर दौरे को लेकर कमलनाथ ने कहा है कि "आज भारतीय जनता पार्टी को संत रविदास के साथ सब कुछ याद आने लगा, यह तो हालत है. लेकिन अगर वे सोचते हैं कि जनता का ध्यान मोड़ पाएंगे, लोगों को गुमराह कर पाएंगे तो मध्य प्रदेश के मतदाता ने तय कर लिया है कि बड़े प्यार से शिवराज सिंह को विदा करेंगे."

Last Updated : Aug 12, 2023, 8:13 PM IST
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