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ये बीजेपी का स्टाइल है: जो तीन में ना 13 में, वो बनता है मुख्यमंत्री

एक बार फिर बीजेपी ने सभी को चौंकाते हुए उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री के रूप में उस चेहरे को चुना है जो मीडिया की सुर्खियों से लेकर सोशल मीडिया की सुगबुगाहट तक कहीं नहीं था. बीजेपी ने इससे पहले भी ऐसे कई फैसले लिए हैं. धामी से लेकर फडणवीस, खट्टर और योगी तक बीजेपी के चौंकाने वाले फैसले पढ़िये..

बीजेपी
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Published : Jul 3, 2021, 8:13 PM IST

Updated : Jul 3, 2021, 8:19 PM IST

हैदराबाद: पुष्कर सिंह धामी, इस नाम की पहचान कल तक उत्तराखंड की खटीमा विधानसभा सीट के एक विधायक की थी. हो सकता है कि उत्तराखंड के बाहर ज्यादा लोग इस चेहरे को जानते भी ना हों. लेकिन आज ये नाम सभी की जुबां पर है. सोशल मीडिया से लेकर सियासी गलियारों और अखबारों की सुर्खियों तक पुष्कर सिंह धामी का नाम छाया हुआ है. क्योंकि पुष्कर सिंह धामी को बीजेपी आलाकमान ने उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी सौंपी है. ये सब बीजेपी के एक और चौंकाने वाले फैसले की बदौलत हुआ है. इससे पहले भी बीजेपी के कई फैसले चौंकाने वाले रहे हैं. ये फैसले बताते हैं कि जो ना तीन में होता है ना तेरह में, वो मुख्यमंत्री बन जाता है.

रेस वाले दौड़ते रहे और वो 'मुखिया' बन गए

कल तक ना तो पुष्कर सिंह धामी का नाम मुख्यमंत्री बनने की रेस में था और ना 4 महीने पहले तीरथ सिंह रावत कहीं रेस में थे. मीडिया की सुर्खियों से लेकर सोशल मीडिया के ट्रेंड तक दोनों बार ना जाने कौन-कौन मुख्यमंत्री की रेस में शामिल था. सियासी जानकार भी ताल ठोककर और सियासी समीकरण बिठाकर बड़े-बड़े दिग्गजों को दावेदार बता रहे थे लेकिन दोनों बार बीजेपी ने ऐसा फैसला लिया कि सियासी पंडितों की भविष्यवाणी एक बार फिर धरी की धरी रह गई.

ये रेस में नहीं थे आलाकमान ने बनाया मुख्यमंत्री
ये रेस में नहीं थे आलाकमान ने बनाया मुख्यमंत्री

करीब 4 महीने पहले त्रिवेंद्र सिंह की विदाई के बाद पौड़ी गढ़वाल से सांसद तीरथ सिंह रावत को कमान सौंप दी और अब खटीमा से विधायक पुष्कर सिंह धामी को ताज पहना दिया. वैसे साल 2017 में उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में बीजेपी को बंपर बहुमत मिला तो फिर से मुख्यमंत्री की रेस में कई दिग्गजों का नाम शुमार था लेकिन बीजेपी ने त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री बना दिया.

ये भी पढ़ें: LU के छात्रनेता से उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तक का सफर, जानिए धामी का राजनाथ और कोश्यारी कनेक्शन

बीजेपी ने पहले भी लिए हैं चौंकाने वाले फैसले

योगी आदित्यनाथ- 2017 में उत्तराखंड के साथ ही बीजेपी ने यूपी का किला भी भेदा था और बड़ी जीत हासिल की थी. देश के सबसे बड़े सूबे में कमल खिलने के बाद राजनीतिक विश्लेषक राजनाथ सिंह से लेकर मनोज सिन्हा और ना जाने किस-किस को सीएम की रेस में आगे बता रहे थे लेकिन बीजेपी आलाकमान ने गोरखपुर से तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ का राज तिलक कर दिया.

योगी आदित्यनाथ
योगी आदित्यनाथ

मनोहर लाल खट्टर- साल 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने हरियाणा में पहली बार बहुमत हासिल किया था. हरियाणा में बीजेपी के बड़े-बड़े जाट चेहरे मुख्यमंत्री बनने का ख्वाब संजोये बैठे थे. सियासी पंडित भी जाट चेहरों पर दांव लगा रहे थे लेकिन इन सबसे अलग बीजेपी आलाकमान ने पहली बार विधायक बने मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री बना दिया. संघ प्रचारक रहे मनोहर लाल खट्टर पंजाबी हैं और 2014 के बाद 2019 विधानसभा चुनाव में जीत के बाद भी जाटों के प्रदेश हरियाणा के मुख्यमंत्री हैं.

मनोहर लाल खट्टर
मनोहर लाल खट्टर

देवेंद्र फणडवीस- साल 2014 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में जीत के बाद बीजेपी में कई दिग्गज मुख्यमंत्री के दावेदार माने जा रहे थे. लेकिन पार्टी आलाकमान ने देवेंद्र फडणवीस के नाम पर मुहर लगा दी. उस वक्त फडणवीस बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष थे और तीसरी बार विधानसभा पहुंचने के अलावा नागपुर के मेयर रहे थे. बीजेपी ने बड़े-बड़े चेहरों पर युवा देवेंद्र फडणवीस को तरजीह दी गई थी.

देवेंद्र फडणवीस
देवेंद्र फडणवीस

रघुबर दास- साल 2014 में झारखंड विधानसभा चुनाव में भी कमल खिला. बड़े-बड़े नामों पर चर्चाओं का बाजार गर्म हुआ लेकिन बीजेपी ने आदिवासी बहुल झारखंड में पहले गैर-आदिवासी मुख्यमंत्री के रूप में रघुबर दास को कमान सौंप दी.

रघुबर दास
रघुबर दास

फैसले और भी हैं

सिटिंग सीएम को बदलना- 2016 में असम में पहली बार कमल खिलने के बाद बीजेपी ने सर्बानंद सोनोवाल को मुख्यमंत्री बनाया. इस साल असम में एक बार फिर से बीजेपी की जीत हुई लेकिन पार्टी आलाकमान ने मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल की जगह हेमंत बिस्व सरमा को राज्य की कमान सौंप दी.

डिप्टी सीएम का फॉर्मूला- यूपी से लेकर बिहार और कर्नाटक से लेकर गुजरात और गोवा तक बीजेपी शासित राज्यों में बीजेपी ने डिप्टी सीएम का फॉर्मूला भी लागू किया. यूपी और बिहार में दो-दो तो कर्नाटक में तीन और गुजरात में एक डिप्टी सीएम है. इसी तरह हरियाणा में जेजेपी के साथ गठबंधन में सरकार चलाने वाली बीजेपी ने जेजेपी के दुष्यंत चौटाला को डिप्टी सीएम का पद दिया है.

बीजेपी ने लिए हैं चौकाने वाले फैसले
बीजेपी ने लिए हैं चौकाने वाले फैसले

चुनाव मैदान में बड़े चेहरे उतारना- चुनावी रण जीतने के लिए भी बीजेपी ने कई चौंकाने वाले फैसले लिए हैं. फिर चाहे 2019 के लोकसभा चुनाव हों या फिर इस साल हुए पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव. बीजेपी ने चुनाव में जीत हासिल करने के लिए सांसदों को विधानसभा चुनाव और विधायकों को लोकसभा चुनाव का टिकट दिया.

केंद्रीय कैबिनेट में चेहरे- 2014 से लेकर अब तक मोदी सरकार की केद्रीय कैबिनेट में कुछ ऐसे चेहरों को जगह दी, जिसने सभी को चौंका दिया. फिर चाहे विदेश सचिव रहे एस जयशंकर को विदेश मंत्री बनाने का फैसला हो, चाहे 2014 में स्मृति ईरानी को शिक्षा मंत्री या फिर प्रताप सारंगी को मोदी मंत्रिमंडल में जगह देने का फैसला हो. इन फैसलों ने सभी को चौंकाया है.

ये भी पढ़े: नाम का ऐलान होते ही धामी का मोबाइल हुआ गुम, मंच पर ही खोजते दिखे नए मुख्यमंत्री

हैदराबाद: पुष्कर सिंह धामी, इस नाम की पहचान कल तक उत्तराखंड की खटीमा विधानसभा सीट के एक विधायक की थी. हो सकता है कि उत्तराखंड के बाहर ज्यादा लोग इस चेहरे को जानते भी ना हों. लेकिन आज ये नाम सभी की जुबां पर है. सोशल मीडिया से लेकर सियासी गलियारों और अखबारों की सुर्खियों तक पुष्कर सिंह धामी का नाम छाया हुआ है. क्योंकि पुष्कर सिंह धामी को बीजेपी आलाकमान ने उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी सौंपी है. ये सब बीजेपी के एक और चौंकाने वाले फैसले की बदौलत हुआ है. इससे पहले भी बीजेपी के कई फैसले चौंकाने वाले रहे हैं. ये फैसले बताते हैं कि जो ना तीन में होता है ना तेरह में, वो मुख्यमंत्री बन जाता है.

रेस वाले दौड़ते रहे और वो 'मुखिया' बन गए

कल तक ना तो पुष्कर सिंह धामी का नाम मुख्यमंत्री बनने की रेस में था और ना 4 महीने पहले तीरथ सिंह रावत कहीं रेस में थे. मीडिया की सुर्खियों से लेकर सोशल मीडिया के ट्रेंड तक दोनों बार ना जाने कौन-कौन मुख्यमंत्री की रेस में शामिल था. सियासी जानकार भी ताल ठोककर और सियासी समीकरण बिठाकर बड़े-बड़े दिग्गजों को दावेदार बता रहे थे लेकिन दोनों बार बीजेपी ने ऐसा फैसला लिया कि सियासी पंडितों की भविष्यवाणी एक बार फिर धरी की धरी रह गई.

ये रेस में नहीं थे आलाकमान ने बनाया मुख्यमंत्री
ये रेस में नहीं थे आलाकमान ने बनाया मुख्यमंत्री

करीब 4 महीने पहले त्रिवेंद्र सिंह की विदाई के बाद पौड़ी गढ़वाल से सांसद तीरथ सिंह रावत को कमान सौंप दी और अब खटीमा से विधायक पुष्कर सिंह धामी को ताज पहना दिया. वैसे साल 2017 में उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में बीजेपी को बंपर बहुमत मिला तो फिर से मुख्यमंत्री की रेस में कई दिग्गजों का नाम शुमार था लेकिन बीजेपी ने त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री बना दिया.

ये भी पढ़ें: LU के छात्रनेता से उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तक का सफर, जानिए धामी का राजनाथ और कोश्यारी कनेक्शन

बीजेपी ने पहले भी लिए हैं चौंकाने वाले फैसले

योगी आदित्यनाथ- 2017 में उत्तराखंड के साथ ही बीजेपी ने यूपी का किला भी भेदा था और बड़ी जीत हासिल की थी. देश के सबसे बड़े सूबे में कमल खिलने के बाद राजनीतिक विश्लेषक राजनाथ सिंह से लेकर मनोज सिन्हा और ना जाने किस-किस को सीएम की रेस में आगे बता रहे थे लेकिन बीजेपी आलाकमान ने गोरखपुर से तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ का राज तिलक कर दिया.

योगी आदित्यनाथ
योगी आदित्यनाथ

मनोहर लाल खट्टर- साल 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने हरियाणा में पहली बार बहुमत हासिल किया था. हरियाणा में बीजेपी के बड़े-बड़े जाट चेहरे मुख्यमंत्री बनने का ख्वाब संजोये बैठे थे. सियासी पंडित भी जाट चेहरों पर दांव लगा रहे थे लेकिन इन सबसे अलग बीजेपी आलाकमान ने पहली बार विधायक बने मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री बना दिया. संघ प्रचारक रहे मनोहर लाल खट्टर पंजाबी हैं और 2014 के बाद 2019 विधानसभा चुनाव में जीत के बाद भी जाटों के प्रदेश हरियाणा के मुख्यमंत्री हैं.

मनोहर लाल खट्टर
मनोहर लाल खट्टर

देवेंद्र फणडवीस- साल 2014 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में जीत के बाद बीजेपी में कई दिग्गज मुख्यमंत्री के दावेदार माने जा रहे थे. लेकिन पार्टी आलाकमान ने देवेंद्र फडणवीस के नाम पर मुहर लगा दी. उस वक्त फडणवीस बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष थे और तीसरी बार विधानसभा पहुंचने के अलावा नागपुर के मेयर रहे थे. बीजेपी ने बड़े-बड़े चेहरों पर युवा देवेंद्र फडणवीस को तरजीह दी गई थी.

देवेंद्र फडणवीस
देवेंद्र फडणवीस

रघुबर दास- साल 2014 में झारखंड विधानसभा चुनाव में भी कमल खिला. बड़े-बड़े नामों पर चर्चाओं का बाजार गर्म हुआ लेकिन बीजेपी ने आदिवासी बहुल झारखंड में पहले गैर-आदिवासी मुख्यमंत्री के रूप में रघुबर दास को कमान सौंप दी.

रघुबर दास
रघुबर दास

फैसले और भी हैं

सिटिंग सीएम को बदलना- 2016 में असम में पहली बार कमल खिलने के बाद बीजेपी ने सर्बानंद सोनोवाल को मुख्यमंत्री बनाया. इस साल असम में एक बार फिर से बीजेपी की जीत हुई लेकिन पार्टी आलाकमान ने मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल की जगह हेमंत बिस्व सरमा को राज्य की कमान सौंप दी.

डिप्टी सीएम का फॉर्मूला- यूपी से लेकर बिहार और कर्नाटक से लेकर गुजरात और गोवा तक बीजेपी शासित राज्यों में बीजेपी ने डिप्टी सीएम का फॉर्मूला भी लागू किया. यूपी और बिहार में दो-दो तो कर्नाटक में तीन और गुजरात में एक डिप्टी सीएम है. इसी तरह हरियाणा में जेजेपी के साथ गठबंधन में सरकार चलाने वाली बीजेपी ने जेजेपी के दुष्यंत चौटाला को डिप्टी सीएम का पद दिया है.

बीजेपी ने लिए हैं चौकाने वाले फैसले
बीजेपी ने लिए हैं चौकाने वाले फैसले

चुनाव मैदान में बड़े चेहरे उतारना- चुनावी रण जीतने के लिए भी बीजेपी ने कई चौंकाने वाले फैसले लिए हैं. फिर चाहे 2019 के लोकसभा चुनाव हों या फिर इस साल हुए पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव. बीजेपी ने चुनाव में जीत हासिल करने के लिए सांसदों को विधानसभा चुनाव और विधायकों को लोकसभा चुनाव का टिकट दिया.

केंद्रीय कैबिनेट में चेहरे- 2014 से लेकर अब तक मोदी सरकार की केद्रीय कैबिनेट में कुछ ऐसे चेहरों को जगह दी, जिसने सभी को चौंका दिया. फिर चाहे विदेश सचिव रहे एस जयशंकर को विदेश मंत्री बनाने का फैसला हो, चाहे 2014 में स्मृति ईरानी को शिक्षा मंत्री या फिर प्रताप सारंगी को मोदी मंत्रिमंडल में जगह देने का फैसला हो. इन फैसलों ने सभी को चौंकाया है.

ये भी पढ़े: नाम का ऐलान होते ही धामी का मोबाइल हुआ गुम, मंच पर ही खोजते दिखे नए मुख्यमंत्री

Last Updated : Jul 3, 2021, 8:19 PM IST
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