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बिलकिस बानो मामला: न्यायालय ने आत्मसमर्पण के लिए समय बढ़ाने संबंधी दोषियों की याचिका खारिज की

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By PTI

Published : Jan 19, 2024, 2:45 PM IST

Updated : Jan 19, 2024, 5:41 PM IST

Bilkis Bano case : बिलकिस बानो मामले में 11 दोषियों की आत्मसमर्पण के लिए समय बढ़ाने की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है. बता दें कि कोर्ट ने गुजरात सरकार के फैसले को आठ जनवरी को रद्द कर दिया था. Supreme Court

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात में 2002 के दंगों के दौरान बिलकिस बानो से सामूहिक बलात्कार और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के मामले में आत्मसमर्पण के लिए समय बढ़ाने के अनुरोध संबंधी 11 दोषियों की याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी. न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि दोषियों द्वारा बताये गये कारणों में कोई दम नहीं है.

पीठ ने कहा, 'हमने आवेदकों के वरिष्ठ अधिवक्ता और वकील तथा गैर-आवेदकों के वकील की दलीलों को भी सुना है. आवेदकों द्वारा आत्मसमर्पण के लिए और वक्त दिए जाने के लिए बताए गए कारणों में कोई दम नहीं है क्योंकि ये कारण किसी भी तरह से उन्हें हमारे निर्देशों का पालन करने से नहीं रोकते हैं. इसलिए ये याचिकाएं खारिज की जाती हैं.' उच्चतम न्यायालय ने इस मामले में 11 दोषियों को सजा में छूट देने के गुजरात सरकार के फैसले को आठ जनवरी को रद्द कर दिया था. इसने दोषियों को 21 जनवरी तक जेल अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण करने को कहा था.

दोषियों में से एक रमेश रूपाभाई चंदना ने यह दावा करते हुए छह सप्ताह के लिए समय बढ़ाने की मांग की है कि उनका बेटा विवाह योग्य उम्र का है और आवेदक इस मामले की देखभाल करने की जिम्मेदारी लेता है. उन्होंने कहा है कि आवेदक की मां 86 वर्ष की हैं और उम्र से संबंधित कई बीमारियों से पीड़ित हैं और इस प्रकार आवेदक आत्मसमर्पण करने से पहले अपनी मां के लिए व्यवहार्य व्यवस्था करने के लिए इस माननीय न्यायालय से अनुग्रह की मांग कर रहा है. वहीं एक अन्य दोषी मितेश चिमनलाल भट ने भी यह कहते हुए छह सप्ताह का विस्तार मांगा है कि उसकी सर्दियों की उपज कटाई के लिए तैयार है और वह प्रक्रिया पूरी करना पसंद करेगा और फिर आत्मसमर्पण करेगा.

ये भी पढ़ें - बिलकिस बानो मामला: SC दोषियों की याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात में 2002 के दंगों के दौरान बिलकिस बानो से सामूहिक बलात्कार और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के मामले में आत्मसमर्पण के लिए समय बढ़ाने के अनुरोध संबंधी 11 दोषियों की याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी. न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि दोषियों द्वारा बताये गये कारणों में कोई दम नहीं है.

पीठ ने कहा, 'हमने आवेदकों के वरिष्ठ अधिवक्ता और वकील तथा गैर-आवेदकों के वकील की दलीलों को भी सुना है. आवेदकों द्वारा आत्मसमर्पण के लिए और वक्त दिए जाने के लिए बताए गए कारणों में कोई दम नहीं है क्योंकि ये कारण किसी भी तरह से उन्हें हमारे निर्देशों का पालन करने से नहीं रोकते हैं. इसलिए ये याचिकाएं खारिज की जाती हैं.' उच्चतम न्यायालय ने इस मामले में 11 दोषियों को सजा में छूट देने के गुजरात सरकार के फैसले को आठ जनवरी को रद्द कर दिया था. इसने दोषियों को 21 जनवरी तक जेल अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण करने को कहा था.

दोषियों में से एक रमेश रूपाभाई चंदना ने यह दावा करते हुए छह सप्ताह के लिए समय बढ़ाने की मांग की है कि उनका बेटा विवाह योग्य उम्र का है और आवेदक इस मामले की देखभाल करने की जिम्मेदारी लेता है. उन्होंने कहा है कि आवेदक की मां 86 वर्ष की हैं और उम्र से संबंधित कई बीमारियों से पीड़ित हैं और इस प्रकार आवेदक आत्मसमर्पण करने से पहले अपनी मां के लिए व्यवहार्य व्यवस्था करने के लिए इस माननीय न्यायालय से अनुग्रह की मांग कर रहा है. वहीं एक अन्य दोषी मितेश चिमनलाल भट ने भी यह कहते हुए छह सप्ताह का विस्तार मांगा है कि उसकी सर्दियों की उपज कटाई के लिए तैयार है और वह प्रक्रिया पूरी करना पसंद करेगा और फिर आत्मसमर्पण करेगा.

ये भी पढ़ें - बिलकिस बानो मामला: SC दोषियों की याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत

Last Updated : Jan 19, 2024, 5:41 PM IST
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