अहमदाबाद : ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने कहा कि वह पिछले कई महीनों से गुजरात आ रहे हैं, कई जिलों का दौरा किया है. हमारी पूरी कोशिश है कि आगामी विधानसभा चुनाव में हमारी पार्टी के ज्यादा से ज्यादा उम्मीदवार सफल हों. साबिर काबुलीवाला (Sabir Kabuliwala) के नेतृत्व में गुजरात एमआईएम की टीम पूरी तैयारी के साथ काम कर रही है.
गुजरात में कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेंगे, इस सवाल पर ओवैसी ने कहा कि इसका फैसला ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहाद मुस्लिमीन गुजरात के अध्यक्ष साबिर काबुलीवाला करेंगे. साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे और इसके लिए बेहतर तरीके से प्रचार करेंगे.
बिलकिस बानो मुद्दे पर उन्होंने कहा कि अगर आप बीजेपी को हराना चाहते हैं और बिलकिस बानो मुद्दे पर चुप रहना चाहते हैं तो आपने सांप्रदायिकता के खिलाफ समझौता कर लिया है. बिलकिस बानो मुद्दा केवल मुसलमानों का ही नहीं बल्कि हर महिला का और न्याय का मुद्दा है.
अगर हर कोई किसी को न्याय दिलाने में चुप बैठेगा तो न्याय कैसे मिलेगा, आज बिलकिस बानो के साथ ऐसा हुआ, कल किसी और महिला के साथ ऐसा हो सकता है. हम बिलकिस बानो को न्याय दिलाने के लिए बोल रहे हैं और लड़ रहे हैं. बिलकिस बानो के दोषियों को जिस तरह से रिहा किया गया है वह पूरी तरह गलत है.
एमआईएम को कांग्रेस की मुस्लिम सीटों पर चुनाव नहीं लड़ना चाहिए. इस सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि 'हमें किसी पार्टी की राय की जरूरत नहीं है, उन्हें अपना काम करने दें, हम अपना काम करेंगे. पहले ये बताएं कि उनके 18 विधायक बीजेपी में क्यों गए हैं. मैं लोगों से अपील करूंगा कि कांग्रेस को वोट देना बीजेपी को वोट देने के बराबर है. आम आदमी पार्टी और बीजेपी में कोई अंतर नहीं है, क्योंकि 'आप' भी बिलकिस बानो जैसे मुद्दों पर खामोश है, तो जब ये लोग इन मुद्दों पर नहीं बोलेंगे तो गुजरात के गरीबों के साथ हो रहे अन्याय पर क्या कहेंगे. गुजरात की जनता का कैसे भला करेंगे.'
आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के गारंटी गार्ड के बारे में उन्होंने कहा कि वादे करना इन लोगों की आदत हो गई है, वादे करने का क्या मतलब है, केवल भाषा का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन जमीन पर क्या करेंगे, ये लोग नहीं करते जमीन पर भी तो कुछ करो.
'भारत को कमजोर प्रधानमंत्री और 'खिचड़ी सरकार' की जरूरत' : इससे पहले एक संवाददाता सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए एआईएमआईएम प्रमुख ने कहा कि ‘जवाहरलाल नेहरू’ के बाद सबसे शक्तिशाली प्रधानमंत्री ने बेरोजगारी, मुद्रास्फीति, चीनी घुसपैठ, कॉर्पोरेट कर छूट और उद्योगपतियों के बैंक ऋण के बारे में सवाल पर 'व्यवस्था' को दोषी ठहराया. उन्होंने कहा, 'मेरा मानना है कि देश को अब एक कमजोर प्रधानमंत्री की जरूरत है. हमने एक शक्तिशाली प्रधानमंत्री देखा है, अब हमें एक कमजोर प्रधानमंत्री की जरूरत है ताकि वह कमजोरों की मदद कर सके. एक शक्तिशाली प्रधानमंत्री केवल शक्तिशाली की मदद कर रहा है.' एआईएमआईएम प्रमुख ने कहा कि देश को एक 'खिचड़ी' सरकार की जरूरत है. खिचड़ी सरकार से आशय विभिन्न दलों के सहयोग से बनी गठबंधन सरकार से है.
ओवैसी ने कहा, 'जब कोई कमजोर प्रधानमंत्री बनता है, तो कमजोर को फायदा होता है, लेकिन जब एक मजबूत व्यक्ति प्रधानमंत्री बनता है, तो शक्तिशाली लाभ होता है. यह 2024 (लोकसभा चुनाव) का प्रयास होना चाहिए. देखते हैं क्या होता है.' मुफ्त में सौगात बांटने को लेकर जारी राजनीति बहस पर उन्होंने कहा, 'जिसे आप सौगात कहते हैं, वह सभी की ओर से दी जा रही है. प्रधानमंत्री कारपोरेट कर और उद्योगपतियों के ऋण माफ करते हैं. 'आप' भी भाजपा से अलग नहीं है.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को वर्ष 2024 में विपक्ष के प्रधानमंत्री उम्मीदवार के रूप में कुछ लोगों द्वारा पेश किए जाने के बारे में पूछे जाने पर ओवैसी ने कहा कि अगर विपक्ष ने चेहरे पेश करके मोदी के साथ प्रतिस्पर्धा करने की कोशिश की, तो भाजपा को फायदा होगा.
उन्होंने कहा कि इसके बजाय, 'हम सभी को सभी लोकसभा सीट पर भाजपा के साथ प्रतिस्पर्धा करने की जरूरत है.' नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए एआईएमआईएम प्रमुख ने कहा कि वर्ष 2002 के गुजरात दंगे के समय बिहार के मुख्यमंत्री भाजपा के सहयोगी थे, उन्होंने भगवा पार्टी के साथ सरकारें बनाईं और अब उन्होंने किसी और से हाथ मिला लिया है.
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