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पहाड़ पर सेहत की सांस फूंक रही बाइक एंबुलेंस - बाइक एंबुलेंस

हिमाचल प्रदेश की कठिन भौगोलिक परिस्थियों के बीच बाइक एंबुलेंस मरीजों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. हिमाचल में यह सुविधा इसलिए कारगर साबित हो रही है क्योंकि यहां पहाड़ी रास्तों पर कई जगह रोड भी नहीं बने हैं. हिमाचल में सफल हुए इस प्रयोग के बाद नॉर्थ ईस्ट के राज्यों सहित पड़ोसी उत्तराखंड व जम्मू कश्मीर भी इसका अध्ययन कर अपने यहां बाइक एंबुलेंस मॉडल को लागू करेगा.

बाइक एंबुलेंस
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Published : Oct 27, 2021, 6:54 AM IST

शिमला : हिमाचल प्रदेश उत्तरी भारत का पहला राज्य है, जिसने कठिन भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए बाइक एंबुलेंस की सुविधा प्रदान की है. हिमाचल में यह प्रयोग इतना सफल रहा है कि मौके पर चिकित्सा सुविधा मिलने से 68 फीसदी लोगों को अस्पताल जाने की नौबत नहीं आई. यह सेवा पहाड़ में इतनी सफल रही है कि तीन साल की अवधि में ही 12 लाख के करीब लोगों ने कॉल करके चिकित्सा सहायता ली है.

बाइक एंबुलेंस का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसमें ट्रैफिक जाम भी बाधा नहीं बनता है. जिन मरीजों को तत्काल प्राथमिक चिकित्सा देने से राहत आ जाए, उनके लिए यह वरदान साबित हुई है. हिमाचल में सफल हुए इस प्रयोग के बाद नॉर्थ ईस्ट के राज्यों सहित पड़ोसी उत्तराखंड व जम्मू कश्मीर भी इसका अध्ययन कर अपने यहां बाइक एंबुलेंस मॉडल को लागू करेगा. हिमाचल के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. राजीव सैजल के अनुसार पहाड़ी राज्यों के लिए बाइक एंबुलेंस त्वरित चिकित्सा उपलब्ध करवाने का सबसे बढ़िया जरिया है. इसे प्रदेश के दुर्गम इलाकों तक विस्तारित किया जाएगा. शिमला में 9 स्थान ऐसे चिन्हित किए हैं जहां से मरीजों को आसानी से बाइक एंबुलेंस की सुविधा मिल सके.

उल्लेखनीय है कि तीन साल पहले शिमला से इस एंबुलेंस की शुरुआत की गई. शुरुआत में इसे शिमला शहर में चलाया गया देश में तमिलनाडु, कर्नाटक व गोवा के बाद हिमाचल चौथा राज्य है. जिसने यह सुविधा शुरू की है वहीं उत्तरी भारत का यह पहला राज्य है शिमला के बाद यह सुविधा मंडी व धर्मशाला में आरंभ की गई है. बाइक एंबुलेंस में ऑक्सीजन की सुविधा भी है. साथ ही गर्भवती महिलाओं के लिए आपात स्थिति में प्रसव करवाने के लिए आवश्यक किट भी मौजूद रहती है. शुरुआत में अकेले शिमला शहर में ही 2,165 मरीजों ने बाइक एंबुलेंस का लाभ उठाया.

इस सेवा का लाभ उठाने वाले संजौली के शनान इलाके के महेश कुमार ने बताया कि अक्टूबर महीने में अचानक रात के समय उसे पेट में दर्द हुई. सामान्य पेन कीलर लेने पर भी जब दर्द ना रुकी तो बाइक एंबुलेंस के लिए 108 पर कॉल किया. 15 मिनट के भीतर बाइक एंबुलेंस पहुंच गई. एंबुलेंस राइडर ने तुरंत उपचार देकर दर्द से राहत दिलाई. इंजेक्शन लगने से उनकी तबीयत सामान्य हो गई बाद में डॉक्टर से बात करके चिकित्सा परामर्श लेकर अस्पताल गए.

पढ़ें :- बीएचयू के पूर्व छात्रों की ओर से चलेगी एंबुलेंस, करेगी अपनों की मदद

हिमाचल में यह सुविधा इसलिए कारगर साबित हो रही है क्योंकि यहां पहाड़ी रास्तों पर कई जगह एंबुलेंस रोड भी नहीं बने हैं. ऐसे में किसी व्यक्ति को माइनर हार्ट अटैक या पेट में अचानक दर्द या किडनी स्टोन की दिक्कत हो तो मौके पर ही प्राथमिक उपचार मिलने से कीमती जान बचाई जा सकती है. हिमाचल में चल रही इस सेवा के तहत 41 प्रकार की दवाएं, इंजेक्शन व उपकरण एंबुलेंस में मौजूद रहते हैं. इसके अलावा प्राथमिक उपचार से संबंधित सामान उपलब्ध होता है. इसमें तैनात कर्मचारी 108 आपातकालीन प्रतिक्रिया केंद्र से निर्देश प्राप्त करने पर घटनास्थल पर पहुंचता है और अस्पताल से पूर्व की स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करता है. मरीज की स्थिति के आधार पर चार पहिया एंबुलेंस में इमरजेंसी मेडिकल तकनीशियन को सूचित करता है, यदि आवश्यक हो तो रोगी को नजदीकी अस्पताल में पहुंचाया जाता है.

अभी तक के अध्ययन से यह पाया गया है कि लोगों ने बहुत ही आपात स्थिति में इस सेवा पर भरोसा जताया है. 108 एंबुलेंस सेवा का डाटा एनालाइज करने से पता चला है कि सेवा के दौरान अधिकतम 24 प्रतिशत मामलें पेट दर्द, 14 प्रतिशत मामलें गैर-वाहन ट्रॉमा और नौ प्रतिशत मामले हार्ट अटैक एवं बेहोश होने के पाए गए. यह बाइक एंबुलेंस दवाइयों, चिकित्सा उपकरण तथा ऑक्सीजन की सुविधा सहित प्राथमिक पूर्व अस्पताल देखभाल सुविधाओं से सुसज्जित है.

पढ़ें :- नौसेना ने गंभीर रोगियों को ले जाने के लिये अपने हेलीकॉप्टर को एयर एंबुलेंस में बदला

इस सेवा का मुख्य उद्देश्य चौपहिया एंबुलेंस सेवा के अन्तर्गत कठिन स्थानों में आपात की स्थिति में मरीजों को दो पहिया वाहनों से आपात चिकित्सा व पूर्व अस्पताल देखभाल सेवा प्रदान करना है. बाइक एंबुलेंस में तैनात स्टाफ, मरीज को प्राथमिक उपचार तथा स्थिरता प्रदान करते हैं. इस सेवा के माध्यम से आपात स्थितियों में से 68 प्रतिशत मामलों में मरीजों को मौके पर पूर्व अस्पताल देखभाल प्रदान की गई तथा इसके उपरान्त मरीज को अस्पताल में ले जाने की आवश्यकता नहीं पाई गई. मात्र 32 प्रतिशत मरीजों को चौपहिया एंबुलेंस के माध्यम से पूर्व अस्पताल देखभाल प्रदान करते हुए इलाज के लिए नजदीकी अस्पताल में ले जाया गया.

बाइक एंबुलेंस अन्य राज्यों में संचालित बाइक एंबुलेंस की तर्ज पर व्यस्त पर्यटन समय तथा ट्रैफिक जाम के दौरान चिकित्सा-आपात स्थिति में प्रतिक्रिया समय कटौती करने में सहायक सिद्ध हो रही है. बाइक एंबुलेंस का एक सुनियोजित नेटवर्क सृजित किया गया है. शिमला शहर में नौ स्थानों को बाइक एंबुलेंस के लिए चिन्हित किया गया है. इस सेवा से प्रतिक्रिया समय में 33 प्रतिशत की कटौती करने से आपात-चिकित्सा स्थिति में मृत्यु एवं बीमारी को कम करने में सहायता मिलेगी.

स्वास्थ्य मंत्री राजीव सैजल ने बताया है कि प्रदेश में लोगों की सहायता के लिए 108 राष्ट्रीय एंबुलेंस सेवा के अन्तर्गत 198 एंबुलेंस का एक बड़ा नेटवर्क संचालित है. इस सेवा के आरम्भ होने के बाद 12 लाख से अधिक कॉल रिकॉर्ड किए गए और लगभग सभी मामलों में राहत प्रदान की गई. यह सेवा नाजुक परिस्थितियां विशेषकर गर्भवती महिलाओं के प्रसव मामलों में जीवन रक्षक सिद्ध हुई है.

शिमला : हिमाचल प्रदेश उत्तरी भारत का पहला राज्य है, जिसने कठिन भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए बाइक एंबुलेंस की सुविधा प्रदान की है. हिमाचल में यह प्रयोग इतना सफल रहा है कि मौके पर चिकित्सा सुविधा मिलने से 68 फीसदी लोगों को अस्पताल जाने की नौबत नहीं आई. यह सेवा पहाड़ में इतनी सफल रही है कि तीन साल की अवधि में ही 12 लाख के करीब लोगों ने कॉल करके चिकित्सा सहायता ली है.

बाइक एंबुलेंस का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसमें ट्रैफिक जाम भी बाधा नहीं बनता है. जिन मरीजों को तत्काल प्राथमिक चिकित्सा देने से राहत आ जाए, उनके लिए यह वरदान साबित हुई है. हिमाचल में सफल हुए इस प्रयोग के बाद नॉर्थ ईस्ट के राज्यों सहित पड़ोसी उत्तराखंड व जम्मू कश्मीर भी इसका अध्ययन कर अपने यहां बाइक एंबुलेंस मॉडल को लागू करेगा. हिमाचल के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. राजीव सैजल के अनुसार पहाड़ी राज्यों के लिए बाइक एंबुलेंस त्वरित चिकित्सा उपलब्ध करवाने का सबसे बढ़िया जरिया है. इसे प्रदेश के दुर्गम इलाकों तक विस्तारित किया जाएगा. शिमला में 9 स्थान ऐसे चिन्हित किए हैं जहां से मरीजों को आसानी से बाइक एंबुलेंस की सुविधा मिल सके.

उल्लेखनीय है कि तीन साल पहले शिमला से इस एंबुलेंस की शुरुआत की गई. शुरुआत में इसे शिमला शहर में चलाया गया देश में तमिलनाडु, कर्नाटक व गोवा के बाद हिमाचल चौथा राज्य है. जिसने यह सुविधा शुरू की है वहीं उत्तरी भारत का यह पहला राज्य है शिमला के बाद यह सुविधा मंडी व धर्मशाला में आरंभ की गई है. बाइक एंबुलेंस में ऑक्सीजन की सुविधा भी है. साथ ही गर्भवती महिलाओं के लिए आपात स्थिति में प्रसव करवाने के लिए आवश्यक किट भी मौजूद रहती है. शुरुआत में अकेले शिमला शहर में ही 2,165 मरीजों ने बाइक एंबुलेंस का लाभ उठाया.

इस सेवा का लाभ उठाने वाले संजौली के शनान इलाके के महेश कुमार ने बताया कि अक्टूबर महीने में अचानक रात के समय उसे पेट में दर्द हुई. सामान्य पेन कीलर लेने पर भी जब दर्द ना रुकी तो बाइक एंबुलेंस के लिए 108 पर कॉल किया. 15 मिनट के भीतर बाइक एंबुलेंस पहुंच गई. एंबुलेंस राइडर ने तुरंत उपचार देकर दर्द से राहत दिलाई. इंजेक्शन लगने से उनकी तबीयत सामान्य हो गई बाद में डॉक्टर से बात करके चिकित्सा परामर्श लेकर अस्पताल गए.

पढ़ें :- बीएचयू के पूर्व छात्रों की ओर से चलेगी एंबुलेंस, करेगी अपनों की मदद

हिमाचल में यह सुविधा इसलिए कारगर साबित हो रही है क्योंकि यहां पहाड़ी रास्तों पर कई जगह एंबुलेंस रोड भी नहीं बने हैं. ऐसे में किसी व्यक्ति को माइनर हार्ट अटैक या पेट में अचानक दर्द या किडनी स्टोन की दिक्कत हो तो मौके पर ही प्राथमिक उपचार मिलने से कीमती जान बचाई जा सकती है. हिमाचल में चल रही इस सेवा के तहत 41 प्रकार की दवाएं, इंजेक्शन व उपकरण एंबुलेंस में मौजूद रहते हैं. इसके अलावा प्राथमिक उपचार से संबंधित सामान उपलब्ध होता है. इसमें तैनात कर्मचारी 108 आपातकालीन प्रतिक्रिया केंद्र से निर्देश प्राप्त करने पर घटनास्थल पर पहुंचता है और अस्पताल से पूर्व की स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करता है. मरीज की स्थिति के आधार पर चार पहिया एंबुलेंस में इमरजेंसी मेडिकल तकनीशियन को सूचित करता है, यदि आवश्यक हो तो रोगी को नजदीकी अस्पताल में पहुंचाया जाता है.

अभी तक के अध्ययन से यह पाया गया है कि लोगों ने बहुत ही आपात स्थिति में इस सेवा पर भरोसा जताया है. 108 एंबुलेंस सेवा का डाटा एनालाइज करने से पता चला है कि सेवा के दौरान अधिकतम 24 प्रतिशत मामलें पेट दर्द, 14 प्रतिशत मामलें गैर-वाहन ट्रॉमा और नौ प्रतिशत मामले हार्ट अटैक एवं बेहोश होने के पाए गए. यह बाइक एंबुलेंस दवाइयों, चिकित्सा उपकरण तथा ऑक्सीजन की सुविधा सहित प्राथमिक पूर्व अस्पताल देखभाल सुविधाओं से सुसज्जित है.

पढ़ें :- नौसेना ने गंभीर रोगियों को ले जाने के लिये अपने हेलीकॉप्टर को एयर एंबुलेंस में बदला

इस सेवा का मुख्य उद्देश्य चौपहिया एंबुलेंस सेवा के अन्तर्गत कठिन स्थानों में आपात की स्थिति में मरीजों को दो पहिया वाहनों से आपात चिकित्सा व पूर्व अस्पताल देखभाल सेवा प्रदान करना है. बाइक एंबुलेंस में तैनात स्टाफ, मरीज को प्राथमिक उपचार तथा स्थिरता प्रदान करते हैं. इस सेवा के माध्यम से आपात स्थितियों में से 68 प्रतिशत मामलों में मरीजों को मौके पर पूर्व अस्पताल देखभाल प्रदान की गई तथा इसके उपरान्त मरीज को अस्पताल में ले जाने की आवश्यकता नहीं पाई गई. मात्र 32 प्रतिशत मरीजों को चौपहिया एंबुलेंस के माध्यम से पूर्व अस्पताल देखभाल प्रदान करते हुए इलाज के लिए नजदीकी अस्पताल में ले जाया गया.

बाइक एंबुलेंस अन्य राज्यों में संचालित बाइक एंबुलेंस की तर्ज पर व्यस्त पर्यटन समय तथा ट्रैफिक जाम के दौरान चिकित्सा-आपात स्थिति में प्रतिक्रिया समय कटौती करने में सहायक सिद्ध हो रही है. बाइक एंबुलेंस का एक सुनियोजित नेटवर्क सृजित किया गया है. शिमला शहर में नौ स्थानों को बाइक एंबुलेंस के लिए चिन्हित किया गया है. इस सेवा से प्रतिक्रिया समय में 33 प्रतिशत की कटौती करने से आपात-चिकित्सा स्थिति में मृत्यु एवं बीमारी को कम करने में सहायता मिलेगी.

स्वास्थ्य मंत्री राजीव सैजल ने बताया है कि प्रदेश में लोगों की सहायता के लिए 108 राष्ट्रीय एंबुलेंस सेवा के अन्तर्गत 198 एंबुलेंस का एक बड़ा नेटवर्क संचालित है. इस सेवा के आरम्भ होने के बाद 12 लाख से अधिक कॉल रिकॉर्ड किए गए और लगभग सभी मामलों में राहत प्रदान की गई. यह सेवा नाजुक परिस्थितियां विशेषकर गर्भवती महिलाओं के प्रसव मामलों में जीवन रक्षक सिद्ध हुई है.

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