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बिहार में प्रदर्शन करने वालों को सरकारी नौकरी नहीं! मचा सियासी घमासान

बिहार में कुछ फरमानों पर सियासी घमासान शुरू हो गया है. दरअसल एक पत्र जारी कर कहा गया था कि सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वालों पर आईटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया जाएगा. मामला ठंडा भी नहीं हुआ था कि अब विरोध प्रदर्शनों में शामिल होने वालों को सरकारी नौकरी, सरकारी ठेके नहीं देने की बात कही जा रही है. इस पर तेजस्वी ने नितीश की तुलना हिटलर-मुसोलनी से की है.

बिहार में सियासी घमासान
बिहार में सियासी घमासान
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Published : Feb 3, 2021, 5:47 PM IST

पटना : आप बिहार में रहते हैं. बिहार में सरकारी नौकरी करना चाहते हैं या ठेकेदारी करना चाहते हैं तो ये खबर आपके लिए है. कुछ दिन पहले ईओयू यानी आर्थिक अपराध इकाई के एडीजी ने एक पत्र जारी कर कहा था कि सरकार के किसी मंत्री, सांसद, विधायक या सरकारी अफसर की छवि धूमिल के आरोप में पोस्ट लिखने वालों पर आइटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया जाएगा.

इस पत्र के बाद बिहार में जमकर सियासी बवाल मचा. विपक्ष का आरोप था कि नीतीश सरकार इस पत्र के जरिए बिहार में सोशल मीडिया पर बैन लगा रही है.
मामले पर बवाल चल ही रहा था कि पुलिस मुख्यालय ने एक और फरमान जारी कर दिया. पत्र में लिखा है कि अगर कोई व्यक्ति किसी विधि-व्यवस्था की स्थिति, विरोध प्रदर्शन, सड़क जाम इत्यादि मामलों में संलिप्त होकर किसी आपराधिक कृत्य में शामिल होता है और उसे इस कार्य के लिए पुलिस द्वारा आरोप पात्रित किया जाता है तो उनके संबंध में चरित्र सत्यापन प्रतिवेदन में विशिष्ट एवं स्पष्ट रूप से प्रविष्टि की जाए.

ऐसे व्यक्तियों को गंभीर परिणामों के लिए तैयार रहना होगा क्योंकि उनमें सरकारी नौकरी/सरकारी ठेके आदि नहीं मिल पाएंगे.

अपने रिस्क पर कीजिए धरना-प्रदर्शन
इस पत्र से तो ऐसा ही लगता है कि अगर बिहार में रहना है, सरकारी नौकरी या ठेकेदारी करना है तो धरना-प्रदर्शन करने का अधिकार नहीं है. अगर प्रदर्शन करना है तो अपने रिस्क पर कर सकते हैं. प्रदर्शन करते पकड़े गए तो सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी, सरकारी ठेका भी नहीं मिलेगा. कैरेक्टर खराब हो जाएगा, इसके बाद तो आपका पासपोर्ट भी नहीं बनेगा.

ऐसे में विदेश भी नहीं जा सकते हैं. मतलब साफ है कि आपको वैसा कोई काम नहीं करना है, जिससे आपका आचरण प्रमाण पत्र खराब होता हो. पुलिस मुख्यालय द्वारा जारी इस पत्र में कड़े शब्दावली का इस्तेमाल किया गया है.

तेजस्वी ने की हिटलर-मुसोलनी से तुलना
मामले पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने ट्वीट में लिखा है 'मुसोलिनी और हिटलर को चुनौती दे रहे नीतीश कुमार कहते हैं अगर किसी ने सत्ता व्यवस्था के विरुद्ध धरना-प्रदर्शन कर अपने लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग किया तो आपको नौकरी नहीं मिलेगी. मतलब नौकरी भी नहीं देंगे और विरोध भी प्रकट नहीं करने देंगे. बेचारे 40 सीट के मुख्यमंत्री कितने डर रहे हैं?'

पढ़ें- मंत्रिमंडल विस्तार में देरी, जानें किस फॉर्मूले ने जेडीयू-बीजेपी में फंसाया पेंच?

बिहार में 'राइट टु फ्रीडम' का क्या होगा?
भारत में रहने वाले सभी लोगों को धरना-प्रदर्शन करना संवैधानिक अधिकार है. कानून के दायरे में शांतिपूर्ण तरीके से धरना-प्रदर्शन करने की छूट है. इसके तहत कोई भी शख्स कानून के दायरे में रहकर धरना, प्रदर्शन या फिर भाषण आदि दे सकता है.

अनुच्छेद-19 के तहत हर नागरिक को विचार और अभिव्यक्ति का अधिकार मिला हुआ है, लेकिन बिहार में 'राइट टु फ्रीडम' की गला घोंटा जा रहा है, इन पत्रों से तो ऐसा ही लग रहा है.

पटना : आप बिहार में रहते हैं. बिहार में सरकारी नौकरी करना चाहते हैं या ठेकेदारी करना चाहते हैं तो ये खबर आपके लिए है. कुछ दिन पहले ईओयू यानी आर्थिक अपराध इकाई के एडीजी ने एक पत्र जारी कर कहा था कि सरकार के किसी मंत्री, सांसद, विधायक या सरकारी अफसर की छवि धूमिल के आरोप में पोस्ट लिखने वालों पर आइटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया जाएगा.

इस पत्र के बाद बिहार में जमकर सियासी बवाल मचा. विपक्ष का आरोप था कि नीतीश सरकार इस पत्र के जरिए बिहार में सोशल मीडिया पर बैन लगा रही है.
मामले पर बवाल चल ही रहा था कि पुलिस मुख्यालय ने एक और फरमान जारी कर दिया. पत्र में लिखा है कि अगर कोई व्यक्ति किसी विधि-व्यवस्था की स्थिति, विरोध प्रदर्शन, सड़क जाम इत्यादि मामलों में संलिप्त होकर किसी आपराधिक कृत्य में शामिल होता है और उसे इस कार्य के लिए पुलिस द्वारा आरोप पात्रित किया जाता है तो उनके संबंध में चरित्र सत्यापन प्रतिवेदन में विशिष्ट एवं स्पष्ट रूप से प्रविष्टि की जाए.

ऐसे व्यक्तियों को गंभीर परिणामों के लिए तैयार रहना होगा क्योंकि उनमें सरकारी नौकरी/सरकारी ठेके आदि नहीं मिल पाएंगे.

अपने रिस्क पर कीजिए धरना-प्रदर्शन
इस पत्र से तो ऐसा ही लगता है कि अगर बिहार में रहना है, सरकारी नौकरी या ठेकेदारी करना है तो धरना-प्रदर्शन करने का अधिकार नहीं है. अगर प्रदर्शन करना है तो अपने रिस्क पर कर सकते हैं. प्रदर्शन करते पकड़े गए तो सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी, सरकारी ठेका भी नहीं मिलेगा. कैरेक्टर खराब हो जाएगा, इसके बाद तो आपका पासपोर्ट भी नहीं बनेगा.

ऐसे में विदेश भी नहीं जा सकते हैं. मतलब साफ है कि आपको वैसा कोई काम नहीं करना है, जिससे आपका आचरण प्रमाण पत्र खराब होता हो. पुलिस मुख्यालय द्वारा जारी इस पत्र में कड़े शब्दावली का इस्तेमाल किया गया है.

तेजस्वी ने की हिटलर-मुसोलनी से तुलना
मामले पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने ट्वीट में लिखा है 'मुसोलिनी और हिटलर को चुनौती दे रहे नीतीश कुमार कहते हैं अगर किसी ने सत्ता व्यवस्था के विरुद्ध धरना-प्रदर्शन कर अपने लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग किया तो आपको नौकरी नहीं मिलेगी. मतलब नौकरी भी नहीं देंगे और विरोध भी प्रकट नहीं करने देंगे. बेचारे 40 सीट के मुख्यमंत्री कितने डर रहे हैं?'

पढ़ें- मंत्रिमंडल विस्तार में देरी, जानें किस फॉर्मूले ने जेडीयू-बीजेपी में फंसाया पेंच?

बिहार में 'राइट टु फ्रीडम' का क्या होगा?
भारत में रहने वाले सभी लोगों को धरना-प्रदर्शन करना संवैधानिक अधिकार है. कानून के दायरे में शांतिपूर्ण तरीके से धरना-प्रदर्शन करने की छूट है. इसके तहत कोई भी शख्स कानून के दायरे में रहकर धरना, प्रदर्शन या फिर भाषण आदि दे सकता है.

अनुच्छेद-19 के तहत हर नागरिक को विचार और अभिव्यक्ति का अधिकार मिला हुआ है, लेकिन बिहार में 'राइट टु फ्रीडम' की गला घोंटा जा रहा है, इन पत्रों से तो ऐसा ही लग रहा है.

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