भोपाल। आपके शरीर में कौन सी बीमारी है इसका पता लगाने के लिए आपने ब्लड सैंपल कई बार दिया होगा, ब्लड सैंपल से कई गंभीर और सामान्य बीमारियों का आसानी से पता लग जाता है, लेकिन यह ब्लड सैंपल शरीर की किस नस से लिया जाए इसको लेकर अब एक शोध चल रहा है. यह रिसर्च भोपाल एम्स के फॉरेंसिक डिपार्टमेंट में किया जा रहा है, जिसमें फॉरेंसिक से जुड़े स्टूडेंट्स इस पर रिसर्च कर रहे हैं. इस रिसर्च को पूरा होने में फिलहाल समय लगेगा, लेकिन एम्स के डायरेक्टर अजय सिंह बताते हैं कि "डेड बॉडी पर अभी यह रिसर्च किया जा रहा है कि कौन सी नस के माध्यम से ब्लड सैंपल लेने पर ज्यादा बैक्टीरिया चेक किए जा सकते हैं और उनका रिजल्ट भी कम समय में मिल पाएगा. डेड बॉडी के ब्लड और टिशूज को माइक्रोस्कोप के माध्यम से कई मापदंडों के तहत रिसर्च किया जाता है और कई बेहतर परिणाम भी लगातार भोपाल एम्स के सामने आए हैं."
कैसे हो रहा है रिसर्च: एम्स के फॉरेंसिक डिपार्टमेंट में जहां पर डेडबॉडी होती है, वहां पर एक अलग से कक्ष इसके लिए बनाया गया है. यहां पर फॉरेंसिक डिपार्टमेंट के स्टूडेंट डेड बॉडी के ब्लड को इकट्ठा कर उसमें बैक्टीरिया की खोज करते हैं. यह ब्लड शरीर की अलग-अलग नसों से लिया जाता है, जिसमें कलाई, एल्बो के साथ ही शरीर के अन्य हिस्से शामिल हैं. नसों से सैंपल लिए जाने के बाद ब्लड से कई खोज की जाती है, फॉरेंसिक डिपार्टमेंट में अभी तक 30 से अधिक डेड बॉडी पर रिसर्च किया जा चुका है और आगे भी यह अभी चल रहा है. अभी गर्दन के नीचे से जाने वाली नसों से ब्लड लेकर शरीर में मौजूद बैक्टीरिया की क्वांटिटी चेक की जा रही है, गर्दन के नीचे भी तीन नसें होती है और 1-1 नस पर महीने भर रिसर्च होता है.
भोपाल एम्स रिसर्च के मामले में देश में दूसरे नंबर: एम्स भोपाल के डायरेक्टर बताते हैं कि "इस रिसर्च के सफल होने के बाद सभी को ब्लड सैंपल के माध्यम से बीमारियों का पता लगाने में आसानी हो जाएगी कि उनके शरीर में मौजूद बीमारियों और उस बैक्टीरिया की कितनी संख्या और क्या स्थिति है. भोपाल एम्स रिसर्च के मामले में देश में दूसरे नंबर पर आ गया है. देशभर में स्थापित एम्स में भोपाल एम्स ने पिछले 11 सालों में 250 से अधिक रिसर्च किए हैं और दुनियाभर में भी इन्हें प्रस्तुत किया है. यह सभी रिसर्च अलग-अलग विभागों के होते हैं, इसके अलावा अभी तक 150 से अधिक रिसर्च पेपर भी पब्लिक हो चुके हैं. कोविड के समय ही 100 से अधिक रिसर्च पेपर भोपाल एम्स ने प्रस्तुत किये थे, उस दौरान संक्रमण बड़ा तो बाकी के हमारे सभी डिपार्टमेंट के डॉक्टर को थोड़ा समय भी मिला कि हम कुछ और रिसर्च कर सकें. कोविड के समय 70 से अधिक रिसर्च यहां हुए थे. कोविड के दौरान भोपाल एम्स में ही पॉजिटिव डेड बॉडी पर परीक्षण किया गया था, जिसमें 21 कोविड पॉजिटिव बॉडी की ऑटोप्सी की गई थी. इसके बाद ही खुलासा हुआ था कि कोरोना सिर्फ फेफड़ों में ही नहीं, बल्कि हार्ट, लिवर, ब्रेन और किडनी में भी पहुंचता है और अपना असर दिखाता है."