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अरुणाचल के 'अगवा' युवकों का कोई सुराग नहीं, सेना के संपर्क में पुलिस

अरुणाचल प्रदेश पुलिस ने सोमवार को कहा कि भारत-चीन सीमा पर स्थित अपर सुबनसिरी जिले के एक गांव के पांच युवकों का कोई पता नहीं चल पाया है. इन युवकों को कथित तौर पर चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने अगवा किया है.

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अरुणाचल प्रदेश पुलिस
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Published : Sep 8, 2020, 9:31 AM IST

ईटानगर/बीजिंग : अरुणाचल प्रदेश के अपर सुबनसिरी जिले के नाचो इलाके के पांच ग्रामीण युवक कई दिनों से लापता हैं. सभी जंगल में शिकार करने गए थे, उन्हें कथित तौर पर पीएलए ने अगवा कर लिया. यह युवक सेना के लिए कुली और गाइड का काम करते थे. बीते शुक्रवार को उनके परिजनों ने सोशल मीडिया पर उनके लापता होने की जानकारी दी.

इनके समूह के दो सदस्य घर लौटे और उन्होंने बाकी के पांच युवकों के परिवारों को बताया कि सेरा-7 से चीन के सैनिक उन्हें ले गए. सेरा-7 सेना का गश्ती क्षेत्र है जो नाचो के उत्तर में 12 किमी की दूरी पर स्थित है.

नाचो मैकमोहन रेखा पर अंतिम प्रशासनिक क्षेत्र है और यह जिला मुख्यालय दापोरजियो से 120 किमी की दूरी पर स्थित है.

वहीं, चीन ने पांच युवकों को अगवा करने से पल्ला झाड़ लिया और कहा है कि उसने अरुणाचल प्रदेश को कभी मान्यता नहीं दी. चीन इस क्षेत्र को दक्षिण तिब्बत का हिस्सा मानता है.

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने बीजिंग में मीडिया ब्रीफिंग में कहा, 'चीन-भारत सीमा के पूर्वी सेक्टर या झांगनान (चीन के झिनजियांग (तिब्बत) के दक्षिणी हिस्से) पर चीन का रुख एक जैसा और स्पष्ट रहा है.' उन्होंने कहा कि चीन सरकार ने अरुणाचल प्रदेश को कभी मान्यता नहीं दी.

भारतीय नागरिकों के लापता होने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, 'आपने जिस स्थिति की चर्चा की, मैं उससे अवगत नहीं हूं.'

ऑल अरुणाचल प्रदेश स्टूडेंट यूनियन ने राज्य को 'दक्षिण तिब्बत' बताने संबंधी चीनी बयान की निंदा की.

केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि शायद अरुणाचल प्रदेश के अगवा किए गए पांच युवकों के बारे में भेजे गए 'हॉटलाइन मैसेज' का चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की ओर से जवाब आने का इंतजार किया जा रहा है.

रिजिजू ने रविवार को ट्वीट किया, 'भारतीय सेना ने अरुणाचल प्रदेश सीमा पर पीएलए के समकक्ष प्रतिष्ठान को हॉटलाइन पर संदेश भेजा है. जवाब का इंतजार है.'

यह घटना ऐसे समय में हुई है जब भारतीय सेना ने पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच तनावपूर्ण सीमा विवाद के मद्देनजर वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अपनी तैनाती बढ़ा दी है.

तेजपुर में रक्षा प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल हर्षवर्धन पांडे ने कहा, 'हमने अपने दलों को अलर्ट कर दिया है और वह असैन्य प्रशासन के संपर्क में लगातार बने हुए हैं. अपर सुबनसिरी के एसपी ने बताया कि उनके पास अभी तक लापता होने की शिकायत नहीं आई है.'

इससे पहले, इस घटना के बारे में अपर सुबनसिरी के पुलिस अधीक्षक तारू गुस्सार ने कहा, 'हमें स्थानीय सूत्रों से पता चला कि तागिन समुदाय के पांच लोगों को नाचो के निकट जंगल से पीएलए ने अगवा कर लिया. युवक वहां शिकार पर गए थे.'

उन्होंने कहा कि अभी तक किसी ने पुलिस के पास लापता की औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं करवाई है, सैन्य बलों के पास भी शिकायत नहीं आई है जो दोनों देशों के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर रणनीतिक महत्व के इलाकों की रक्षा करते हैं.

तारू गुस्सार ने कहा, 'हम तथ्य का सत्यापन करने की कोशिश कर रहे हैं और सेना के संपर्क में लगातार बने हुए हैं, क्योंकि स्थानीय लोगों को एलएसी से पीएलए द्वारा अगवा करने और बाद में छोड़े जाने की घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं.'

यह भी पढ़ें- जानें, क्यों भारत-चीन सैनिकों को मैकमोहन रेखा पर कर रहे हैं तैनात

जो युवक कथित तौर पर अगवा किए गए हैं उनकी पहचान टोच सिंगकम, प्रसात रिंगलिंग, डोंगटू एबिया, तनु बाकेर और गारू डिरी के रूप में हुई है.

ऑल अरुणाचल प्रदेश स्टुडेंट्स यूनियन ने घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया तथा केंद्र व राज्य सरकार से युवकों की जल्द एवं सुरक्षित रिहाई की मांग की. संगठन ने कहा, 'यह इस तरह की इकलौती घटना नहीं है, पहले भी पीएलए लगातार इस तरह की घटनाओं को अंजाम देती रही है.'

इससे पहले मार्च में भी पीएलए ने मैकमोहन लाइन के पास से एक युवक को पकड़ लिया था. उसे 19 दिन कैद में रखने के बाद छोड़ा गया था.

ईटानगर/बीजिंग : अरुणाचल प्रदेश के अपर सुबनसिरी जिले के नाचो इलाके के पांच ग्रामीण युवक कई दिनों से लापता हैं. सभी जंगल में शिकार करने गए थे, उन्हें कथित तौर पर पीएलए ने अगवा कर लिया. यह युवक सेना के लिए कुली और गाइड का काम करते थे. बीते शुक्रवार को उनके परिजनों ने सोशल मीडिया पर उनके लापता होने की जानकारी दी.

इनके समूह के दो सदस्य घर लौटे और उन्होंने बाकी के पांच युवकों के परिवारों को बताया कि सेरा-7 से चीन के सैनिक उन्हें ले गए. सेरा-7 सेना का गश्ती क्षेत्र है जो नाचो के उत्तर में 12 किमी की दूरी पर स्थित है.

नाचो मैकमोहन रेखा पर अंतिम प्रशासनिक क्षेत्र है और यह जिला मुख्यालय दापोरजियो से 120 किमी की दूरी पर स्थित है.

वहीं, चीन ने पांच युवकों को अगवा करने से पल्ला झाड़ लिया और कहा है कि उसने अरुणाचल प्रदेश को कभी मान्यता नहीं दी. चीन इस क्षेत्र को दक्षिण तिब्बत का हिस्सा मानता है.

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने बीजिंग में मीडिया ब्रीफिंग में कहा, 'चीन-भारत सीमा के पूर्वी सेक्टर या झांगनान (चीन के झिनजियांग (तिब्बत) के दक्षिणी हिस्से) पर चीन का रुख एक जैसा और स्पष्ट रहा है.' उन्होंने कहा कि चीन सरकार ने अरुणाचल प्रदेश को कभी मान्यता नहीं दी.

भारतीय नागरिकों के लापता होने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, 'आपने जिस स्थिति की चर्चा की, मैं उससे अवगत नहीं हूं.'

ऑल अरुणाचल प्रदेश स्टूडेंट यूनियन ने राज्य को 'दक्षिण तिब्बत' बताने संबंधी चीनी बयान की निंदा की.

केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि शायद अरुणाचल प्रदेश के अगवा किए गए पांच युवकों के बारे में भेजे गए 'हॉटलाइन मैसेज' का चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की ओर से जवाब आने का इंतजार किया जा रहा है.

रिजिजू ने रविवार को ट्वीट किया, 'भारतीय सेना ने अरुणाचल प्रदेश सीमा पर पीएलए के समकक्ष प्रतिष्ठान को हॉटलाइन पर संदेश भेजा है. जवाब का इंतजार है.'

यह घटना ऐसे समय में हुई है जब भारतीय सेना ने पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच तनावपूर्ण सीमा विवाद के मद्देनजर वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अपनी तैनाती बढ़ा दी है.

तेजपुर में रक्षा प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल हर्षवर्धन पांडे ने कहा, 'हमने अपने दलों को अलर्ट कर दिया है और वह असैन्य प्रशासन के संपर्क में लगातार बने हुए हैं. अपर सुबनसिरी के एसपी ने बताया कि उनके पास अभी तक लापता होने की शिकायत नहीं आई है.'

इससे पहले, इस घटना के बारे में अपर सुबनसिरी के पुलिस अधीक्षक तारू गुस्सार ने कहा, 'हमें स्थानीय सूत्रों से पता चला कि तागिन समुदाय के पांच लोगों को नाचो के निकट जंगल से पीएलए ने अगवा कर लिया. युवक वहां शिकार पर गए थे.'

उन्होंने कहा कि अभी तक किसी ने पुलिस के पास लापता की औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं करवाई है, सैन्य बलों के पास भी शिकायत नहीं आई है जो दोनों देशों के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर रणनीतिक महत्व के इलाकों की रक्षा करते हैं.

तारू गुस्सार ने कहा, 'हम तथ्य का सत्यापन करने की कोशिश कर रहे हैं और सेना के संपर्क में लगातार बने हुए हैं, क्योंकि स्थानीय लोगों को एलएसी से पीएलए द्वारा अगवा करने और बाद में छोड़े जाने की घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं.'

यह भी पढ़ें- जानें, क्यों भारत-चीन सैनिकों को मैकमोहन रेखा पर कर रहे हैं तैनात

जो युवक कथित तौर पर अगवा किए गए हैं उनकी पहचान टोच सिंगकम, प्रसात रिंगलिंग, डोंगटू एबिया, तनु बाकेर और गारू डिरी के रूप में हुई है.

ऑल अरुणाचल प्रदेश स्टुडेंट्स यूनियन ने घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया तथा केंद्र व राज्य सरकार से युवकों की जल्द एवं सुरक्षित रिहाई की मांग की. संगठन ने कहा, 'यह इस तरह की इकलौती घटना नहीं है, पहले भी पीएलए लगातार इस तरह की घटनाओं को अंजाम देती रही है.'

इससे पहले मार्च में भी पीएलए ने मैकमोहन लाइन के पास से एक युवक को पकड़ लिया था. उसे 19 दिन कैद में रखने के बाद छोड़ा गया था.

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