हैदराबाद : विश्व सुनामी जागरूकता दिवस पांच नवंबर 2020 को होने वाले एशियाई मंत्रिस्तरीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण (AMCDRR) 2016, सम्मेलन के दौरान मनाया जाएगा. विश्व सुनामी जागरूकता दिवस 'सेनडाई सेवेन अभियान' के लक्ष्य (ई) को बढ़ावा देगा. यह दुनिया के सभी देशों को प्रोत्साहित करेगा कि 2020 के अंत तक आपदाओं के कारण मरने वाले लोगों का जीवन बचाने के लिए और स्थानीय आपदा जोखिम को कम करने के लिए सभी देश अपना योगदान दें.
एक अनुमान के मुताबिक वर्ष 2030 तक विश्व की 50 प्रतिशत आबादी तटीय क्षेत्रों में बाढ़, तूफान और सुनामी का सामना करेगी.
इतिहास
सुनामी शब्द जापानी शब्द से बनाया गया है, जिसमें 'tsu' का अर्थ बंदरगाह और 'nami' का अर्थ लहर होता है.
सुनामी पानी के भीतर एक अशांति द्वारा निर्मित लहरों की एक श्रृंखला होती है, जो आमतौर पर समुद्र के नीचे या उसके पास आने वाले भूकंपों से जुड़ी होती है.
इसके अलावा ज्वालामुखी विस्फोट, पनडुब्बी भूस्खलन और तटीय चट्टान गिरने से भी सुनामी उत्पन्न हो सकती है, क्योंकि इससे समुद्र में बड़े पैमाने पर क्षुद्रग्रह (asteroid ) प्रभावित हो सकते हैं.
सुनामी लहरें अक्सर पानी की दीवारों की तरह दिखाई देती हैं और हर 5 से 60 मिनट तक आने वाली लहरों से तटरेखा पर हमला कर सकती हैं.
जरूरी नहीं है कि सुनामी की पहली लहर ही सबसे ऊंची हो. अक्सर दूसरी, तीसरी और चौथी लहर या उसके बाद आने वाली लहरें सबसे ऊंची उठ सकती हैं.
एक लहर में आई बाढ़ या अंतर्देशीय बाढ़ के बाद यह अक्सर समुद्र की ओर झुकती है और वह इलाका सीफ्लोर की तरह दिखाई देता है. इसके कुछ देर बाद एक और लहर उठती है, जो पिछले लहर द्वारा बनाए गए मलबे को पानी में समा लेती है.
कैसे आती है सुनामी
भूकंप
सुनामी के लिए समुद्र के नीचे भूंकप होना चाहिए. रिक्टर स्केल पर भूकंप का कम से कम परिणाम 6.5 होना चाहिए. भूकंप को पृथ्वी की सतह को तोड़ना चाहिए और पृथ्वी की सतह से 70 किमी से कम गहराई पर होना चाहिए.
भूस्खलन
तट पर जो भूस्खलन होता है वह बड़ी मात्रा में समुद्र के पानी को अशांत कर उसमें एक सुनामी उत्पन्न कर सकता है.
भूस्खलन के कारण समुंद्र में मौजूद पद्वार्थ जब ढीला होता है और आक्रामकता के साथ आगे बढ़ता है. इसके परिणाम स्वरूप समुद्र में सुनामी लहरें उठ सकती हैं.
ज्वालामुखी विस्फोट
हालांकि, अपेक्षाकृत अनियंत्रित, हिंसक ज्वालामुखी विस्फोट भी सुनामी को बढ़ावा देते हैं. यह ज्वालामुखी विस्फोट पानी की एक बड़ी मात्रा को विस्थापित कर सकते हैं और बेहद विनाशकारी सुनामी लहरें उत्पन्न कर सकते हैं.
अब तक दर्ज किया गया सबसे बड़ा और सबसे विनाशकारी सूनामी 26 अगस्त, 1883 को इंडोनेशिया में क्राकाटोआ (क्राकाटाऊ) ज्वालामुखी विस्फोट से उत्पन्न हुई. इस विस्फोट ने 135 फीट तक पहुंचने वाली लहरें उत्पन्न कीं और जावा और सुमात्रा दोनों द्वीपों में सुंडा जलडमरूमध्य के साथ तटीय शहरों और गांवों को नष्ट कर दिया था. इस सुनामी में 36,417 लोग मारे गए थे.
एक्सट्रैटरैस्ट्रियल टकराव
एक्सट्रैटरैस्ट्रियल टक्कर (यानी क्षुद्रग्रह, उल्का) के कारण सुनामी आना एक अत्यंत दुर्लभ घटना है. हालांकि, हाल में कोई उल्का/क्षुद्रग्रह-प्रेरित सूनामी दर्ज नहीं की गई है. हालांकि वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर यह आकाशीय पिंड समुद्र में टकराए, तो इससे एक भयानक सुनामी आ सकती है, जो बहुत अधिक तबाही कर सकती है.
सुनामी से जुड़े तथ्य
एक सुनामी समुद्री लहरों की एक श्रृंखला है, जो पानी के नीचे भूकंप, भूस्खलन, या ज्वालामुखी विस्फोट के कारण होती है.
शायद ही कभी समुद्र के साथ एक विशाल उल्का प्रभाव से एक सुनामी उत्पन्न हो सकती है.
ये तरंगें 100 फीट से अधिक ऊंचाई तक पहुंच सकती हैं. लगभग 80 फीसदी सुनामी प्रशांत महासागर के 'रिंग ऑफ फायर' के भीतर होती हैं. सुनामी की पहली लहर आमतौर पर सबसे मजबूत नहीं होती है, एक के बाद एक लगातार बड़ी और मजबूत लहरें आती रहती हैं.
सुनामी एक जेट विमान की तरह लगभग 500 मील या 805 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से यात्रा कर सकती हैं.
हवाई, अलास्का, वॉशिंगटन, ओरेगन और कैलिफोर्निया सूनामी के लिए सबसे अधिक जोखिम वाले राज्यों में शामिल हैं.
अगर आप सुनामी लहरों में फंस जाते हैं, तो आपको तैरना नहीं, बल्कि तैरती हुई वस्तु को पकड़ना लेना और उसके साथ बह जाना बेहतर होता है.
वैज्ञानिक पानी की गहराई, एक स्थान से दूसरे स्थान की दूरी और भूकंप या अन्य घटना घटने के समय की गणना के आधार पर इस बात का अदांजा लगा सकते हैं कि सुनामी कब आएगी.
हवाई उच्च जोखिम वाला इलाका है. वहां प्रति वर्ष लगभग एक और हर सात साल में एक गंभीर सुनामी आती है.
हवाई में 1946 में आई सबसे बड़ी सुनामी आई थी. इस सुनामी ने हिलो द्वीप के तट को 30 फीट की लहरों और 500 मील प्रति घंटे रफतार से तबाह कर दिया था.
इसके अलावा 2004 में हिंद महासागर आई सुनामी की ताकत 23,000 परमाणु बमों की ऊर्जा के बराबर थी. भूकंप के बाद उपरिकेंद्र से निकलने वाली जानलेवा तरंगों ने 11 देशों के समुद्र तट पर कोहराम मचाया और कुल 283,000 लोगों की जान ले ली.