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1874 से वैज्ञानिक जेम्स जॉब की याद में 'धड़क' रही यह घड़ी...

16वीं शताब्दी के वैज्ञानिक जेम्स जॉब की याद में 1871 में लंदन से एक घड़ी देहरादून मगंवाई गई थी, जो आजतक चल रही है. इस तरह की दुनिया में दो ही घड़ियां हैं. एक लंदन के घंटाघर पर लगी हुई है और दूसरी देहरादून में है.

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घड़ी
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Published : Feb 29, 2020, 11:32 PM IST

Updated : Mar 3, 2020, 12:34 AM IST

देहरादून : आप ने घड़ियों के इतिहास व उनके बारे में काफी सुना और पढ़ा होगा. लेकिन आज हम आपको विश्व की सबसे पुरानी घड़ी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में शायद अपने कहीं नहीं पढ़ा होगा. इस घड़ी की खासियत यह है कि ये आज भी चल रही है. दुनिया में सिर्फ दो ही ऐसी घड़ियां हैं, जो हर 15 मिनट में घंटा बजाकर समय बताती हैं. इसमें से एक लंदन के घंटाघर पर लगी हुई, जबकि दूसरी देहरादून के सर्वे ऑफ इंडिया के भवन पर लगी है.

यह घड़ी वैज्ञानिक जेम्स जॉब के दोस्तों ने उनके निधन के बाद 1871 में उनकी याद में लंदन से मगंवाई थी. तब उसकी कीमत दो हजार रुपए थी. 1874 में देहरादून के सर्वे ऑफ इंडिया संस्थान ने इस घड़ी को घंटाघर नुमा भवन के उपर स्थापित किया था. तब से लेकर आज तक ये घड़ी चल रही है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

पढ़ें- वैश्विक जल संकट : बूंद-बूंद गिरते पानी से बढ़ेगी चुनौती

पेंडुलम के मूवमेंट में चलती है घड़ी
जानकार बताते हैं कि वैज्ञानिक जेम्स जॉब की रिसर्च की यादों को ताजा रखने के लिए यह घड़ी लंदन से मंगवाई गई थी. इस घड़ी की सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये पेंडुलम के मूवमेंट से काम करती है.

वैज्ञानिक जेम्स जॉब पेंडुलम के मूवमेंट से ही पृथ्वी की ग्रेविटी का एक्युरेसी निकालने के कार्य में जुटे थे. इसीलिए जेम्स के निधन के बाद उनके दोस्तों ने उनकी रिसर्च को ताजा रखने के लिए पेंडुलम से चलने वाली ये घड़ी यहां स्थापित की थी.

ऐसे काम करती है ये घड़ी
सर्वे ऑफ इंडिया के वैज्ञानिक अरुण कुमार के मुताबिक घड़ी से नीचे एक लंबी सितार के द्वारा सुबह नौ बजे इसे खींचा जाता है तो घंटी बजती है. इसके बाद उनके ऑफिस का समय शुरू होता है. इसके बाद एक बजे फिर खींचा जाता है, जो लंच समय बताता है.

इतना ही नहीं शाम को 5.30 बजे ऑफिस समाप्त होने के समय भी इसी घड़ी की लंबी तार को खींचकर घंटा बजाया जाता है. हालांकि, बदले दौर के साथ सर्वे ऑफ इंडिया में ड्यूटी बायोमैट्रिक सिस्टम से चलती है. लेकिन आज भी वैज्ञानिक जेम्स की याद में वे इस घड़ी का इस्तेमाल कर रहे हैं. यही कारण है कि 1874 से ये घड़ी उसी तरह चल रही है.

देहरादून : आप ने घड़ियों के इतिहास व उनके बारे में काफी सुना और पढ़ा होगा. लेकिन आज हम आपको विश्व की सबसे पुरानी घड़ी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में शायद अपने कहीं नहीं पढ़ा होगा. इस घड़ी की खासियत यह है कि ये आज भी चल रही है. दुनिया में सिर्फ दो ही ऐसी घड़ियां हैं, जो हर 15 मिनट में घंटा बजाकर समय बताती हैं. इसमें से एक लंदन के घंटाघर पर लगी हुई, जबकि दूसरी देहरादून के सर्वे ऑफ इंडिया के भवन पर लगी है.

यह घड़ी वैज्ञानिक जेम्स जॉब के दोस्तों ने उनके निधन के बाद 1871 में उनकी याद में लंदन से मगंवाई थी. तब उसकी कीमत दो हजार रुपए थी. 1874 में देहरादून के सर्वे ऑफ इंडिया संस्थान ने इस घड़ी को घंटाघर नुमा भवन के उपर स्थापित किया था. तब से लेकर आज तक ये घड़ी चल रही है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

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पेंडुलम के मूवमेंट में चलती है घड़ी
जानकार बताते हैं कि वैज्ञानिक जेम्स जॉब की रिसर्च की यादों को ताजा रखने के लिए यह घड़ी लंदन से मंगवाई गई थी. इस घड़ी की सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये पेंडुलम के मूवमेंट से काम करती है.

वैज्ञानिक जेम्स जॉब पेंडुलम के मूवमेंट से ही पृथ्वी की ग्रेविटी का एक्युरेसी निकालने के कार्य में जुटे थे. इसीलिए जेम्स के निधन के बाद उनके दोस्तों ने उनकी रिसर्च को ताजा रखने के लिए पेंडुलम से चलने वाली ये घड़ी यहां स्थापित की थी.

ऐसे काम करती है ये घड़ी
सर्वे ऑफ इंडिया के वैज्ञानिक अरुण कुमार के मुताबिक घड़ी से नीचे एक लंबी सितार के द्वारा सुबह नौ बजे इसे खींचा जाता है तो घंटी बजती है. इसके बाद उनके ऑफिस का समय शुरू होता है. इसके बाद एक बजे फिर खींचा जाता है, जो लंच समय बताता है.

इतना ही नहीं शाम को 5.30 बजे ऑफिस समाप्त होने के समय भी इसी घड़ी की लंबी तार को खींचकर घंटा बजाया जाता है. हालांकि, बदले दौर के साथ सर्वे ऑफ इंडिया में ड्यूटी बायोमैट्रिक सिस्टम से चलती है. लेकिन आज भी वैज्ञानिक जेम्स की याद में वे इस घड़ी का इस्तेमाल कर रहे हैं. यही कारण है कि 1874 से ये घड़ी उसी तरह चल रही है.

Last Updated : Mar 3, 2020, 12:34 AM IST
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