हैदराबाद : परिवार में जब एक बच्चे का जन्म होता है, तो वह ढेर सारी खुशियों के साथ-साथ कई जिम्मेदारियां भी लाता है. इसके अलावा माता-पिता की कई चिंताएं भी बढ़ जाती हैं. ऐसे में माता-पिता के मन में कई सवाल उठते हैं, बच्चे को क्या खिलाना है? कितना खिलाना है? कब खिलाना है? आदि. इन्हीं सारे सवालों के मद्देनजर ईटीवी भारत ने हैदराबाद के रेनबो चिल्ड्रन्स हॉस्पिटल में शिशु रोग विशेषज्ञ और कंसल्टेंट नियोनेटोलॉजिस्ट डॉ विजयानंद जमालपुरी से खास बातचीत की.
इस बातचीत में डॉ विजयानंद ने बच्चों को कैसे, क्या और कब खिलाना चाहिए, इस पर उपयोगी और कारगर टिप्स दिए हैं.
उन्होंने कहा, 'डॉक्टरों के साथ-साथ डब्ल्यूएचओ भी पहले छह महीने तक बच्चे के लिए मां के दूध की ही सलाह देता है. यह बच्चों के लिए एकमात्र ऐसा आहार है, जो प्रारंभिक अवस्था में आवश्यक होता है. मां का दूध सभी आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर होता है और क्योंकि बच्चों का पेट अभी ठोस पदार्थ खाने लायक नहीं होता इसलिए हमें उन्हें सिर्फ मां का दूध ही देना चाहिए.'
मां का दूध बच्चे को संक्रमण और एलर्जी से लड़ने में भी मदद करता है. यह न केवल बच्चे की सेहत को लाभ पहुंचाता है, बल्कि मां और बच्चे के बीच एक बंधन भी बनाता है. जन्म के समय बच्चे को दिया जाने वाला सबसे अच्छा उपहार मां का दूध ही है.
जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है, फिर मां का दूध बच्चे के लिए पर्याप्त नहीं होता. छह महीने की उम्र के बाद बच्चे के लिए दूध और अन्य डेयरी उत्पादों के सेवन के साथ कुछ ठोस पदार्थों का सेवन भी शुरू करना महत्वपूर्ण हो जाता है.
डॉ विजयानंद ने इन सुझावों को ध्यान में रखने की सलाह दी :
- छह महीने के बाद बच्चे को मां के दूध के साथ कुछ ठोस पदार्थ देना जरूरी है.
- गाय और भैंस के दूध में ज्यादा अंतर नहीं होता है. उनमें से किसी का भी दूध बच्चे को एक वर्ष की आयु के बाद दिया जा सकता है.
- दूध के साथ-साथ ठोस खाद्य पदार्थों का भी सेवन जरूरी है. इसलिए दोनों का ही उचित मात्रा में बच्चे को दिया जाना महत्वपूर्ण है.
- दूध के अलावा पनीर, दही, घी, मक्खन जैसे डेयरी उत्पादों को भी आहार में शामिल किया जाना चाहिए.
- पैकेट में उपलब्ध दूध का भी सेवन किया जा सकता है. हालांकि, दूधवाले से खरीदे हुए दूध को सेवन करने से पहले ठीक से उबाल लेना चाहिए.
- फॉर्मूला दूध जिसे आमतौर पर मिल्क पाउडर भी कहते हैं, यह बहुत फायदेमंद नहीं है. इसलिए इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
- अगर बच्चे छह महीने के बाद ठोस खाद्य पदार्थों का सेवन करने लगे, तो फिर धीरे-धीरे दूध की मात्रा को कम करना चाहिए.
- एक वर्ष की आयु के बाद दूध की अनुशंसित मात्रा 300 से 400 मिली प्रतिदिन होती है. इसलिए बच्चे को इतने दूध का सेवन कराना चाहिए.
- हालांकि उपरोक्त मात्रा से थोड़ा कम या अधिक दूध भी हानिकारक नहीं होगा. इसलिए माता-पिता को इसे हर समय मापने की आवश्यकता नहीं है.
- यदि बच्चे को दूध का स्वाद पसंद नहीं है, तो आप इसमें कुछ फ्लेवर डालकर या मिल्कशेक बनाकर भी बच्चे को दे सकते हैं, लेकिन दूध कैल्शियम और अन्य पोषक तत्वों का एक महत्वपूर्ण स्रोत होता है और इसका सेवन बढ़ते बच्चों के लिए महत्वपूर्ण है.
- बच्चों को बिना चीनी मिलाए दूध देना ज्यादा फायदेमंद होता है, क्योंकि दूध में प्राकृतिक तौर पर थोड़ी मिठास होती है.
- इस प्रकार दूध कैल्शियम, विटामिन और प्रोटीन का एक अनिवार्य स्रोत है, जो हड्डियों के लिए आवश्यक है. इसका सेवन सभी उम्र के लोगों को करना चाहिए.
इसके अलावा डॉ विजयानंद कहते हैं कि मां का दूध शिशु के लिए विशेष आहार है. उन्होंने कहा कि साथ ही हमें मिलावटी दूध से दूर रहना चाहिए. डॉ विजयानंद ने बताया कि दूध में बहुत ज्यादा पानी या चीनी मिलाना सेहत के लिए हानिकारक होता है.
साथ ही उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि माता-पिता को यह भी ध्यान में रखा जाना चाहिए कि एक वर्ष की आयु के बाद बहुत अधिक दूध का सेवन भी बच्चे के स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है.