लंदन: भगोड़ा शराब कारोबारी विजय माल्या के केस में लंदन की रॉयल कोर्ट ऑफ जस्टिस ने फैसला सुनाया है. इसमें माल्या को प्रत्यर्पित किए जाने से राहत दे दी गई है. माल्या ने खुद को भारत प्रत्यर्पित किए जाने के फैसले के खिलाफ अपील की अनुमति मांगी थी.
मंगलवार को ब्रिटेन में जॉर्ज लेग्गट और एंड्रयू पॉपवेल की कोर्ट ने माल्या को प्रत्यर्पण आदेश के खिलाफ अपील करने की अनुमति दे दी. न्यायालय की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि 63 वर्षीय पूर्व किंगफिशर एयरलाइंस के मालिक को निचली अदालत द्वारा किए गए कुछ साक्ष्यों और व्याख्याओं को स्वीकार किया जाता है.
इससे पहले ब्रिटेन के गृह सचिव साजिद जाविद ने माल्या के प्रत्यर्पण आदेश पर हस्ताक्षर किए थे. इसके मुताबिक माल्या को भारत में 9,000 करोड़ रुपये की कथित धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों का सामना करने के लिए प्रत्यर्पित किया जाना था.
मंगलवार को कोर्ट ने सुनवाई के लिए समय सीमा को आगे बढ़ाने और अपील करने के लिए एक मसौदा प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं. इस मामले पर माल्या ने कहा कि वो बैंकों को उनका बकाया चुकाने को तैयार हैं. इस केस में लंदन उच्च न्यायालय अब विस्तृत सुनवाई करेगा.
इससे पहले कोर्ट के बाहर सुनवाई से पहले माल्या ने कहा कि वह हर स्थिति के लिए तैयार है. वह कानूनी विकल्पों का पूरा उपयोग करेंगे.
सुनवाई के दौरान माल्या मीडिया कर्मियों के सवालों से बचते भी दिखे.
बता दें कि केस लंबित रहने के दौरान विजय माल्या कई मौकों पर सोशल मीडिया में '100 फीसदी पैसे वापस करने' का जिक्र कर चुके हैं. माल्या ने भारत के कई बैंकों से अपनी कंपनी किंगफिशर एयरलाइंस को बचाने के लिए ऋण लिए थे.
माल्या अभी भी जमानत पर हैं. उन्हें अप्रैल, 2017 में स्कॉटलैंड यार्ड से जारी प्रत्यर्पण वारंट के आधार पर जमानत मिली है. इसके लिए माल्याने 6 लाख 50 हजार पाउंड का बेल बॉन्ड भरा था. जमानत के दौरान माल्या की यात्रा पर बंदिशें भी लागू हैं.
इससे पहले ब्रिटेन के उच्च न्यायालय में मंगलवार को संकट में फंसे भारतीय शराब कारोबारी विजय माल्या के मामले पर सुनवाई शुरू हुई. माल्या के साथ उनके बेटे सिद्धार्थ भी दिखे.
बता दें कि माल्या को कथित रूप से 9,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी और मनी लांड्रिंग के मामले का सामना करने के लिए भारत को सौंपा जाना है.
बंद हो चुकी किंगफिशर एयरलाइंस के पूर्व प्रमुख 63 वर्षीय माल्या ने कहा कि जब उन्होंने रॉयल्स कोर्ट आफ जस्टिस में प्रवेश किया तो वह काफी सकारात्मक महसूस कर रहे थे.
अदालत में न्यायमूर्ति जॉर्ज लेगाट तथा एंड्रूय पॉपलवेल ने माल्या की वकील क्लेयर मॉन्टगोमेरी की दलीलें सुननी शुरू कीं. पहले ही दस्तावेज के जरिये अपील करने की छूट के मामले में ब्रिटेन के उच्च न्यायालय में हार चुके हैं.
पढ़ें- माल्या को ब्रिटेन से मिली बड़ी राहत, प्रत्यर्पण के खिलाफ कर सकेंगे अपील
लंदन में रॉयल कोर्ट आफ जस्टिस के प्रशासनिक अदालत खंड की दो जजों की पीठ अप्रैल में दायर इस अपील पर सुनवाई करेगी.
उन्होंने अदालत से कहा कि प्रत्यर्पण का आग्रह करने वाली भारत सरकार या ब्रिटेन के गृह मंत्री ने इसमें प्रतिनिधित्व नहीं करने का फैसला किया है. ऐसे में यह संकेत मिलता है कि माल्या के बचाव पक्ष को ही निचली अदालत के प्रत्यर्पण के आदेश के खिलाफ अपील की अनुमति का आधार पेश करना है.
पिछले साल दिसंबर में हुई सुनवाई के दौरान लंदन की वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट ने माल्या को प्रथम दृष्ट्या दोषी करार दिया था. लगभग साल भर चले प्रत्यर्पण ट्रायल के बाद जज अर्बुथनॉट ने माल्या के खिलाफ 'प्रचार और ऋण राशि के दुरुपयोग के स्पष्ट प्रमाण' होने की बात कही थी.
सुनवाई के दौरान क्राउन प्रॉजिक्यूसन सर्विस (CPS) ने माल्या के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला और धन को लूटने की साजिश का आरोप लगाया था. जज अर्बुथनॉट ने माल्या के खिलाफ प्रथम दृष्ट्या इन आरोपों को सही माना था.