नई दिल्ली : दिल्ली के मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज में सामुदायिक चिकित्सा की निदेशक और प्रमुख डॉ. सुनीला गर्ग ने कहा, जो कंपनियां वैक्सीन बना रही हैं, वह उनके रखने की व्यवस्था भी कर रही हैं. हालांकि, अमेरिकी दवा कंपनी मॉडर्ना ने दावा किया है कि वह ऐसा वैक्सीन बना रही है जो सामान्य फ्रिज में 2 से 8 डिग्री सेल्सियस में रखा जा सकेगा. जायडस कैडिला और अन्य कंपनियां भी ऐसा कर रही हैं. ये भारत के लिए ज्यादा अच्छा है.
फाइजर ऐसा टीका बना रही है जिसे माइनस 80 डिग्री सेल्सियस में रखना जरूरी है. भारत के लिए इतने कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था करना काफी कठिन है. डॉ. सुनीला गर्ग ने कहा कि भारत को अपनी 828 मिलियन जनसंख्या के लिए शुरू में कोविड-19 वैक्सीन की 1.7 बिलियन खुराक की आवश्यकता है. इसमें 80 प्रतिशत आबादी 14 साल से अधिक उम्र की है. 828 मिलियन लोगों को टीके के दो खुराक की आवश्यकता है, ऐसे में भारत को अलग-अलग टीकों पर विचार करने की जरूरत है, क्योंकि उनमें भंडारण की अलग स्थिति है.
कोविड-19 वैक्सीन बहुत संवेदनशील है, ऐसे में इनको उपभोक्ता तक पहुंचाने में बहुत सतर्कता रखनी होगी. मॉडर्ना को -20 डिग्री सेल्सियस के नीचे परिवहन की जरूरत होती है और इसे 2-8 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर 30 दिन तक स्टोर किया जा सकेगा.
स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों का भी कर सकते हैं उपयोग
डॉ. सुनीला गर्ग ने कहा कि हमारे पास बहुत मजबूत कोल्ड-सप्लाई चेन है. टियर 1 और 2 शहरों में अच्छी सुविधाएं हैं, लेकिन टियर 3 और 4 शहरों को देखने की जरूरत है. सार्वजनिक और निजी भागीदारी इस क्षेत्र में एक बड़ी भूमिका निभाएगी. हम आयुष्मान भारत योजना के तहत स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों का भी उपयोग कर सकते हैं. डॉ. गर्ग ने कहा कि भारत ने पहले से ही यूनिवर्सल इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम (यूआईपी) का संचालन किया है जो 28000 से अधिक कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था से चला है, ऐसे में यूआईपी की विशेषज्ञता भारत के लिए एक महत्वपूर्ण बिंदु होगी.
वैक्सीन जल्द लोगों तक पहुंचाने की हो रही तैयारी
स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों ने भी इस बात की पुष्टि की है कि केंद्र सरकार ने देशभर में जल्द से जल्द वैक्सीन पहुंचाने के लिए चेन स्टोरेज की सुविधा देने की व्यापक कवायद की है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने वैक्सीन के लिए आवश्यक अतिरिक्त कोल्ड चेन स्पेस योजना शुरू की है.
पढे़ं- विकासशील देशों में वैक्सीन वितरण को एडीबी ने 2.03 करोड़ डॉलर आवंटित किए