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चीन को फिर झटका : कानपुर-आगरा मेट्रो के लिए चाइनीज कंपनी का टेंडर रिजेक्ट

यूपीएमआरसी ने कानपुर और आगरा मेट्रो परियोजनाओं के लिए मेसर्स बॉम्बार्डियर के भारतीय वर्टिकल को रोलिंग स्टॉक, सिग्नलिंग सिस्टम का कांट्रैक्ट दिया है. वहीं अनुबंध में शामिल चीनी कंपनी को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है.

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मेट्रो
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Published : Jul 4, 2020, 1:34 PM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (यूपीएमआरसी) ने टेंडर की फिटिंग प्रक्रिया से चीनी कंपनी को बाहर का रास्ता दिखा दिया है. वहीं गुजरात की एक कंपनी ने यूपीएमआरसी में अपनी जगह बना ली है. मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन ने कानपुर और आगरा मेट्रो परियोजनाओं के लिए मेट्रो ट्रेनों (रोलिंग स्टॉक्स) की सप्लाई, टेस्टिंग और कमिशनिंग के साथ-साथ ट्रेन कंट्रोल और सिग्नलिंग सिस्टम का अनुबंध गुजरात की कंपनी मेसर्स बॉम्बार्डियर ट्रांसपोर्ट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड से किया है. यह एक भारतीय कॉन्सोर्सियम (कंपनियों का समूह) है.

कानपुर और आगरा दोनों ही मेट्रो परियोजनाओं के लिए कुल 67 ट्रेनों की सप्लाई होगी, जिनमें से प्रत्येक ट्रेन में तीन कोच होंगे. इनमें से 39 ट्रेनें कानपुर और 28 ट्रेनें आगरा के लिए होंगी. एक ट्रेन की यात्री क्षमता लगभग 980 होगी. यानी प्रत्येक कोच में तकरीबन 315-350 यात्री यात्रा कर सकेंगे.

सावली (गुजरात) में होगा मेट्रो कोच का निर्माण
लखनऊ मेट्रो के बाद अब कानपुर और आगरा मेट्रो का काम शुरू हुआ है. इन दोनों शहरों में रोलिंग स्टॉक्स और सिग्नलिंग सिस्टम के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धात्मक बिडिंग की गई थी, जिसके तहत चार अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने टेंडर प्रक्रिया में हिस्सा लिया और 18 फरवरी को अपनी निविदाएं यूपीएमआरसी को सौंपी.

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कुमार केशव प्रबंध निदेशक यूपीएमआरसी.

इसके बाद विस्तृत तौर पर इन निविदाओं का तकनीकी आकलन किया गया, जिसके बाद बिड में शामिल चीनी कंपनी को अयोग्य घोषित कर दिया गया. फाइनेंशियल बिड के लिए तीन बिडर्स को चुना गया और सबसे कम बोली लगाने वाली कंपनी कॉन्सोर्सियम मेसर्स बॉम्बार्डियर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को कांट्रैक्ट दे दिया गया.

कानपुर और आगरा मेट्रो परियोजनाओं को मिलने वाली अत्याधुनिक ट्रेनों की सप्लाई में बॉम्बार्डियर के सावली (गुजरात) स्थित प्लांट से होगी. इससे केंद्र सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ मुहिम को और भी बढ़ावा मिलेगा.

यूपीएमआरसी के जनसंपर्क विभाग से जुड़े प्रतिनिधि बताते हैं कि यूपीएमआरसी ने लखनऊ की ही तर्ज पर कानपुर और आगरा में भी रोलिंग स्टॉक्स और सिग्नलिंग सिस्टम के लिए एकीकृत टेंडरिंग की प्रक्रिया अपनाई है. देश में पहली बार लखनऊ मेट्रो परियोजना के लिए यह प्रयोग किया गया था, जो बेहद सफल रहा.

एकीकृत टेंडरिंग की बदौलत समय की बचत हुई और लखनऊ मेट्रो को 64 सप्ताह के रिकॉर्ड समय में पहला रोलिंग स्टॉक (मेट्रो ट्रेन) मिला. कानपुर और आगरा में पहले मेट्रो ट्रेन सेट की सप्लाई के लिए 65 हफ्तों की समय-सीमा तय की गई है.

पढे़ं : बंद होने जा रहा टिक टॉक की टक्कर में लॉन्च हुआ लासो एप

यूपीएमआरसी के प्रबंध निदेशक कुमार केशव के मुताबिक, कानपुर और आगरा के लिए प्रस्तावित मास रैपिड ट्रांजिट सिस्टम की खास बात यह है कि दोनों ही जगहों पर दो स्टेशनों के बीच की दूरी काफी कम (लगभग एक किमी.) है. साथ ही यहां पर जो मेट्रो ट्रेनें चलेंगी, उनकी गतिसीमा 80 किमी./घंटा निर्धारित की गई है, जबकि मेट्रो ट्रेनों की अधिकतकम क्षमता 90 किमी./घंटा होगी.

इसके अलावा ट्रेनों के ऑपरेशन कंट्रोल के लिए लखनऊ की ही तर्ज पर कानपुर और आगरा में भी सीबीटीसी यानी कम्युनिकेशन आधारित ट्रेन कंट्रोल सिस्टम और कॉन्टीन्युअस ऑटोमैटिक ट्रेन कंट्रोल सिस्टम (सीएटीएस) होगा.

एमडी कुमार केशव ने बताया कि लॉकडाउन के बाद कानपुर में एक बार फिर से सिविल निर्माण कार्य शुरू करने के बाद रोलिंग स्टॉक और सिग्नलिंग सिस्टम की टेंडरिंग प्रक्रिया पूरी हो गई है. इससे न सिर्फ अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी, बल्कि कानपुर और आगरा की जनता की मेट्रो में सफर की उम्मीद भी जल्द पूरी होगी.

लखनऊ : उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (यूपीएमआरसी) ने टेंडर की फिटिंग प्रक्रिया से चीनी कंपनी को बाहर का रास्ता दिखा दिया है. वहीं गुजरात की एक कंपनी ने यूपीएमआरसी में अपनी जगह बना ली है. मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन ने कानपुर और आगरा मेट्रो परियोजनाओं के लिए मेट्रो ट्रेनों (रोलिंग स्टॉक्स) की सप्लाई, टेस्टिंग और कमिशनिंग के साथ-साथ ट्रेन कंट्रोल और सिग्नलिंग सिस्टम का अनुबंध गुजरात की कंपनी मेसर्स बॉम्बार्डियर ट्रांसपोर्ट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड से किया है. यह एक भारतीय कॉन्सोर्सियम (कंपनियों का समूह) है.

कानपुर और आगरा दोनों ही मेट्रो परियोजनाओं के लिए कुल 67 ट्रेनों की सप्लाई होगी, जिनमें से प्रत्येक ट्रेन में तीन कोच होंगे. इनमें से 39 ट्रेनें कानपुर और 28 ट्रेनें आगरा के लिए होंगी. एक ट्रेन की यात्री क्षमता लगभग 980 होगी. यानी प्रत्येक कोच में तकरीबन 315-350 यात्री यात्रा कर सकेंगे.

सावली (गुजरात) में होगा मेट्रो कोच का निर्माण
लखनऊ मेट्रो के बाद अब कानपुर और आगरा मेट्रो का काम शुरू हुआ है. इन दोनों शहरों में रोलिंग स्टॉक्स और सिग्नलिंग सिस्टम के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धात्मक बिडिंग की गई थी, जिसके तहत चार अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने टेंडर प्रक्रिया में हिस्सा लिया और 18 फरवरी को अपनी निविदाएं यूपीएमआरसी को सौंपी.

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कुमार केशव प्रबंध निदेशक यूपीएमआरसी.

इसके बाद विस्तृत तौर पर इन निविदाओं का तकनीकी आकलन किया गया, जिसके बाद बिड में शामिल चीनी कंपनी को अयोग्य घोषित कर दिया गया. फाइनेंशियल बिड के लिए तीन बिडर्स को चुना गया और सबसे कम बोली लगाने वाली कंपनी कॉन्सोर्सियम मेसर्स बॉम्बार्डियर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को कांट्रैक्ट दे दिया गया.

कानपुर और आगरा मेट्रो परियोजनाओं को मिलने वाली अत्याधुनिक ट्रेनों की सप्लाई में बॉम्बार्डियर के सावली (गुजरात) स्थित प्लांट से होगी. इससे केंद्र सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ मुहिम को और भी बढ़ावा मिलेगा.

यूपीएमआरसी के जनसंपर्क विभाग से जुड़े प्रतिनिधि बताते हैं कि यूपीएमआरसी ने लखनऊ की ही तर्ज पर कानपुर और आगरा में भी रोलिंग स्टॉक्स और सिग्नलिंग सिस्टम के लिए एकीकृत टेंडरिंग की प्रक्रिया अपनाई है. देश में पहली बार लखनऊ मेट्रो परियोजना के लिए यह प्रयोग किया गया था, जो बेहद सफल रहा.

एकीकृत टेंडरिंग की बदौलत समय की बचत हुई और लखनऊ मेट्रो को 64 सप्ताह के रिकॉर्ड समय में पहला रोलिंग स्टॉक (मेट्रो ट्रेन) मिला. कानपुर और आगरा में पहले मेट्रो ट्रेन सेट की सप्लाई के लिए 65 हफ्तों की समय-सीमा तय की गई है.

पढे़ं : बंद होने जा रहा टिक टॉक की टक्कर में लॉन्च हुआ लासो एप

यूपीएमआरसी के प्रबंध निदेशक कुमार केशव के मुताबिक, कानपुर और आगरा के लिए प्रस्तावित मास रैपिड ट्रांजिट सिस्टम की खास बात यह है कि दोनों ही जगहों पर दो स्टेशनों के बीच की दूरी काफी कम (लगभग एक किमी.) है. साथ ही यहां पर जो मेट्रो ट्रेनें चलेंगी, उनकी गतिसीमा 80 किमी./घंटा निर्धारित की गई है, जबकि मेट्रो ट्रेनों की अधिकतकम क्षमता 90 किमी./घंटा होगी.

इसके अलावा ट्रेनों के ऑपरेशन कंट्रोल के लिए लखनऊ की ही तर्ज पर कानपुर और आगरा में भी सीबीटीसी यानी कम्युनिकेशन आधारित ट्रेन कंट्रोल सिस्टम और कॉन्टीन्युअस ऑटोमैटिक ट्रेन कंट्रोल सिस्टम (सीएटीएस) होगा.

एमडी कुमार केशव ने बताया कि लॉकडाउन के बाद कानपुर में एक बार फिर से सिविल निर्माण कार्य शुरू करने के बाद रोलिंग स्टॉक और सिग्नलिंग सिस्टम की टेंडरिंग प्रक्रिया पूरी हो गई है. इससे न सिर्फ अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी, बल्कि कानपुर और आगरा की जनता की मेट्रो में सफर की उम्मीद भी जल्द पूरी होगी.

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