लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार ने अयोध्या में पिछले साल दिवाली के अवसर पर तीन लाख दीये जलाने का अपना ही विश्व रिकॉर्ड तोड़ते हुए इस वर्ष दीपोत्सव कार्यक्रम में करीब 5.51 लाख दीप जलाये. इसके साथ ही एक साथ सबसे अधिक दीये जलाने का रिकॉर्ड भी गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज हो गया, लेकिन इस बार सरकार ने विश्व रिकॉर्ड बनाने के लिए 133 करोड़ रुपये खर्च कर दिये.
विश्व रिकॉर्ड बनाने के लिए इन दीयों को एक साथ करीब 45 मिनट तक लगातार जलाकर रखा गया. इतना ही नहीं, इसके लिए 40 हजार लीटर तेल की व्यवस्था की गई थी. इस दौरान 5000 स्वयंसेवक दीये जलाने में मशरूफ रहे.
प्रदेश सरकार ने इस आयोजन के लिए पर्यटन विभाग को नोडल एजेंसी बनाया था जबकि पर्यटन विभाग ने स्थानीय स्तर पर तैयारी का जिम्मा अवध यूनिवर्सिटी को दिया. यूनिवर्सिटी ने 5000 स्वयंसेवकों की मदद से शनिवार को अयोध्या में दीपोत्सव के तमाम आयोजनों को नियंत्रित किया.
वॉलंटियर्स में यूनिवर्सिटी से जुड़े छात्र, एनसीसी और स्काउट के कैडेट शामिल थे. इस दौरान सरयू के 5 घाट और अयोध्या के 9 मंदिरों यानी कुल 15 जगहों पर 5 लाख 51 हजार दीये जलाये गये.
गौरतलब है कि दीपोत्सव की शुरुआत 24 अक्टूबर को हुई. उस दिन पूर्वाह्न 10 बजे से दोपहर 12 बजे के बीच रामकथा संग्रहालय परिसर में पेंटिंग वर्कशॉप का आयोजन किया गया. उसी दिन शाम 6 बजे गुप्तार घाट पर रामलीला और 6:30 बजे रामकथा पार्क में भजन संध्या का आयोजन किया गया.
इसके बाद 25 अक्टूबर की शाम 6 बजे सांस्कृतिक, रंगमंच के साथ रामकथा पार्क में रामलीला का आयोजन किया गया.
आयोजन के अंतिम दिन शनिवार को दोपहर एक बजे शोभायात्रा निकाली गई, जो साकेत कॉलेज से शुरू होकर हनुमान गढ़ी, तुलसी उद्यान भवन होते हुए नए घाट पहुंची. यह यात्रा राम की पैड़ी पर समाप्त हुई.
यात्रा के बाद शाम 6 बजे अयोध्या के 10 जगहों पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. गुप्तार घाट पर शाम 7 बजे इंटरनेशनल रामलीला हुई, जिसमें श्रीलंका से एक और नेपाल, इंडोनेशिया, फिलीपिंस की दो-दो टीमों की ओर से रामकथा पेश की गयी.
गौरतलब यह है कि दीपोत्सव समारोह में कुल 133 करोड़ रुपये खर्च किये गये. जिसमें से करीब 65 लाख रुपये केवल दीया-बाती पर खर्च किये गये.
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पर्यटन विभाग के अनुसार 5 लाख 51 हजार दीपों को जलाने के लिए रुई की 10 लाख बातियां मंगाई गई और 40 हजार लीटर तेल मंगाया गया.
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इसके अलावा दीपोत्सव कार्यक्रम स्थलों पर 5000 लीटर के 11 वॉटर टैंक लगाये गये. साथ ही स्थानीय नगर निगम ने भी दीपोत्सव के लिए गरीब मलिन बस्तियों में रहने वाले प्रत्येक परिवार को 11 दीये, 22 बाती और 2 लीटर तेल दिया.