लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार ने 25 हजार होमगार्डों को हटाने का फैसला लिया है. सरकार की दलील है कि वह उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्देशित नये भत्तों का भुगतान करने की स्थिति में नहीं है.
फिलहाल मीडिया में खबरें आने के बाद विपक्ष हमलावर हुआ तो सरकार ने यू-टर्न लेते हुए स्पष्ट किया कि वह समस्या के निदान का रास्ता तलाशने का प्रयास कर रही है और सुनिश्चित करेगी कि हर घर में दीपावली मनायी जाए.
आपको बता दें कि इस फैसले के कुछ घंटों बाद होमगार्ड मंत्री चेतन चौहान ने कहा कि किसी को नहीं हटाया जाएगा.
होमगार्ड का दैनिक भत्ता अब बढ़कर 672 रुपये हो गया है, जो शीर्ष अदालत के जुलाई के आदेश से पहले पांच सौ रुपये था.
सरकार ने कहा कि इससे राजकोष पर हर महीने 10 से 12 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ता. ऐसे में तय किया गया कि होमागार्ड की तैनाती थानों और यातायात सिग्नलों पर न की जाये. होमगार्ड स्थायी कर्मचारी नहीं होते. उनकी भर्ती अस्थायी आधार पर की जाती है.
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अपर महानिदेशक बी.पी. जोगदंड की ओर से जारी आदेश के अनुसार 25 हजार होमगार्डों की तैनाती नहीं करने का फैसला इस साल 28 अगस्त को किया गया था . यह फैसला उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में किया गया था .
होमगार्डों की तैनाती तीन अप्रैल के सरकारी आदेश के जरिये की गयी थी. होमगार्डों का कोई सुनिश्चित मासिक वेतन नहीं होता. उन्हें ड्यूटी के दिनों के आधार पर भुगतान किया जाता है. अब तक उनसे 25 दिन कार्य करने की उम्मीद की जाती थी, लेकिन सरकार ने उसे घटाकर 15 दिन कर दिया था.
उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ओ.पी. सिंह ने बताया कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद पुलिस विभाग पर पड़ रहे अतिरिक्त वित्तीय बोझ के कारण उक्त कदम उठाया गया.
उन्होंने बताया कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद पुलिस विभाग को हर महीने 10 से 12 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ता. तैनाती नहीं देने का फैसला अस्थायी है और आवश्यकता पड़ने पर होमगार्डों को ड्यूटी के लिए बुलाया जाएगा.
प्रदेश के मुख्य सचिव आर. के. तिवारी ने अयोध्या में संवाददाताओं के सवाल पर कहा, 'दीवाली सबके घर होगी. इस पर हम विचार कर रहे हैं कि कैसे इस समस्या का समाधान हो.'