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अमेरिक में राष्ट्रपति चुनाव टालने की ट्रंप की कोशिश सफल होने की कम संभावना

कोविड-19 महामारी के कारण इस साल अमेरिका में होने वाले राष्ट्रपित चुनाव को टालने की राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की कोशिश में सफल होने की संभावनाएं कम है. ट्रंप ने यह कह कर झंझावत खड़ा कर दिया कि महामारी के चलते मेल-इन वोटिंग की संभावना होने के कारण राष्ट्रपति के चुनाव को टाला जाना चाहिए. जानिए इस बार कोरोना काल में अमेरिका में होने वाले चुनाव की संभावना. पढ़ें ईटीवी भारत का विशेष लेख...

Trumps attempt to postpone presidential elections
अमेरिक में राष्ट्रपति चुनाव
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Published : Aug 1, 2020, 2:18 PM IST

Updated : Aug 1, 2020, 2:23 PM IST

नई दिल्ली: कोविड -19 महामारी को लेकर आलोचना और ओपिनियन पोल की रेटिंग कम होने के कारण इस वर्ष के राष्ट्रपति चुनाव को टालने की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की कोशिश के सफल होने की संभावना कम है. रिपब्लिकन पार्टी के नेता भी कह रहे हैं कि ऐसा नहीं हो सकता.

गुरूवार को ट्रंप ने यह कह कर झंझावत खड़ा कर दिया कि महामारी के चलते मेल-इन वोटिंग की संभावना होने के कारण राष्ट्रपति के चुनाव को टाला जाना चाहिए.

ट्रंप ने ट्वीट किया कि 'यूनिवर्सल मेल-इन वोटिंग के साथ (जो एब्सेंटी वोटिंग नहीं है), 2020 का चुनाव इतिहास में सबसे गलत और फर्जी चुनाव के रूप में दर्ज होगा और यह अमरीका के लिए एक बड़ी शर्मिंदगी होगी. इसलिए चुनाव को तब न कराया जाए. जब तक लोग ठीक से और सुरक्षित रूप से मतदान न कर सकें.'

ट्रंप लम्बे समय से पोस्टल वोटिंग का विरोध करते आए हैं क्यों कि उनका कहना है कि इससे जाली और गलत नतीजे आते हैं. उनकी खुद की रिपब्लिकन पार्टी के नेताओं ने इस बात को खारिज कर दिया है.

सीनेट मेजोरिटी लीडर और केंटकी के रिपब्लिकन मिच मैककोनेल ने मीडिया को बताया कि 'इस देश के इतिहास में कभी भी चुनाव समय पर नहीं हुए हो ऐसा नहीं हुआ है फिर चाहे युद्ध, मंदी या गृह युद्ध का समय ही क्यों न रहा हो. तीन नवंबर को फिर से हम ऐसा करने का तरीका खोज लेंगे.'

हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव माइनॉरिटी लीडर केविन मैकार्थी, जो कैलिफोर्निया के एक रिपब्लिकन भी हैं, उन्होंने समान विचार व्यक्त करते हुए कहा कि 'संघीय चुनावों के इतिहास में कभी भी हमने चुनाव नहीं टाले और हमें चुनाव समय पर करने चाहिए.' राष्ट्रपति का चुनाव नवम्बर के पहले मंगलवार को किया जाता है जो इस वर्ष तीन नवम्बर को पड़ता है.

ट्रंप का सुझाव कोविड -19 महामारी से निपटने की अपार आलोचना के मद्देनजर है, जिसने अमेरिका में 150,000 से अधिक जानें ली हैं. ट्रंप की आलोचना उनके नस्लवाद, गैर कानूनी इमीग्रेशन सहित सहित अन्य घरेलू मुद्दों के प्रति उनके दृष्टिकोण के कारण की जा रही है. ओपिनियन पोल्स में ट्रम्प पूर्व उपराष्ट्रपति और डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रतिद्वंदी जो बिडेन से काफी पीछे चल रहे हैं.

उदाहरण के लिए, रियल क्लियर पॉलिटिक्स के आंकड़ों के आधार पर नवीनतम फाइनेंशियल टाइम्स पोल ट्रैकर से पता चलता है कि बिडेन 538 में से 308 इलेक्टोरल कॉलेज वोट जीत सकते हैं जबकि ट्रंप केवल 128 का प्रबंधन कर सकते हैं. जीतने वाले उम्मीदवार को 538 वोटों में से 270 जीतने की आवश्यकता होती है. हालांकि, राष्ट्रपति ट्रंप दावा कर रहे हैं कि इस तरह के चुनाव मूक बहुमत की आवाजों को प्रतिबिंबित नहीं करते हैं जो उनके साथ हैं.

लेकिन तथ्य यह है कि अधिक समर्थन जुटाने के लिए मतदान की तारीख टालने के उनके सुझाव के बावजूद, चुनाव नहीं टाला जा सकेगा, क्योंकि यह अमेरिकी संविधान के खिलाफ जाएगा. ईटीवी भारत से बात करते हुए, यूएस इंडिया पॉलिटिकल एक्शन कमेटी के संस्थापक सदस्य, रोबिंदर सचदेव ने कहा कि, 'राष्ट्रपति चुनाव स्थगित होने की संभावना बहुत कम है, इसका कारण यह है कि चुनाव की तारीख को अमेरिकी कांग्रेस द्वारा संवैधानिक रूप से अनिवार्य किया गया है जो नवंबर महीने का पहला मंगलवार है. इसे केवल कांग्रेस बदल सकती है.'

सचदेव ने कहा, 'राष्ट्रपति ट्रंप या किसी भी राष्ट्रपति के पास उस तारीख को बदलने का अधिकार नहीं है, बशर्ते आपातकाल की स्थितियों में राष्ट्रपति अपनी सत्ता का इस्तेमाल कर तारीखों को परिवर्तित या विलंबित कर सकता है. हालांकि, यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि संयुक्त राज्य अमेरिका के इतिहास में पहले कभी तारीख नहीं बदली गई है. अगर तारीख बदली जाती है, तो इससे अमेरिकी लोकतंत्र की धारणा को बड़ा झटका लगेगा.

अपने चुनावी भाषणों में ट्रंप वोटरों को यह समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि देश का अर्थतंत्र प्रगति कर रहा है, स्टॉक मार्किट ऊंचा जा रहा है, बेरोजगारी कम हो रही है और महामारी पर नियंत्रण पा लिया गया है. मूलतः वह अपने 2016 के चुनावी नारे को ही दोहरा रहे हैं जो है ‘अमेरिका को फिर से महान बनायेंगे’. बिडेन भी इन्हीं मुद्दों को उठाकर पलटवार कर रहे हैं कि केवल वह ही अमेरिका को वापिस पटरी पर ला पाएंगे.

सचदेव कहते हैं कि, 'आज अमेरिका में नीचे की रेखा यह है कि सभी तबके के लोग नाखुश हैं, चाहे वह रिपब्लिकन पार्टी के समर्थक हो या डेमोक्रेट पार्टी के समर्थक.'

'ट्रंप इस नाखुशी से खेल रहा है और अपने समर्थकों और व्यापक अमेरिकी जनता को बता रहा है मैंने जो आपको बताया था कि निहित स्वार्थ मुझे अपना काम करने नहीं देंगे जबकि मैं मेरी सर्वोत्तम क्षमताओं से काम कर रहा हूं. आप देख सकते हैं कि हलवा का प्रमाण अर्थव्यवस्था में है जो बहुत अच्छा कर रही है. बेरोजगारी बहुत कम है. जनमत सर्वेक्षणों से कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि जो जनमत सर्वेक्षण करते हैं वे मूक बहुमत का प्रतिबिम्ब नहीं दिखाते. मूक बहुमत मेरे साथ है. वास्तविकता यह है कि मेरे काम अमेरिका को फिर से महान बना रहे हैं.'

दूसरी ओर सचदेव के अनुसार, बिडेन ट्रंप को अधिक बात करने दे रहे हैं क्यों कि ट्रंप के बयानों से अधिक विवाद और विरोधाभास सामने आ रहे हैं जिन्हें चुनौती दी जा रही है.

बिडेन अमेरिका के घरेलू नीतियों के बारे में ज्यादा बोल रहे हैं और कह रहे हैं कि वह अमेरिका को फिर से ट्रैक पर ले आएंगे. वह अमेरिकी जनता को समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि ट्रंप एक बड़ी गलती था, ट्रंप ने संस्थानों को नुकसान पहुंचाया है. बिडेन कहते हैं कि देश को वापस पटरी पर लाने के लिए उनके जैसे समझदार राजनेता की जरूरत है.

(लेखक - अरुणिम भुयान)

नई दिल्ली: कोविड -19 महामारी को लेकर आलोचना और ओपिनियन पोल की रेटिंग कम होने के कारण इस वर्ष के राष्ट्रपति चुनाव को टालने की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की कोशिश के सफल होने की संभावना कम है. रिपब्लिकन पार्टी के नेता भी कह रहे हैं कि ऐसा नहीं हो सकता.

गुरूवार को ट्रंप ने यह कह कर झंझावत खड़ा कर दिया कि महामारी के चलते मेल-इन वोटिंग की संभावना होने के कारण राष्ट्रपति के चुनाव को टाला जाना चाहिए.

ट्रंप ने ट्वीट किया कि 'यूनिवर्सल मेल-इन वोटिंग के साथ (जो एब्सेंटी वोटिंग नहीं है), 2020 का चुनाव इतिहास में सबसे गलत और फर्जी चुनाव के रूप में दर्ज होगा और यह अमरीका के लिए एक बड़ी शर्मिंदगी होगी. इसलिए चुनाव को तब न कराया जाए. जब तक लोग ठीक से और सुरक्षित रूप से मतदान न कर सकें.'

ट्रंप लम्बे समय से पोस्टल वोटिंग का विरोध करते आए हैं क्यों कि उनका कहना है कि इससे जाली और गलत नतीजे आते हैं. उनकी खुद की रिपब्लिकन पार्टी के नेताओं ने इस बात को खारिज कर दिया है.

सीनेट मेजोरिटी लीडर और केंटकी के रिपब्लिकन मिच मैककोनेल ने मीडिया को बताया कि 'इस देश के इतिहास में कभी भी चुनाव समय पर नहीं हुए हो ऐसा नहीं हुआ है फिर चाहे युद्ध, मंदी या गृह युद्ध का समय ही क्यों न रहा हो. तीन नवंबर को फिर से हम ऐसा करने का तरीका खोज लेंगे.'

हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव माइनॉरिटी लीडर केविन मैकार्थी, जो कैलिफोर्निया के एक रिपब्लिकन भी हैं, उन्होंने समान विचार व्यक्त करते हुए कहा कि 'संघीय चुनावों के इतिहास में कभी भी हमने चुनाव नहीं टाले और हमें चुनाव समय पर करने चाहिए.' राष्ट्रपति का चुनाव नवम्बर के पहले मंगलवार को किया जाता है जो इस वर्ष तीन नवम्बर को पड़ता है.

ट्रंप का सुझाव कोविड -19 महामारी से निपटने की अपार आलोचना के मद्देनजर है, जिसने अमेरिका में 150,000 से अधिक जानें ली हैं. ट्रंप की आलोचना उनके नस्लवाद, गैर कानूनी इमीग्रेशन सहित सहित अन्य घरेलू मुद्दों के प्रति उनके दृष्टिकोण के कारण की जा रही है. ओपिनियन पोल्स में ट्रम्प पूर्व उपराष्ट्रपति और डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रतिद्वंदी जो बिडेन से काफी पीछे चल रहे हैं.

उदाहरण के लिए, रियल क्लियर पॉलिटिक्स के आंकड़ों के आधार पर नवीनतम फाइनेंशियल टाइम्स पोल ट्रैकर से पता चलता है कि बिडेन 538 में से 308 इलेक्टोरल कॉलेज वोट जीत सकते हैं जबकि ट्रंप केवल 128 का प्रबंधन कर सकते हैं. जीतने वाले उम्मीदवार को 538 वोटों में से 270 जीतने की आवश्यकता होती है. हालांकि, राष्ट्रपति ट्रंप दावा कर रहे हैं कि इस तरह के चुनाव मूक बहुमत की आवाजों को प्रतिबिंबित नहीं करते हैं जो उनके साथ हैं.

लेकिन तथ्य यह है कि अधिक समर्थन जुटाने के लिए मतदान की तारीख टालने के उनके सुझाव के बावजूद, चुनाव नहीं टाला जा सकेगा, क्योंकि यह अमेरिकी संविधान के खिलाफ जाएगा. ईटीवी भारत से बात करते हुए, यूएस इंडिया पॉलिटिकल एक्शन कमेटी के संस्थापक सदस्य, रोबिंदर सचदेव ने कहा कि, 'राष्ट्रपति चुनाव स्थगित होने की संभावना बहुत कम है, इसका कारण यह है कि चुनाव की तारीख को अमेरिकी कांग्रेस द्वारा संवैधानिक रूप से अनिवार्य किया गया है जो नवंबर महीने का पहला मंगलवार है. इसे केवल कांग्रेस बदल सकती है.'

सचदेव ने कहा, 'राष्ट्रपति ट्रंप या किसी भी राष्ट्रपति के पास उस तारीख को बदलने का अधिकार नहीं है, बशर्ते आपातकाल की स्थितियों में राष्ट्रपति अपनी सत्ता का इस्तेमाल कर तारीखों को परिवर्तित या विलंबित कर सकता है. हालांकि, यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि संयुक्त राज्य अमेरिका के इतिहास में पहले कभी तारीख नहीं बदली गई है. अगर तारीख बदली जाती है, तो इससे अमेरिकी लोकतंत्र की धारणा को बड़ा झटका लगेगा.

अपने चुनावी भाषणों में ट्रंप वोटरों को यह समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि देश का अर्थतंत्र प्रगति कर रहा है, स्टॉक मार्किट ऊंचा जा रहा है, बेरोजगारी कम हो रही है और महामारी पर नियंत्रण पा लिया गया है. मूलतः वह अपने 2016 के चुनावी नारे को ही दोहरा रहे हैं जो है ‘अमेरिका को फिर से महान बनायेंगे’. बिडेन भी इन्हीं मुद्दों को उठाकर पलटवार कर रहे हैं कि केवल वह ही अमेरिका को वापिस पटरी पर ला पाएंगे.

सचदेव कहते हैं कि, 'आज अमेरिका में नीचे की रेखा यह है कि सभी तबके के लोग नाखुश हैं, चाहे वह रिपब्लिकन पार्टी के समर्थक हो या डेमोक्रेट पार्टी के समर्थक.'

'ट्रंप इस नाखुशी से खेल रहा है और अपने समर्थकों और व्यापक अमेरिकी जनता को बता रहा है मैंने जो आपको बताया था कि निहित स्वार्थ मुझे अपना काम करने नहीं देंगे जबकि मैं मेरी सर्वोत्तम क्षमताओं से काम कर रहा हूं. आप देख सकते हैं कि हलवा का प्रमाण अर्थव्यवस्था में है जो बहुत अच्छा कर रही है. बेरोजगारी बहुत कम है. जनमत सर्वेक्षणों से कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि जो जनमत सर्वेक्षण करते हैं वे मूक बहुमत का प्रतिबिम्ब नहीं दिखाते. मूक बहुमत मेरे साथ है. वास्तविकता यह है कि मेरे काम अमेरिका को फिर से महान बना रहे हैं.'

दूसरी ओर सचदेव के अनुसार, बिडेन ट्रंप को अधिक बात करने दे रहे हैं क्यों कि ट्रंप के बयानों से अधिक विवाद और विरोधाभास सामने आ रहे हैं जिन्हें चुनौती दी जा रही है.

बिडेन अमेरिका के घरेलू नीतियों के बारे में ज्यादा बोल रहे हैं और कह रहे हैं कि वह अमेरिका को फिर से ट्रैक पर ले आएंगे. वह अमेरिकी जनता को समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि ट्रंप एक बड़ी गलती था, ट्रंप ने संस्थानों को नुकसान पहुंचाया है. बिडेन कहते हैं कि देश को वापस पटरी पर लाने के लिए उनके जैसे समझदार राजनेता की जरूरत है.

(लेखक - अरुणिम भुयान)

Last Updated : Aug 1, 2020, 2:23 PM IST
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