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गांधी की पूजा तो बहुत की, उनके रास्ते पर नहीं चले : कुमार प्रशांत - महात्मा गांधी के विचार

आजादी के आंदोलन के दौरान गांधीजी ने देश के अलग-अलग हिस्सों का दौरा किया था. जहां-जहां भी बापू जाते थे, वे वहां के लोगों पर अमिट छाप छोड़ जाते थे. वर्तमान समय में गांधी की प्रासंगिकता को लेकर गांधीवादी विचारक और दिल्ली के गांधी शांति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष कुमार प्रशांत ने अपने विचार रखें हैं. ईटीवी भारत गांधी से जुड़ी कई यादें प्रस्तुत कर रहा है. पेश है आज 23वीं कड़ी.

ईटीवी भारत से बात करते कुमार प्रशांत
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Published : Sep 7, 2019, 5:46 AM IST

Updated : Sep 29, 2019, 5:49 PM IST

नई दिल्ली: 2019 में देश भर में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाई जाएगी. इस मौके पर की गांधीवादी विचारक और दिल्ली के गांधी शांति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष कुमार प्रशांत ने कहा कि आज देश ऐसी जगह खड़ा है, जहां से उसे किधर जाना है, मालूम नहीं. लेकिन एक रास्ता है, जिस पर आज तक देश नहीं चला और वह रास्ता है गांधी का.

कुमार प्रशांत ने कहा कि गांधी का रास्ता भले ही अब तक अछूता हो, लेकिन इस रास्ते के प्रति लोगों में सहज विश्वास भी है और आकर्षण भी. वर्तमान समय में गांधी की प्रासंगिकता को लेकर कुमार प्रशांत ने कहा कि आजादी के बाद ही गांधी को अनुपयोगी मानकर किनारे कर दिया गया.

बकौल प्रशांत, गांधी की पूजा तो बहुत की गई, लेकिन हम उनके रास्ते पर नहीं चले और अब ऐसे लोग सामने हैं, जो गांधी के बताए रास्तों पर नहीं, बल्कि उल्टी दिशा में चल रहे हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

विनायक दामोदर सावरकर को लेकर प्रशांत ने उद्धव ठाकरे के बयान की निंदा की. उन्होंने कहा कि कुछ लोग सावरकर को गांधी के बराबर लाने की कोशिश हो रही है? प्रशांत ने कहा कि इतिहास में गांधी की जो जगह तय हो चुकी है, उसे आप ऊंचा-नीचा नहीं कर पाएंगे.

पढ़ें- महात्मा गांधी की 150वीं जयंती: CAPF और असम राइफल्स के जवान निकालेंगे साइकिल यात्रा

कुमार प्रशांत ने आगे कहा कि आज जो लोग मुखौटा पहनकर गांधी के बारे में अच्छी बातें कर रहे हैं, वे सोचते हैं कि उनका मुखौटा ही असली है, लेकिन समाज जानता है उनका असली चेहरा क्या है.

उन्होंने कहा कि यह एक खेल चल रहा है और चिंता की बात यह है कि जब तक यह खेल खत्म होगा, तब तक यह इतना नुकसान कर जाएगा, जिसकी भरपाई नहीं हो पाएगी.

नई दिल्ली: 2019 में देश भर में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाई जाएगी. इस मौके पर की गांधीवादी विचारक और दिल्ली के गांधी शांति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष कुमार प्रशांत ने कहा कि आज देश ऐसी जगह खड़ा है, जहां से उसे किधर जाना है, मालूम नहीं. लेकिन एक रास्ता है, जिस पर आज तक देश नहीं चला और वह रास्ता है गांधी का.

कुमार प्रशांत ने कहा कि गांधी का रास्ता भले ही अब तक अछूता हो, लेकिन इस रास्ते के प्रति लोगों में सहज विश्वास भी है और आकर्षण भी. वर्तमान समय में गांधी की प्रासंगिकता को लेकर कुमार प्रशांत ने कहा कि आजादी के बाद ही गांधी को अनुपयोगी मानकर किनारे कर दिया गया.

बकौल प्रशांत, गांधी की पूजा तो बहुत की गई, लेकिन हम उनके रास्ते पर नहीं चले और अब ऐसे लोग सामने हैं, जो गांधी के बताए रास्तों पर नहीं, बल्कि उल्टी दिशा में चल रहे हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

विनायक दामोदर सावरकर को लेकर प्रशांत ने उद्धव ठाकरे के बयान की निंदा की. उन्होंने कहा कि कुछ लोग सावरकर को गांधी के बराबर लाने की कोशिश हो रही है? प्रशांत ने कहा कि इतिहास में गांधी की जो जगह तय हो चुकी है, उसे आप ऊंचा-नीचा नहीं कर पाएंगे.

पढ़ें- महात्मा गांधी की 150वीं जयंती: CAPF और असम राइफल्स के जवान निकालेंगे साइकिल यात्रा

कुमार प्रशांत ने आगे कहा कि आज जो लोग मुखौटा पहनकर गांधी के बारे में अच्छी बातें कर रहे हैं, वे सोचते हैं कि उनका मुखौटा ही असली है, लेकिन समाज जानता है उनका असली चेहरा क्या है.

उन्होंने कहा कि यह एक खेल चल रहा है और चिंता की बात यह है कि जब तक यह खेल खत्म होगा, तब तक यह इतना नुकसान कर जाएगा, जिसकी भरपाई नहीं हो पाएगी.

Intro:2019 महात्मा गांधी की 150वीं जयंती का साल है. ऐसे में इस पर बात करना जरूरी हो जाता है कि वर्तमान समय में गांधी के भारत में गांधी की विचारधारा कितनी प्रासंगिक है. इसी से जुड़े कुछ सवालों को लेकर ईटीवी भारत ने बातचीत की गांधीवादी विचारक और दिल्ली के गांधी शांति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष कुमार प्रशांत से.


Body:नई दिल्ली: कुमार प्रशांत वर्तमान समय को लेकर थोड़े मायूस दिखे. उन्होंने कहा कि आज देश ऐसी जगह खड़ा है, जहां से उसे किधर जाना है, मालूम नहीं. लेकिन एक रास्ता है, जिस पर आज तक देश नहीं चला और वह रास्ता है गांधी का. कुमार प्रशांत हाल ही में गांधी के विचारों को लेकर भारत भ्रमण पर थे. उन्होंने कहा कि गांधी का रास्ता भले ही अब तक अछूता हो, लेकिन इस रास्ते के प्रति लोगों में सहज विश्वास भी है और आकर्षण भी.

वर्तमान समय में गांधी की प्रासंगिकता को लेकर कुमार प्रशांत ने कहा कि आजादी के बाद ही गांधी को अनुपयोगी मानकर किनारे कर दिया गया. उनकी पूजा तो बहुत की गई, लेकिन हम उनके रास्ते पर नहीं चले और अब ऐसे लोग सामने हैं, जो गांधी के बताए रास्तों पर नहीं, बल्कि उल्टी दिशा में चल रहे हैं.

हाल में सोशल मीडिया से लेकर तमाम बौद्धिक जमात में वीर सावरकर को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म रहा. इसी क्रम में मनसे प्रमुख उद्धव ठाकरे ने बयान दिया कि जो वीर सावरकर को नहीं मानते, उन्हें देश से बाहर कर देना चाहिए और उसे बीच चौक पर पीटा जाना चाहिए. गौरतलब है कि गांधी की हत्या के षड्यंत्र में वीर सावरकर की सहभागिता बताई जाती रही है और अब जबकि देश गांधी की 150वीं जयंती मना रहा है, ऐसे में वीर सावरकर पर ऐसी चर्चा को किस तरह से देखते हैं? इसके जवाब में कुमार प्रशांत ने कहा कि सावरकर के बारे में जो भी कहा जा रहा है, वह अपनी गलत बातों का औचित्य साबित करने के लिए किया जा रहा है.

क्या गोडसे और सावरकर को गांधी के बराबर लाने की कोशिश हो रही है? इस पर कुमार प्रशांत का कहना था कि इतिहास में गांधी की जो जगह तय हो चुकी है, उसे आप ऊंचा नीचा नहीं कर पाएंगे. वर्तमान में सोशल मीडिया में भी आए दिन गांधी को लेकर भ्रांतियां और गलत सूचनाएं प्रसारित होती रहती हैं. क्या यह जमीन पर गांधी की विचारधारा की बुनियाद कमजोर कर सकती हैं? ऐसी आशंका पर कुमार प्रशांत का कहना था कि सोशल मीडिया और खासकर फेसबुक एक फेसलेस मीडियम है और इससे बाहर की दुनिया बहुत बड़ी है.

महात्मा गांधी जानवरों के साथ होने वाले व्यवहार से समाज का आकलन करने की बात कहते थे, लेकिन वर्तमान समय में आए दिन मॉब लिंचिंग या इस तरह की अन्य घटनाओं की जो खबरें आती हैं क्या ये गांधी के भारत को प्रतिबिंबित करती हैं? इस पर कुमार प्रशांत ने कहा कि यह जो हो रहा है, यह ना तो भारत का स्वभाव है, ना सभ्यता और ना ही परंपरा. उन्होंने कहा कि अभी तक जो मेन स्ट्रीम थी, वो सहिष्णुता की थी, सबको साथ लेकर चलने की बात होती थी, लेकिन अब जो बनाई जा रही है, वह यह है कि सिर्फ हम ही हैं और हमारे समर्थक ही हैं. लेकिन भारत में यह नहीं टिकेगा, क्योंकि इनकी जड़ें भारत में नहीं हैं.


Conclusion:अंत में कुमार प्रशांत ने यह भी कहा कि आज जो लोग मुखौटा पहनकर गांधी के बारे में अच्छी बातें कर रहे हैं, वे सोचते हैं कि उनका मुखौटा ही असली है, लेकिन समाज जानता है उनका असली चेहरा क्या है. यह एक खेल चल रहा है देश में और चिंता की बात यह है कि जब तक यह खेल खत्म होगा, तब तक यह इतना नुकसान कर जाएगा, जिसकी भरपाई नहीं हो पाएगी और हम इसीलिए वर्तमान समय में गांधी के विचारों को पढ़ रहे हैं लिख रहे हैं, ताकि इसे संभाल लिया जाए.
Last Updated : Sep 29, 2019, 5:49 PM IST
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