नई दिल्ली : पूर्वी लद्दाख के साथ सीमावर्ती क्षेत्रों में भारत और चीन के सैन्यबल आमने-सामने तैनात हैं. इस बीच भारतीय साइबर जगत पर भी हमले का खतरा बढ़ गया है. साइबर सुरक्षा की चिंता करते हुए भारत की शीर्ष एजेंसी CERT-IN (कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम-इंडिया) ने शुक्रवार को भारतीय संस्थाओं, एजेंसियों, कोविड-19 से संबंधित सहायता की देखरेख करने वाले सरकारी विभाग और सहयोगियों के खिलाफ बड़े पैमाने पर फिशिंग हमले की चेतावनी जारी की है.
ऐसे साइबर हमलों के पीछे संदिग्धों के बारे में पूछे जाने पर, मार्च 2019 तक भारत के राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा प्रमुख रहे गुलशन राय ने ईटीवी भारत को बताया कि यह हमला चीन, पाकिस्तान या उत्तर कोरिया से हो सकता है. वर्तमान परिदृश्य में इन तीनों देशों के भारत के संबंध बेहतर नहीं हैं. वे व्यक्तिगत या सहयोगात्मक रूप से हमला कर सकते है. दोनों स्थिति संभव है.
इसके कारण पूछने पर राय ने कहा, 'यह कई कारणों से हो सकता है- वित्तीय, जासूसी या सैन्य कारण, लेकिन पहला उद्देश्य भारत में अस्थिरता और भय पैदा करना है. इस समय यह डाटा की चोरी करने और लंबी अवधि के लिए सिस्टम का दुरुपयोग करना होगा.'
ऐसे हमलों की भविष्यवाणी कैसे की जाती है, साइबर सुरक्षा मुद्दों पर पीएमओ के पूर्व सलाहकार ने बताया, 'साइबर हमलों की भविष्यवाणी करने में डाटा की सक्रियता और ट्रेंड मुख्य कारण है. डाटा ट्रेफिक और ट्रेंड देखा जाता है. तत्काल अभी, दिन या हफ्तों के बाद होने वाले हमलों की पर्याप्त चेतावनी संकेत होंगे.'
दूसरों से साइबर हमला करने के अलावा चीनी सरकार अन्य साइबर हमलों से संबंधित क्षमताओं का उपयोग करने में माहिर है. चीन रक्षा और आक्रामक ढंग दोनों तरीकों से साइबर युद्ध क्षमता का इस्तेमाल करता है. चीन में 2016 में स्ट्रैटेजिक सपोर्ट फोर्स (एसएसएफ) का डोमेन बनाया गया, जोकि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के अंतर्गत आता है. एसएसएफ चीन का एक नेटवर्क सिस्टम विभाग है जो टोही, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध, मनोवैज्ञानिक युद्ध, साइबर वॉरफेयर तथा तकनीकी के साथ जो कुछ भी करना है उसके लिए जिम्मेदार है.
साइबर हमलों की भविष्यवाणी कैसे की जाती है, इसपर साइबर सुरक्षा उद्योग के दिग्गज रोहित श्रीवास्तव और 'माई डेटा माई प्राइवेसी माय चॉइस' पुस्तक के लेखक का कहना है कि 'हनीपोट्स' ऐसे साइबर हमलों के पहले खाली करने के लिए काम करते हैं. इस तरह की परिस्थिति में यह होता है, कुछ 'हनीपोट' या किसी अन्य तंत्र के माध्यम से खुफिया कंपनियों द्वारा तैनात किए जाते है और वे आने वाले स्पैम अभियान को जानते हैं. अधिकांश अभियान के शुरुआती चरण में ही पकड़ लिए जाते है.
आपको बता दें कि हनीपोट्स साइबर हमलावरों को लुभाने और हैकिंग के जरिए सूचना प्रणाली तक अनधिकृत पहुंच हासिल करने के प्रयास का पता लगाना, बचाव या जानकारी का एक नेटवर्क तरीका है. एक अन्य साइबर खुफिया विशेषज्ञ वोलोन साइबर सिक्योरिटी के प्रौद्योगिकी प्रमुख मुस्लिम कोसर बताते हैं कि हमने नेट हनीपोट योजना के साथ एक स्पैम हनीपोट 'SHIVA' बनाया था और इससे पहले भी ऐसे उदाहरण देखे हैं. पिछले कुछ महीनों में हुए जूनकार, मकान, काम और प्रोपटीगर जैसे सुरक्षा उल्लंघनों के कारण आजकल ईमेल सूचियों को प्राप्त करना बेहद आसान है.