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शिक्षकों की भर्ती के विषय पर पुनर्विचार याचिका दायर करेगी तेलंगाना सरकार

तेलंगाना सरकार सुप्रीम कोर्ट में शिक्षकों के आरक्षण को लेकर पुनर्विचार याचिका दायर करेगी. कोर्ट ने आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षकों के पदों पर आरक्षण के फैसले को खारिज कर दिया था.

तेलंगाना सरकार
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Published : Jun 10, 2020, 11:08 AM IST

Updated : Jun 10, 2020, 8:20 PM IST

हैदराबाद : मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने घोषणा किया कि राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने स्थानीय जनजातियों के लिए आदिवासी क्षेत्रों में सरकारी आदेश संख्या 3/2000 में शिक्षकों के पदों पर आरक्षण के फैसले को खारिज कर दिया था.

मुख्यमंत्री ने संबंधित अधिकारियों को कानूनी और संवैधानिक प्रावधानों का अध्ययन करने के लिए कहा. इस संबंध में तुरंत सुप्रीम कोर्ट में एक समीक्षा याचिका दायर करने का निर्देश दिया है.

मुख्यमंत्री कार्यालय ने कहा कि सरकार के सचेतक कांथा राव और विधायक अठाराम सक्कू ने प्रगति भवन में राव से मुलाकात की. उन्होंने कहा कि कोर्ट का यह फैसला आदिवासी के साथ बहुत अन्याय करेगा. इसके लिए कानूनी लड़ाई लड़नी होगी.

सरकार ने पूर्व में संविधान की पांचवीं अनुसूची में अधिसूचित जनजातीय क्षेत्रों में स्थानीय जनजातियों के लिए शत-प्रतिशत शिक्षकों की नौकरियों के लिए एक आदेश जारी किया था. कुछ लोग इस संबंध में अदालत में गए और कई बार सुनवाई के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने उक्त सरकारी आदेश को खारिज कर दिया था.

तेलंगाना राष्ट्र समिति के विधायकों ने मुख्यमंत्री से कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से स्थानीय जनजातियों के साथ अन्याय होगा. उन्होंने कहा कि 26 जनवरी 1950 से पहले से आरक्षित क्षेत्रों में निवास करने वाली जनजातियों को शत-प्रतिशत नौकरियों को आरक्षित करने की व्यवस्था थी.

हैदराबाद : मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने घोषणा किया कि राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने स्थानीय जनजातियों के लिए आदिवासी क्षेत्रों में सरकारी आदेश संख्या 3/2000 में शिक्षकों के पदों पर आरक्षण के फैसले को खारिज कर दिया था.

मुख्यमंत्री ने संबंधित अधिकारियों को कानूनी और संवैधानिक प्रावधानों का अध्ययन करने के लिए कहा. इस संबंध में तुरंत सुप्रीम कोर्ट में एक समीक्षा याचिका दायर करने का निर्देश दिया है.

मुख्यमंत्री कार्यालय ने कहा कि सरकार के सचेतक कांथा राव और विधायक अठाराम सक्कू ने प्रगति भवन में राव से मुलाकात की. उन्होंने कहा कि कोर्ट का यह फैसला आदिवासी के साथ बहुत अन्याय करेगा. इसके लिए कानूनी लड़ाई लड़नी होगी.

सरकार ने पूर्व में संविधान की पांचवीं अनुसूची में अधिसूचित जनजातीय क्षेत्रों में स्थानीय जनजातियों के लिए शत-प्रतिशत शिक्षकों की नौकरियों के लिए एक आदेश जारी किया था. कुछ लोग इस संबंध में अदालत में गए और कई बार सुनवाई के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने उक्त सरकारी आदेश को खारिज कर दिया था.

तेलंगाना राष्ट्र समिति के विधायकों ने मुख्यमंत्री से कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से स्थानीय जनजातियों के साथ अन्याय होगा. उन्होंने कहा कि 26 जनवरी 1950 से पहले से आरक्षित क्षेत्रों में निवास करने वाली जनजातियों को शत-प्रतिशत नौकरियों को आरक्षित करने की व्यवस्था थी.

Last Updated : Jun 10, 2020, 8:20 PM IST
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