नई दिल्ली : क्रिसमस और नए साल की छुट्टियों के बाद सुप्रीम कोर्ट चार जनवरी को खुलने और कुछ प्रमुख मामलों की सुनवाई करने के लिए तैयार है. जो मामले इस साल में निपटाए नहीं गए थे वे इस सप्ताह की शुरुआत में अलग-अलग बेंचों को आवंटन किए जाएंगे. इसके लिए एक नया रोस्टर अधिसूचित किया जाएगा.
कृषि कानून व किसान आंदोलन मामला
इनमें सबसे बहुप्रतीक्षित मामला संसद द्वारा लागू कृषि कानून के खिलाफ किसानों के विरोध का है. कुछ दलीलों ने खुद कानूनों को चुनौती दी और कुछ ने किसानों को सीमा से हटाने के निर्देश दिए हैं. पिछली सुनवाई में भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अगुआई वाली पीठ ने किसान यूनियन को मध्यस्थता के लिए एक समिति गठित करने को कहा था. कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को अवकाश बेंच से संपर्क करने की स्वतंत्रता दी थी, लेकिन मामला छुट्टी में नहीं आया. सीजेआई की अगुआई वाली पीठ द्वारा जनवरी में फिर से इसकी सुनवाई की जाएगी.
सेना में महिलाओं को स्थायी कमीशन मामला
अदालत चार जनवरी के बाद उस मामले की सुनवाई करेगी, जिसमें सेना में महिला अधिकारियों के स्थायी कमीशन की बात है. इस मामले को कोर्ट ने 30 दिसंबर को स्थगित कर दिया था और 18 दिसंबर के आदेश पर रोक लगा दी थी. इस मामले को अब 19 जनवरी को जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अगुआई वाली पीठ उठाएगी. जो पिछले साल से इस मामले की सुनवाई कर रही है और सरकार को महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने का आदेश दिया था.
धर्मांतरण विरोधी कानून का मामला
हाल ही में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों द्वारा धर्मांतरण विरोधी कानून पारित किए गए थे, जिन्हें शीर्ष अदालत में चुनौती दी गई थी कि वे नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं. साथ ही निर्दोष नागरिकों को निशाना बनाने के लिए इनका दुरुपयोग किया जाएगा. भारत के मुख्य न्यायाधीश की अगुआई वाली बेंच के सामने यह मामला 6 जनवरी को आने की संभावना है.
नए रोस्टर में इन मामलों की होगी सुनवाई
नए रोस्टर के अनुसार भारत के मुख्य न्यायाधीश टैक्स, लेटर पिटीशन, पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन, सोशल जस्टिस के मामलों, आपराधिक मामलों, संवैधानिक पदाधिकारियों में नियुक्ति, कॉलेजों में दाखिले, पट्टों और सरकारी अनुबंधों पर सुनवाई करेगा. भारत के मुख्य न्यायाधीश के साथ न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति एन वी रमना, न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति यू यू ललित, न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन और न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर जनहित याचिकाओं और सामाजिक न्याय मामलों की सुनवाई करेंगे. इन सभी मामलों में सरकारें एक पक्ष हैं.