नई दिल्ली : तमिलनाडु से राज्यसभा सदस्य पी विल्सन ने आज उच्च सदन को बताया कि उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति विविधता को इंगित नहीं करती है और न्यायाधीश केवल कुछ वर्गों से नियुक्त किए जाते हैं.
पी विल्सन ने कहा कि हमारे सर्वोच्च न्यायालय में विविधता की कमी है और यह भारत की विविध और बहुलवादी समाज का संकेत नहीं देता है.
उन्होंने कहा कि अदालत में महिला न्यायाधीशों की कमी है, छोटे वर्गों की पृष्ठभूमि वालों को न्यायाधीश के रूप में नियुक्त नहीं किया जाता है. लोगों का मानना है कि केवल कुछ वर्गों के न्यायाधीश ही उनके समाज के विचारों और मूल्यों को प्रतिबिंबित नहीं कर सकते हैं.
राज्यसभा सदस्य पी विल्सन ने कहा, 'न्यायाधीश अपनी पृष्ठभूमि के आधार पर कानून की व्याख्या करेंगे और लागू करेंगे'. उन्होंने कहा कि नियुक्ति नें विविधता की आवश्यकता है जिससे पिछड़े और छोटे समुदायों के अधिकारों का उल्लंघन न हो.
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विल्सन ने कहा, 'न्यायिक विविधता न्यायाधीशों की गुणवत्ता के लिए मौलिक है.'
सामाजिक न्याय और विविधता सुनिश्चित करने के लिए उन्होंने कहा कि कुछ वर्गों का प्रतिनिधित्व सिस्टम की निष्पक्षता पर सवाल उठता है.