अयोध्या : श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण कार्यशाला में रखे पत्थरों की सफाई का काम तेजी से किया जा रहा है. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने मंदिर निर्माण को लेकर तकनीकी रूप से तैयारी पूरी होने के बाद यह कार्य दिल्ली की कंस्ट्रक्शन कंपनी केएलए को सौंपी है. केएलए कंपनी की ओर से पांच श्रमिकों के साथ मंदिर निर्माण कार्यशाला में रखे पत्थरों की सफाई का काम शुरू किया गया था. हालांकि, कार्य में तेजी लाने के लिए अब धीरे-धीरे कंपनी ने श्रम शक्ति बढ़ाना शुरू कर दिया है.
श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण कार्यशाला में रखे पत्थरों को 23 प्रकार के केमिकल का प्रयोग कर साफ किया जा रहा है. कई पत्थर ऐसे हैं जिन पर अयोध्या आने वाले श्रद्धालुओं ने अपने नाम अंकित कर दिए हैं. ऐसे पत्थरों को साफ कर उस पर लिखे नाम हटाए जा रहे हैं. कार्यशाला में रखे बड़े पत्थरों को हटाने के लिए क्रेन का सहारा लिया जा रहा है. रामलला के मंदिर निर्माण में प्रयोग किए जाने वाले पत्थर उच्च गुणवत्ता के हैं.
23 प्रकार की केमिकल का हो रहा है इस्तेमाल
केलए कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर संजय जेडिया का कहना है कि पत्थरों की सफाई करने के लिए पानी प्राथमिकता है. अगर इसके बावजूद पत्थर अपने मूल कलर में वापस नहीं दिखता है, तो केमिकल का प्रयोग किया जाता है. जिस पत्थर पर जैसी डस्ट होती है उस पर वैसे ही केमिकल का प्रयोग किया जाता है. संजय जेडिया ने कहा कि कंपनी की ओर से पत्थरों को साफ करने के लिए 23 प्रकार के केमिकल उपयोग में लाए जा रहे हैं. पत्थरों की सफाई के लिए स्टोन क्लीनर समेत कई तरह के रिमूवर प्रयोग किए जा रहे हैं. स्टेन, एल्बो, सीमेंट, रस्ट रिमूवर और पेंट रिमूवर जैसे केमिकल भी प्रयोग में लाए जा रहे हैं.
1992 से मंदिर निर्माण कार्यशाला में रखे हैं पत्थर
रामनगरी में विवादित ढांचा ढहाए जाने के बाद वर्ष 1992 में मंदिर निर्माण के लिए विश्व हिंदू परिषद की ओर से कार्यशाला स्थापित की गई थी, जिसे राम मंदिर निर्माण कार्यशाला नाम दिया गया. यहां उच्च क्वालिटी के पत्थरों को तराशे जाने का काम वर्षों तक चला. बाद में कोर्ट के आदेश के बाद यह कार्य बंद कर दिया गया था. अयोध्या विवाद समाप्त होने के बाद कार्यशाला में फिर से चमक वापस आ गई. ट्रस्ट के निर्देश पर यहां रखे पत्थर साफ किए जा रहे हैं.