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महाराष्ट्र : पिता खरीदते हैं रद्दी, बेटा बना नायब तहसीलदार

एक गरीब परिवार से आने वाले अक्षय ने अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण की बदौलत सफलता हासिल की है. वह महाराष्ट्र राज्य सेवा परीक्षा पास कर उप तहसीलदार बन गए हैं.

Son Of A Scrap Deale
अक्षय बाबूराव गाडलिंग
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Published : Jun 21, 2020, 10:49 PM IST

अमरावती : एक छोटे से परिवार में पले-बढ़े अक्षय बाबूराव गाडलिंग ने महाराष्ट्र राज्य सेवा परीक्षा पास कर ली है. अक्षय अब नायब तहसीलदार बन गए हैं.

अक्षय के पिता साइकिल पर गांव-गांव जा कर रद्दी खरीदते थे और रंगोली बेचने का व्यवसाय भी चलाते हैं. अपने पिता के संघर्ष और कड़ी मेहनत को देखते हुए उन्होंने कभी अपना ध्यान भटकने नहीं दिया. एक गरीब परिवार से आने वाले अक्षय ने अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण की बदौलत सफलता हासिल की है.

अक्षय गाडलिंग ने भविष्य में एक बड़ा अधिकारी बनने का सपना देखा था लेकिन आर्थिक परिस्थितियां ठीक नहीं होने के चलते वह कभी पढ़ाई के लिए ट्यूशन क्लास नहीं जा सके, इसलिए उन्होंने विभिन्न सरकारी योजनाओं के माध्यम से एक क्लास में प्रवेश किया.

पढ़ाई के लिए दिल्ली में कक्षाओं और राजश्री साहू महाराज पुस्तकालय में वह घंटों बिताया करते थे. पिछली बार में तहसीलदार पद के लिए तीन अंकों से पीछे रहने वाले अक्षय ने हार नहीं मानी और फिर से कड़ी मेहनत से पढ़ाई की और सफल हो गए.

पढ़ें- सुप्रीम कोर्ट से ऑटो डीलरों को राहत, लॉकडाउन के बाद बेचे जा सकेंगे बीएस-4 श्रेणी के वाहन

अक्षय ने अपनी सफलता का सारा श्रेय अपने माता-पिता, दोस्तों और शिक्षकों को देते हैं. अक्षय ने बताया कि सहायक पुलिस निरीक्षक आशीष बोरकर राज्य सेवा आयोग की तैयारी कर रहे बच्चों के लिए मुफ्त ट्यूशन क्लास लेते थे. उन्होंने समय-समय पर मार्गदर्शन दिया. कई महंगी किताबें उपलब्ध करवाई. इसके अतिरिक्त, उन्होंने समय पर वित्तीय सहायता भी दी.

अमरावती : एक छोटे से परिवार में पले-बढ़े अक्षय बाबूराव गाडलिंग ने महाराष्ट्र राज्य सेवा परीक्षा पास कर ली है. अक्षय अब नायब तहसीलदार बन गए हैं.

अक्षय के पिता साइकिल पर गांव-गांव जा कर रद्दी खरीदते थे और रंगोली बेचने का व्यवसाय भी चलाते हैं. अपने पिता के संघर्ष और कड़ी मेहनत को देखते हुए उन्होंने कभी अपना ध्यान भटकने नहीं दिया. एक गरीब परिवार से आने वाले अक्षय ने अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण की बदौलत सफलता हासिल की है.

अक्षय गाडलिंग ने भविष्य में एक बड़ा अधिकारी बनने का सपना देखा था लेकिन आर्थिक परिस्थितियां ठीक नहीं होने के चलते वह कभी पढ़ाई के लिए ट्यूशन क्लास नहीं जा सके, इसलिए उन्होंने विभिन्न सरकारी योजनाओं के माध्यम से एक क्लास में प्रवेश किया.

पढ़ाई के लिए दिल्ली में कक्षाओं और राजश्री साहू महाराज पुस्तकालय में वह घंटों बिताया करते थे. पिछली बार में तहसीलदार पद के लिए तीन अंकों से पीछे रहने वाले अक्षय ने हार नहीं मानी और फिर से कड़ी मेहनत से पढ़ाई की और सफल हो गए.

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अक्षय ने अपनी सफलता का सारा श्रेय अपने माता-पिता, दोस्तों और शिक्षकों को देते हैं. अक्षय ने बताया कि सहायक पुलिस निरीक्षक आशीष बोरकर राज्य सेवा आयोग की तैयारी कर रहे बच्चों के लिए मुफ्त ट्यूशन क्लास लेते थे. उन्होंने समय-समय पर मार्गदर्शन दिया. कई महंगी किताबें उपलब्ध करवाई. इसके अतिरिक्त, उन्होंने समय पर वित्तीय सहायता भी दी.

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