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विशेष : जानें, क्या हैं देश में बेरोजगारी के हालात

एनएसओ ने वर्ष 2018-19 के लिए अपने पीएलएफएस के परिणाम जारी किए. इसके अलावा अप्रैल-जून 2019 तिमाही के शहरी अनुमान का परिणाम भी जारी किया गया. रिपोर्ट जून 2020 के पहले सप्ताह में जारी की गई. एलपीआर और बेरोजगारी में वृद्धि और गिरावट पर पेश है हमारी यह खास रिपोर्ट...

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Published : Jun 10, 2020, 8:27 AM IST

Updated : Jun 10, 2020, 10:54 AM IST

हैदराबाद : राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने वर्ष 2018-19 के लिए अपने आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) के परिणाम जारी किए. इसके अलावा अप्रैल-जून 2019 तिमाही के शहरी अनुमान का परिणाम भी जारी किया गया. रिपोर्ट जून 2020 के पहले सप्ताह में जारी की गई. वार्षिक रिपोर्ट वर्ष जुलाई 2018 और जून 2019 के आधार पर ली गई. वहीं वार्षिक सर्वेक्षण के लिए 101,579 परिवारों के नमूने लिए गए.

रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2017-18 की तुलना में 2018-19 में श्रम भागीदारी दर (एलपीआर) में वृद्धि हुई है. रोजगार दर (रिपोर्ट में कार्यशील जनसंख्या अनुपात) में सुधार हुआ है और बेरोजगारी दर में गिरावट आई है.

वर्तमान साप्ताहिक स्थिति के आधार पर श्रम भागीदारी दर 2017-18 में 48.4 प्रतिशत से बढ़कर 2018-19 में 48.5 प्रतिशत हो गई. यह आंकड़ा ग्रामीण महिलाओं की श्रम भागीदारी में भी केंद्रित है.

ग्रामीण महिलाओं की श्रम भागीदारी 2017-18 में 21.7 प्रतिशत से बढ़कर 2018-19 में 22.5 प्रतिशत हो गई, जबकि शहरी भारत में महिलाओं की श्रम भागीदारी दर में 19.6 प्रतिशत से 19.7 प्रतिशत हो गई है, लेकिन पुरुषों की श्रम भागीदारी दर में गिरावट आई. इसमें शहरी भारत पुरुषों की श्रम भागीदारी दर 74.7 प्रतिशत से घटकर 73.1 प्रतिशत और ग्रामीण भारत में 75.6 प्रतिशत से 75.5 प्रतिशत हो गई है.

रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रामीण भारत में महिलाओं की श्रम भागीदारी दर में चालू सप्ताह के आधार पर 0.8 प्रतिशत अंक और सामान्य स्थिति से तेज 1.8 प्रतिशत अंक की वृद्धि हुई. गौर करने वाली बात यह है कि ग्रामीण और शहर दोनों ही जगह महिलाओं की श्रम दर में वृद्धि हुई है.

हालांकि, यह 2018-19 के दौरान कृषि उद्योग में आई मंदी के दौरान आधिकारिक आंकड़ों के हिसाब से ठीक नहीं बैठता, जब 2017-18 में ग्रोथ 5.9 फीसदी से गिरकर 2018-19 में 2.4 फीसदी हो गई थी.

पीएलएफएस डेटा भी देश में बेरोजगारी दर में गिरावट का संकेत देता है. सामान्य स्थिति से बेरोजगारी दर 2017-18 में 6.1 प्रतिशत से गिरकर 2018-19 में 5.8 प्रतिशत हो गई, जिसमें 0.3 प्रतिशत अंक की गिरावट आई. वर्तमान स्थिति से मापे जाने पर बेरोजगारी दर 8.8 प्रतिशत अधिक है.

बेरोजगारी दर पुरुषों के लिए 8.8 प्रतिशत पर अपरिवर्तित थी, लेकिन महिलाओं के लिए 0.4 प्रतिशत हो गई. श्रम भागीदारी दर में वृद्धि और बेरोजगारी दर में गिरावट रोजगार दर में इजाफा करती है. यह दर 2017-18 में 46.8 प्रतिशत से बढ़कर 2018-19 में 47.3 प्रतिशत हो गई.

दिलचस्प बात यह है कि पुरुषों के लिए रोजगार की दर 71.2 फीसदी से घटकर 71 फीसदी रह गई. यह गिरावट केवल शहरी पुरुषों के बीच केंद्रित थी.

पीएलएफएस में पुरुषों के लिए एलपीआर दर 2018-19 में 74.9 प्रतिशत थी, जबकि उपभोक्ता पिरामिड घरेलू सर्वेक्षण (सीपीएचएस) में यह 72.5 प्रतिशत थी. पीएलएफएस में महिलाओं के लिए एलपीआर 21.6 प्रतिशत था लेकिन सीपीएचएस में 12.4 प्रतिशत था.

सीपीएचएस और पीएलएफएस द्वारा दी गई बेरोजगारी दर बहुत निकट से मेल खाती है. पीएलएफएस के अनुसार, 2018-19 में बेरोजगारी दर 8.8 प्रतिशत थी, जबकि सीपीएचएस के अनुसार, बेरोजगारी की दर 8.78 प्रतिशत थी.

गौरतलब है कि बेरोजगारी के अनुमानों में वह लोग शामिल हैं, जो बेरोजगार हैं, काम करने के इच्छुक हैं और नौकरी की तलाश में हैं.

विशेष लेख : पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक 2020 में भारत को 168 वां स्थान

हैदराबाद : राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने वर्ष 2018-19 के लिए अपने आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) के परिणाम जारी किए. इसके अलावा अप्रैल-जून 2019 तिमाही के शहरी अनुमान का परिणाम भी जारी किया गया. रिपोर्ट जून 2020 के पहले सप्ताह में जारी की गई. वार्षिक रिपोर्ट वर्ष जुलाई 2018 और जून 2019 के आधार पर ली गई. वहीं वार्षिक सर्वेक्षण के लिए 101,579 परिवारों के नमूने लिए गए.

रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2017-18 की तुलना में 2018-19 में श्रम भागीदारी दर (एलपीआर) में वृद्धि हुई है. रोजगार दर (रिपोर्ट में कार्यशील जनसंख्या अनुपात) में सुधार हुआ है और बेरोजगारी दर में गिरावट आई है.

वर्तमान साप्ताहिक स्थिति के आधार पर श्रम भागीदारी दर 2017-18 में 48.4 प्रतिशत से बढ़कर 2018-19 में 48.5 प्रतिशत हो गई. यह आंकड़ा ग्रामीण महिलाओं की श्रम भागीदारी में भी केंद्रित है.

ग्रामीण महिलाओं की श्रम भागीदारी 2017-18 में 21.7 प्रतिशत से बढ़कर 2018-19 में 22.5 प्रतिशत हो गई, जबकि शहरी भारत में महिलाओं की श्रम भागीदारी दर में 19.6 प्रतिशत से 19.7 प्रतिशत हो गई है, लेकिन पुरुषों की श्रम भागीदारी दर में गिरावट आई. इसमें शहरी भारत पुरुषों की श्रम भागीदारी दर 74.7 प्रतिशत से घटकर 73.1 प्रतिशत और ग्रामीण भारत में 75.6 प्रतिशत से 75.5 प्रतिशत हो गई है.

रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रामीण भारत में महिलाओं की श्रम भागीदारी दर में चालू सप्ताह के आधार पर 0.8 प्रतिशत अंक और सामान्य स्थिति से तेज 1.8 प्रतिशत अंक की वृद्धि हुई. गौर करने वाली बात यह है कि ग्रामीण और शहर दोनों ही जगह महिलाओं की श्रम दर में वृद्धि हुई है.

हालांकि, यह 2018-19 के दौरान कृषि उद्योग में आई मंदी के दौरान आधिकारिक आंकड़ों के हिसाब से ठीक नहीं बैठता, जब 2017-18 में ग्रोथ 5.9 फीसदी से गिरकर 2018-19 में 2.4 फीसदी हो गई थी.

पीएलएफएस डेटा भी देश में बेरोजगारी दर में गिरावट का संकेत देता है. सामान्य स्थिति से बेरोजगारी दर 2017-18 में 6.1 प्रतिशत से गिरकर 2018-19 में 5.8 प्रतिशत हो गई, जिसमें 0.3 प्रतिशत अंक की गिरावट आई. वर्तमान स्थिति से मापे जाने पर बेरोजगारी दर 8.8 प्रतिशत अधिक है.

बेरोजगारी दर पुरुषों के लिए 8.8 प्रतिशत पर अपरिवर्तित थी, लेकिन महिलाओं के लिए 0.4 प्रतिशत हो गई. श्रम भागीदारी दर में वृद्धि और बेरोजगारी दर में गिरावट रोजगार दर में इजाफा करती है. यह दर 2017-18 में 46.8 प्रतिशत से बढ़कर 2018-19 में 47.3 प्रतिशत हो गई.

दिलचस्प बात यह है कि पुरुषों के लिए रोजगार की दर 71.2 फीसदी से घटकर 71 फीसदी रह गई. यह गिरावट केवल शहरी पुरुषों के बीच केंद्रित थी.

पीएलएफएस में पुरुषों के लिए एलपीआर दर 2018-19 में 74.9 प्रतिशत थी, जबकि उपभोक्ता पिरामिड घरेलू सर्वेक्षण (सीपीएचएस) में यह 72.5 प्रतिशत थी. पीएलएफएस में महिलाओं के लिए एलपीआर 21.6 प्रतिशत था लेकिन सीपीएचएस में 12.4 प्रतिशत था.

सीपीएचएस और पीएलएफएस द्वारा दी गई बेरोजगारी दर बहुत निकट से मेल खाती है. पीएलएफएस के अनुसार, 2018-19 में बेरोजगारी दर 8.8 प्रतिशत थी, जबकि सीपीएचएस के अनुसार, बेरोजगारी की दर 8.78 प्रतिशत थी.

गौरतलब है कि बेरोजगारी के अनुमानों में वह लोग शामिल हैं, जो बेरोजगार हैं, काम करने के इच्छुक हैं और नौकरी की तलाश में हैं.

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Last Updated : Jun 10, 2020, 10:54 AM IST
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