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आर्टिकल 370 पर फैसले के 49 दिन : श्रीनगर में खुली दुकानें, कश्मीर के ट्रांसपोर्टर प्रभावित

जम्मू-कश्मीर में हुए प्रशासनिक बदलाव को 49 दिनों का समय हो चुका है. संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों में बदलाव के बाद आम जनजीवन के अलावा निजी ट्रांसपोर्ट और सार्वजनिक परिवहन भी प्रभावित हुए हैं. घाटी में कई लोग वित्तीय संकट का सामना कर रहे हैं. जानें क्या है पूरा मामला

जम्मू-कश्मीर में बंद पड़ीं बसें और यातायात सेवा
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Published : Sep 23, 2019, 5:29 AM IST

Updated : Oct 1, 2019, 3:54 PM IST

श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर में हालात धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं. रविवार को श्रीनगर के साप्ताहिक बाजार में बड़ी संख्या में विक्रेताओं ने स्टॉल लगाये. हालांकि, कश्मीर घाटी के लोगों का कहना है कि ट्रांसपोर्ट से जुड़े लोगों पर काफी बुरा प्रभाव पड़ रहा है.

कश्मीर में लगातार 49वें दिन मुख्य बाजार और अन्य व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहे. अधिकारियों ने बताया कि घाटी के ज्यादातर हिस्सों से सरकारी वाहन नदारद रहे लेकिन अंतर-जिला मार्गों पर निजी कार और कुछ यात्री कैब को चलते हुए देखा जा सकता था.

दरअसल, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों में बदलाव के बाद से जम्मू-कश्मीर के लोगों का सामान्य जनजीवन प्रभावित होने की खबरें आए दिन सामने आ रही हैं. एहतियात के तौर पर लगाए गए प्रशासनिक प्रतिबंधों से सार्वजनिक परिवहन और लोगों की आजीविका प्रभावित हो रही है.

खबरों की मानें तो, सार्वजनिक परिवहन से जुड़े लोग- ड्राइवर, कंडक्टर, मैकेनिक और संबद्ध सेवाएं पिछले डेढ़ महीने से वित्तीय संकट का सामना कर रहे हैं.

दूसरी ओर कार की मरम्मत और गाड़ियों की सर्विस करने वाली दुकानें भी पिछले डेढ़ माह से मंदी की मार झेल रही हैं.

वाहनों के एक निजी वर्कशॉप में काम करने वाले मैकेनिक ने कहा कि पिछले 50 दिनों से वह घर पर बेकार बैठा है क्योंकि उसके पास करने के लिए कोई काम नहीं है और उसके परिवार को पालना मुश्किल होता जा रहा है.

इसके अलावा, एक ड्राइवर ने दावा किया कि वह घाटी में परिवहन पर प्रतिबंध के कारण वित्तीय कठिनाइयों का सामना कर रहा है.

बता दें कि जम्मू और कश्मीर में संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है.

इस संबंध में अधिकारियों ने कहा कि कानून और व्यवस्थाओं को बनाए रखने के लिए एहतियात के तौर पर यह जरूरी है. अधिकारियों के मुताबिक कुछ लोगों के निहित स्वार्थ के कारण सुरक्षाबल तैनात किए गए हैं.

अप्रिय घटना की आशंका का जिक्र करते हुए अधिकारियों का मानना है कि जामा मस्जिद समेत अन्य धर्मस्थलों पर होने वाली नमाज और प्रार्थना सभा का फायदा उठा कर देश विरोध के स्वर भड़काए जा सकते हैं.

पढ़ें-गृह मंत्री अमित शाह बोले- देश की एकता में बाधक था अनुच्छेद 370

अनुच्छेद 370 के प्रावधानों में बदलाव के बाद कश्मीर घाटी में लोगों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से वित्तीय संकट का सामना करना पड़ा है.

बता दें कि बीते 4-5 अगस्त को तड़के कश्मीर में पहली बार प्रतिबंध लगाया गया था. इस दिन केंद्र सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों में बदलाव करने के अलावा जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाने का एलान किया था. बाद में हालात बेहतर होता देख, प्रशासन ने घाटी के कई हिस्सों से प्रतिबंध हटा दिए हैं.

अधिकारियों का कहना है कि प्लेटफॉर्म पर इंटरनेट सेवाएं निलंबित हैं. हालांकि घाटी में लैंडलाइन सेवाएं बहाल कर दी गई हैं. मोबाइल उपकरणों पर वॉयस कॉल केवल उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा जिले और हंदवाड़ा पुलिस स्टेशन में चालू हैं.

बता दें कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने स्कूलों को खोलने का फैसला लिया है. हालांकि, अभिभावक सुरक्षा कारणों से बच्चों को घर पर ही रख रहे हैं. स्कूलों में काफी कम उपस्थिति देखी जा रही है.

पढ़ें-'कश्मीर समस्या जवाहर लाल नेहरू की देन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुलझाया'

गौरतलब है कि एहतियात बरतने के मद्देनजर अधिकांश अलगाववादी नेताओं को एहतियातन हिरासत में लिया गया है, जबकि दो पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती समेत मुख्यधारा के नेताओं को या ता हिरासत में या नजरबंद रखा गया है.

एक अन्य पूर्व मुख्यमंत्री और श्रीनगर लोकसभा सीट से सांसद फारूक अब्दुल्ला को विवादास्पद जन सुरक्षा कानून (PSA) के तहत गिरफ्तार किया गया है.

केन्द्र ने गत पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को हटाने का निर्णय लिया था. इसके बाद फारुक अब्दुल्ला ने कहा था कि ये फैसला असंवैधानिक है. उन्होंने अमित शाह पर झूठ बोलने का आरोप भी लगाया है.

श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर में हालात धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं. रविवार को श्रीनगर के साप्ताहिक बाजार में बड़ी संख्या में विक्रेताओं ने स्टॉल लगाये. हालांकि, कश्मीर घाटी के लोगों का कहना है कि ट्रांसपोर्ट से जुड़े लोगों पर काफी बुरा प्रभाव पड़ रहा है.

कश्मीर में लगातार 49वें दिन मुख्य बाजार और अन्य व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहे. अधिकारियों ने बताया कि घाटी के ज्यादातर हिस्सों से सरकारी वाहन नदारद रहे लेकिन अंतर-जिला मार्गों पर निजी कार और कुछ यात्री कैब को चलते हुए देखा जा सकता था.

दरअसल, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों में बदलाव के बाद से जम्मू-कश्मीर के लोगों का सामान्य जनजीवन प्रभावित होने की खबरें आए दिन सामने आ रही हैं. एहतियात के तौर पर लगाए गए प्रशासनिक प्रतिबंधों से सार्वजनिक परिवहन और लोगों की आजीविका प्रभावित हो रही है.

खबरों की मानें तो, सार्वजनिक परिवहन से जुड़े लोग- ड्राइवर, कंडक्टर, मैकेनिक और संबद्ध सेवाएं पिछले डेढ़ महीने से वित्तीय संकट का सामना कर रहे हैं.

दूसरी ओर कार की मरम्मत और गाड़ियों की सर्विस करने वाली दुकानें भी पिछले डेढ़ माह से मंदी की मार झेल रही हैं.

वाहनों के एक निजी वर्कशॉप में काम करने वाले मैकेनिक ने कहा कि पिछले 50 दिनों से वह घर पर बेकार बैठा है क्योंकि उसके पास करने के लिए कोई काम नहीं है और उसके परिवार को पालना मुश्किल होता जा रहा है.

इसके अलावा, एक ड्राइवर ने दावा किया कि वह घाटी में परिवहन पर प्रतिबंध के कारण वित्तीय कठिनाइयों का सामना कर रहा है.

बता दें कि जम्मू और कश्मीर में संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है.

इस संबंध में अधिकारियों ने कहा कि कानून और व्यवस्थाओं को बनाए रखने के लिए एहतियात के तौर पर यह जरूरी है. अधिकारियों के मुताबिक कुछ लोगों के निहित स्वार्थ के कारण सुरक्षाबल तैनात किए गए हैं.

अप्रिय घटना की आशंका का जिक्र करते हुए अधिकारियों का मानना है कि जामा मस्जिद समेत अन्य धर्मस्थलों पर होने वाली नमाज और प्रार्थना सभा का फायदा उठा कर देश विरोध के स्वर भड़काए जा सकते हैं.

पढ़ें-गृह मंत्री अमित शाह बोले- देश की एकता में बाधक था अनुच्छेद 370

अनुच्छेद 370 के प्रावधानों में बदलाव के बाद कश्मीर घाटी में लोगों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से वित्तीय संकट का सामना करना पड़ा है.

बता दें कि बीते 4-5 अगस्त को तड़के कश्मीर में पहली बार प्रतिबंध लगाया गया था. इस दिन केंद्र सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों में बदलाव करने के अलावा जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाने का एलान किया था. बाद में हालात बेहतर होता देख, प्रशासन ने घाटी के कई हिस्सों से प्रतिबंध हटा दिए हैं.

अधिकारियों का कहना है कि प्लेटफॉर्म पर इंटरनेट सेवाएं निलंबित हैं. हालांकि घाटी में लैंडलाइन सेवाएं बहाल कर दी गई हैं. मोबाइल उपकरणों पर वॉयस कॉल केवल उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा जिले और हंदवाड़ा पुलिस स्टेशन में चालू हैं.

बता दें कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने स्कूलों को खोलने का फैसला लिया है. हालांकि, अभिभावक सुरक्षा कारणों से बच्चों को घर पर ही रख रहे हैं. स्कूलों में काफी कम उपस्थिति देखी जा रही है.

पढ़ें-'कश्मीर समस्या जवाहर लाल नेहरू की देन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुलझाया'

गौरतलब है कि एहतियात बरतने के मद्देनजर अधिकांश अलगाववादी नेताओं को एहतियातन हिरासत में लिया गया है, जबकि दो पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती समेत मुख्यधारा के नेताओं को या ता हिरासत में या नजरबंद रखा गया है.

एक अन्य पूर्व मुख्यमंत्री और श्रीनगर लोकसभा सीट से सांसद फारूक अब्दुल्ला को विवादास्पद जन सुरक्षा कानून (PSA) के तहत गिरफ्तार किया गया है.

केन्द्र ने गत पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को हटाने का निर्णय लिया था. इसके बाद फारुक अब्दुल्ला ने कहा था कि ये फैसला असंवैधानिक है. उन्होंने अमित शाह पर झूठ बोलने का आरोप भी लगाया है.

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Last Updated : Oct 1, 2019, 3:54 PM IST
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