पटना: बिहार के भागलुपर जिले के अजगैबीनाथ मंदिर में लगने वाला श्रावणी मेला विश्व प्रसिद्ध है. सावन के महीने में लगने वाले इस मेले का भक्त साल भर इंतजार करते हैं. महीनों पहले से इसकी तैयारियां शुरू कर दी जाती हैं. लेकिन, इस साल कोरोना के कहर से कोई अछूता नहीं रहा है.
अजगैबीनाथ मंदिर में लगने वाले श्रावणी मेले का आयोजन इस बार नहीं होगा. विश्वव्यापी कोरोना संक्रमण के मद्देनजर सरकार ने सभी तरह की सार्वजनिक गतिविधियों पर रोक लगा दी है. इस गाइडलाइन के तहत ही 2020 में लगने वाले श्रावणी मेला को रद्द कर दिया गया है.
छह जुलाई से शुरू होना था मेला
इस साल सावन का महीना छह जुलाई से शुरू हो रहा है. श्रावणी मेले को लेकर हर साल प्रशासिनक स्तर पर जो तैयारियां दिखती थी वह इस बार नजर नहीं आ रही हैं. मंदिर में भक्तों के प्रवेश पर रोक है. इसको लेकर आमजनों के साथ-साथ मेले में दुकान लगाकर गुजर-बसर करने वाले दुकानदारों में खासी मायूसी नजर आ रही है.
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हर साल बड़े स्तर पर होता है आयोजन
जिला प्रशासन की ओर से श्रावणी मेले पर लगभग हर वर्ष 12 लाख रुपये खर्च किए जाते हैं. सुरक्षा व्यवस्था के दृष्टिकोण से भी पूरे कांवड़िया पथ सुल्तानगंज के अजगैबीनाथ उत्तरवाहिनी गंगा घाट पर सीसीटीवी कैमरे और पुरुष-महिला पुलिस बल की तैनाती की जाती है. कई कंट्रोल रूम भी बनाए जाते हैं. इस बार सब शांत पड़ा हुआ है.
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यहीं से शुरू होती है कांवड़ यात्रा
कांवड़ यात्रा के लिए शिवभक्त सुल्तानगंज से जल भरकर झारखंड के बाबा बैद्यनाथ धाम एवं बासुकीनाथ धाम जाते हैं. श्रावणी मेले के दौरान देश के कई राज्यों से श्रद्धालु लाखों की संख्या में उत्तरवाहिनी गंगा में स्नान कर जल लेकर पैदल कांवड़ यात्रा पर निकलते हैं.
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मेले के कारण जलता है हजारों घरों का चूल्हा
बता दें कि श्रावणी मेला सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं है. इस मेले के कारण हजारों लोगों के घरों का चूल्हा जलता है. यह कई परिवारों के जीवन का आधार भी है. लेकिन, कोरोना वायरस के कारण इस बार हजारों लोगों को नुकसान झेलना पड़ेगा. भागलपुर में श्रावणी मेले की तैयारी तकरीबन दो महीने पहले ही शुरू हो जाती थी. इस बार झारखंड सरकार की ओर से देवघर और बासुकीनाथ में सावन के दौरान पूजा करने की इजाजत नहीं दी गई है, जिसे लेकर भागलपुर सुल्तानगंज के अजगैबीनाथ धाम में श्रावणी मेला लगाने की मनाही कर दी गई है.
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