नई दिल्ली : शरद पवार राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार हो सकते हैं. विपक्षी पार्टियां इस पर विचार कर रही हैं. कम से कम शिवसेना ने तो जरूर इस बाबत अपनी स्थिति साफ कर दी है. पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने सोमवार को कहा कि नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी के प्रमुख पवार के नाम पर विचार होना चाहिए.
2022 में राष्ट्रपति पद के चुनाव होने हैं. राउत ने कहा कि सभी राजनीतिक दलों को उनके नाम पर सहमति बनानी चाहिए. उन्होंने कहा कि पवार के पास राजनीतिक अनुभव और समझ है. वे कुशाग्र नेता हैं. उन्होंने राजनीति में लंबी पारी खेली है.
राउत ने दावा किया कि 2022 तक उनके पास राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को जिताने के लिए पर्याप्त बहुमत भी होंगे.
शरद पवार ने महाराष्ट्र में विपक्षी पार्टियों को जिस तरह से इकट्ठा कर सत्ता पर बिठाया, ऐसा लगता है कि शिवसेना उनकी कायल हो गई है.
वैसे, पवार राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी हैं. भाजपा ने भी उन्हें अपने साथ आने का ऑफर दिया था, लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया. तब पवार ने कहा था कि उन्होंने विपक्षी पार्टियों को अपना वचन दे रखा है. ऑफर खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिया था.
महाराष्ट्र में सरकार बनने के बाद पवार का एक बयान आया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि शिवसेना के मुकाबले भाजपा के साथ सरकार चलाना मुश्किल होगा.
अभी पवार ने प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नागरिकता संशोधन कानून को लेकर उनके विरोधी रूख का समर्थन किया है. पवार ने लिखा, 'मैं पूरी तरह से आपकी चिंता से सहमत हूं और सभी समान विचारधारा वाले नेताओं और दलों के साथ सीएए के कार्यान्वयन और प्रस्तावित राष्ट्रव्यापी राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के विरोध में एकजुटता से खड़े होने के लिए प्रतिबद्ध हूं.'
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आपको बता दें कि शिवसेना ने इसके पहले तब के अपने गठबंधन सहयोगी भाजपा का विरोध करते हुए प्रतिभा देवी पाटिल के नाम का समर्थन किया था. पाटिल महाराष्ट्र से आती हैं. लिहाजा, शिवसेना ने राष्ट्रपति पद के लिए उनके नाम का समर्थन किया था.