नई दिल्लीः अफगानिस्तान में उत्पीड़न और आतंकवाद का सामना कर रहे हिंदू और सिख समुदायों का 48 सदस्यों का दूसरा दल शुक्रवार को नई दिल्ली में देर शाम उतरा. दल में महिलाएं और बच्चे शामिल हैं.
दूसरे दल में सिखों के परिवार के वे सदस्य भी शामिल हैं, जिन्होंने मार्च में काबुल के शोर बाजार में गुरुद्वारा हर राय पर आतंकवादी हमले में अपनी जान गंवा दी थी. भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार इन अफगान नागरिकों को क्वारंटाइन किया जाएगा. जुलाई में भारत सरकार ने कहा था कि वह अफगान हिंदुओं और सिखों को वीजा की सुविधा प्रदान करेगी और भारतीय नागरिकता अनुरोधों की जांच करेगी. काबुल में भारतीय मिशन को जल्द से जल्द आवश्यक वीजा प्रदान करने का निर्देश दिया गया है.
दूसरे बैच के लोगों के रहने और पुनर्वास की व्यवस्था दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा की गई है. शिरोमणि अकाली दल के राष्ट्रीय प्रवक्ता मनजिंदर सिंह सिरसा ने एक बयान में कहा दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी उन 48 अफगान हिंदुओं और सिखों के रहने और पुनर्वास व्यवस्था में मदद के लिए तैयार है जो अफगानिस्तान में उत्पीड़न का सामना कर रहे थे और दिल्ली पहुंच गए हैं.
उन्होंने कहा कि हम गृह मंत्री अमित शाह के आभारी हैं, जिन्होंने जल्द वीजा दिलवाने में मदद की और हरसिमरत कौर बादल को भी शुक्रिया कहा जिन्होंने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया.
11 अफगान सिखों का पहला जत्था 26 जुलाई को दिल्ली पहुंचा था. इसमें निधन सिंह सचदेवा भी शामिल थे, जिनका अफगानिस्तान में हक्कानी नेटवर्क से जुड़े आतंकवादी समूहों ने अपहरण कर लिया था. अन्य सदस्यों में अफगान सिखों के परिवार शामिल थे जो काबुल में गुरुद्वारा में आतंकी हमले में मारे गए थे. नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) लागू होने के बाद भारतीय सिखों ने पहले बैच का स्वागत किया.
सुरक्षा खतरों, मानवाधिकार उल्लंघन और अल्पसंख्यक समुदायों पर हमलों की खबर आने के बाद भारत सरकार द्वारा प्रत्यावर्तन प्रक्रिया शुरू की गई थी.
लगभग 600 हिंदू और अफगान राष्ट्रीयता के सिख काबुल में भारत के दूतावास के संपर्क में हैं और भारत लौटने की मांग कर रहे हैं. प्रारंभ में भारत ने 6 महीने का वीजा प्रदान किया है. हालांकि अफगान समुदाय के सदस्य भारतीय नागरिकता के लिए आशान्वित हैं.
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