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EVM और VVPAT की शिकायत करने वालों पर आपराधिक मुकदमे का मामला : चुनाव आयोग से SC ने जवाब मांगा

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Published : Apr 29, 2019, 10:46 PM IST

निर्वाचन आयोग ने ईवीएम और वीवीपैट में गड़बड़ी की शिकायत गलत पाए जाने पर शिकायतकर्ता के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने की बात कही है. इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने आयोग को नोटिस जारी किया है.

फाइल फोटो.

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनों और वीवीपैट में गड़बड़ी की शिकायत गलत साबित होने पर शिकायतकर्ता पर कानूनी कार्यवाही संबंधी नियम निरस्त करने के लिये दायर याचिका पर सोमवार को निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी किया.

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने सुनील आह्या की याचिका पर केन्द्र को भी नोटिस जारी किया है.

इस याचिका में कहा गया है कि चुनाव कराने संबंधी नियम 49 एमए असंवैधानिक है क्योंकि यह इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन और वीवीपैट में गड़बड़ी की शिकायत को अपराध बनाता है.

याचिका में कहा गया है कि ईवीएम और वीवीपैट के सही तरीके से काम नहीं करने के आरोप साबित करने की जिम्मेदारी मतदाता पर डालने संबंधी प्रावधान संविधान में प्रदत्त अभिव्यक्ति के मौलिक अधिकार का अतिक्रमण करता है.

याचिका में न्यायालय से अनुरोध किया गया है कि चुनाव प्रक्रिया में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों के ठीक से काम नहीं करने संबंधी शिकायतें दर्ज करने का निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया जाये.

याचिका के अनुसार इन उपकरणों के ठीक से काम नहीं करने संबंधी शिकायत साबित करने की जिम्मेदारी मतदाता पर है जिसे कानूनी कार्यवाही का सामना करना पड़ेगा भले ही उसने ईमानदारी से शिकायत की हो.

ये भी पढ़ें: PM मोदी और शाह के खिलाफ EC की कार्रवाई नहीं, कांग्रेस सांसद की याचिका पर SC में सुनवाई आज

याचिका में कहा गया है कि ईवीएम और वीवीपैट के ठीक से काम नहीं करने संबंधी किसी भी शिकायत के मामले में मतदाता को दो मत देने होते हैं, पहला गोपनीय तरीके से और दूसरा प्रत्याशियों या चुनाव एजेन्टों की उपस्थिति में. इस तरह से बाद में दूसरे लोगों की उपस्थिति में किया गया मतदान इन उपकरणों के ठीक से काम नहीं करने या गोपनीय मतदान से इतर नतीजा सबूत बन जाता है.

याचिका के अनुसार ईवीएम और वीवीपैट के ठीक से काम नहीं करने के मामले में मतदाता को जवाबदेह बनाने की वजह से वे किसी भी प्रकार की शिकायत करने से बचेंगे जबकि यह चुनाव प्रक्रिया में सुधार के लिये जरूरी है. याचिका में यह भी कहा गया है कि इस प्रावधान से संविधान के अनुच्छेद 20 (3) का भी उल्लंघन होता है.

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनों और वीवीपैट में गड़बड़ी की शिकायत गलत साबित होने पर शिकायतकर्ता पर कानूनी कार्यवाही संबंधी नियम निरस्त करने के लिये दायर याचिका पर सोमवार को निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी किया.

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने सुनील आह्या की याचिका पर केन्द्र को भी नोटिस जारी किया है.

इस याचिका में कहा गया है कि चुनाव कराने संबंधी नियम 49 एमए असंवैधानिक है क्योंकि यह इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन और वीवीपैट में गड़बड़ी की शिकायत को अपराध बनाता है.

याचिका में कहा गया है कि ईवीएम और वीवीपैट के सही तरीके से काम नहीं करने के आरोप साबित करने की जिम्मेदारी मतदाता पर डालने संबंधी प्रावधान संविधान में प्रदत्त अभिव्यक्ति के मौलिक अधिकार का अतिक्रमण करता है.

याचिका में न्यायालय से अनुरोध किया गया है कि चुनाव प्रक्रिया में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों के ठीक से काम नहीं करने संबंधी शिकायतें दर्ज करने का निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया जाये.

याचिका के अनुसार इन उपकरणों के ठीक से काम नहीं करने संबंधी शिकायत साबित करने की जिम्मेदारी मतदाता पर है जिसे कानूनी कार्यवाही का सामना करना पड़ेगा भले ही उसने ईमानदारी से शिकायत की हो.

ये भी पढ़ें: PM मोदी और शाह के खिलाफ EC की कार्रवाई नहीं, कांग्रेस सांसद की याचिका पर SC में सुनवाई आज

याचिका में कहा गया है कि ईवीएम और वीवीपैट के ठीक से काम नहीं करने संबंधी किसी भी शिकायत के मामले में मतदाता को दो मत देने होते हैं, पहला गोपनीय तरीके से और दूसरा प्रत्याशियों या चुनाव एजेन्टों की उपस्थिति में. इस तरह से बाद में दूसरे लोगों की उपस्थिति में किया गया मतदान इन उपकरणों के ठीक से काम नहीं करने या गोपनीय मतदान से इतर नतीजा सबूत बन जाता है.

याचिका के अनुसार ईवीएम और वीवीपैट के ठीक से काम नहीं करने के मामले में मतदाता को जवाबदेह बनाने की वजह से वे किसी भी प्रकार की शिकायत करने से बचेंगे जबकि यह चुनाव प्रक्रिया में सुधार के लिये जरूरी है. याचिका में यह भी कहा गया है कि इस प्रावधान से संविधान के अनुच्छेद 20 (3) का भी उल्लंघन होता है.

Intro:The Supreme Court issued a notice to the Election Commission of India in response to a petition moved by Sunil Ahya, seeking decriminalizing the reporting of deviant behavior of EVM and VVPAT. The bench comprising CJI Ranjan Gogoi,Justice Deepak Gupta and Sanjiv Khanna issued the notice to the EC today.


Body:Ahya urged the SC to issue an order to set aside the rule 49MA of the conduct of election rules,1961 , which when read with section 177 of the Indian Penal Code, criminalises the reporting of deviant behavior of EVM and VVPAT in case the voter fails to prove his allegation. The voter can face criminal prosecution up to 6 months.

Rule 49MA states that," Where printer for paper trail is used, if an elector after having recorded his vote under rule 49M alleges that the paper slip generated by the printer has shown the name or symbol of a candidate other than the one he voted for, the presiding officer shall obtain a written declaration from the elector as to the allegation, after warning the elector about the consequence of making a false declaration. "

Also, the voter has to cast a test vote after his actual vote, in presence of the presiding officer in order to prove his allegation.

The petition said that all the burden of proving the allegation lies on the voter which could deter him from coming forward as he may not be able to prove claim and fear criminal charges. Ahya said that it would also create an illusion of free and fair elections as voters won't come up with complaints even if they find faults in the machine.

He also challenged the rule of casting 2 votes, one secret and one test vote. He said that the test vote might not generate the same result as the secret vote. Citing an illustration he said, " the possibility of an unsolicited program, whereby the ballots casted for one candidate may be transferred, not sequentially, but rather intermittently to another candidate". This may lead to different results both the time and the voter won't be able to prove the faults in machines.


Conclusion:
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