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रोहिंग्या मामला : यूएन रॅपॉर्टेयर की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से जवाब मांगा

रोहिंग्या निर्वासन के मामले में की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र (UN) के स्पेशल रॅपॉर्टेयर (Rapporteur) की इंटरवेंशन (Intervention) याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने जवाब मांगा.

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सुप्रीम कोर्ट
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Published : Jan 10, 2020, 7:27 PM IST

Updated : Jan 11, 2020, 9:31 AM IST

नई दिल्ली: देश के सर्वोच्च न्यायालय ने बांग्लादेश से आए अवैध रोहिंग्या शरणार्थियों को भारत में शरण देने की मांग करने वाली एक याचिका पर केंद्र सरकार को एक नोटिस जारी किया है. साथ ही न्यायालय ने सरकार से कहा कि जब अगली सुनवाई मार्च में होगी, तब सरकार याचिकाओं में पूछे गए सवालों के जवाब देगी.

अदालत में याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि अनुच्छेद 21 के तहत और कई अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों के तहत ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि जिसके तहत भारत में शरण ले रखे शरणार्थियों को बाहर निकालने की अनुमति देता है.

अपने दलील में प्रशांत भूषण ने कहा कि 'भारत में शरण लेने वाले किसी भी शरणार्थी को वापस नहीं भेजा जा सकता है, इसलिए उसे दीर्घकालिक समय के लिए वीजा पर रहने की अुनमति दी जानी चाहिए.'

वहीं दूसरी तरफ भूषण ने अदालत को बताया के म्यांमार भारत में रह रहे रोहिंग्या को वापस लेने को तैयार है, इसलिए उन्हें शरणार्थी कैसे कहा जा सकता है.

साथ ही उन्होंने यह बताया की वे लोग कैसी परिस्थितियों में यहा पर आए है, ये वहीं लोग है जो वहां हिंसा में मारे जाने से बच गए हैं.

वहीं सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वे याचिका में उठाए गए सभी सवालों के जवाब मार्च में सुनवाई के दौरान देंगे

नई दिल्ली: देश के सर्वोच्च न्यायालय ने बांग्लादेश से आए अवैध रोहिंग्या शरणार्थियों को भारत में शरण देने की मांग करने वाली एक याचिका पर केंद्र सरकार को एक नोटिस जारी किया है. साथ ही न्यायालय ने सरकार से कहा कि जब अगली सुनवाई मार्च में होगी, तब सरकार याचिकाओं में पूछे गए सवालों के जवाब देगी.

अदालत में याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि अनुच्छेद 21 के तहत और कई अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों के तहत ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि जिसके तहत भारत में शरण ले रखे शरणार्थियों को बाहर निकालने की अनुमति देता है.

अपने दलील में प्रशांत भूषण ने कहा कि 'भारत में शरण लेने वाले किसी भी शरणार्थी को वापस नहीं भेजा जा सकता है, इसलिए उसे दीर्घकालिक समय के लिए वीजा पर रहने की अुनमति दी जानी चाहिए.'

वहीं दूसरी तरफ भूषण ने अदालत को बताया के म्यांमार भारत में रह रहे रोहिंग्या को वापस लेने को तैयार है, इसलिए उन्हें शरणार्थी कैसे कहा जा सकता है.

साथ ही उन्होंने यह बताया की वे लोग कैसी परिस्थितियों में यहा पर आए है, ये वहीं लोग है जो वहां हिंसा में मारे जाने से बच गए हैं.

वहीं सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वे याचिका में उठाए गए सभी सवालों के जवाब मार्च में सुनवाई के दौरान देंगे

Intro:The Supreme Court today issued notice to the centre on a petition seeking to deport the illegal Rohingya refugees who have fled Bangladesh and are seeking shelter in India. The centre has also been asked to reply to the petitions by march when the next hearing will take place.


Body:Senior Advocate Prashant Bhushan appearing for one of the petitioners said that no refugee under Article 21 and under many international conventions which India has been part of allows the deportation of refugees. "No refugee coming to India can be sent back and should be allowed to stay on long term visas," added Bhushan.

An advocate said that Mayanmar is ready to take them back so how can they be called refugees? Bhushan replied saying that they have escaped from being killed.

Solicitor General Tushar Mehta said that he will reply to all the petitions by march.


Conclusion:
Last Updated : Jan 11, 2020, 9:31 AM IST
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