नई दिल्ली: देश के सर्वोच्च न्यायालय ने बांग्लादेश से आए अवैध रोहिंग्या शरणार्थियों को भारत में शरण देने की मांग करने वाली एक याचिका पर केंद्र सरकार को एक नोटिस जारी किया है. साथ ही न्यायालय ने सरकार से कहा कि जब अगली सुनवाई मार्च में होगी, तब सरकार याचिकाओं में पूछे गए सवालों के जवाब देगी.
अदालत में याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि अनुच्छेद 21 के तहत और कई अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों के तहत ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि जिसके तहत भारत में शरण ले रखे शरणार्थियों को बाहर निकालने की अनुमति देता है.
अपने दलील में प्रशांत भूषण ने कहा कि 'भारत में शरण लेने वाले किसी भी शरणार्थी को वापस नहीं भेजा जा सकता है, इसलिए उसे दीर्घकालिक समय के लिए वीजा पर रहने की अुनमति दी जानी चाहिए.'
वहीं दूसरी तरफ भूषण ने अदालत को बताया के म्यांमार भारत में रह रहे रोहिंग्या को वापस लेने को तैयार है, इसलिए उन्हें शरणार्थी कैसे कहा जा सकता है.
साथ ही उन्होंने यह बताया की वे लोग कैसी परिस्थितियों में यहा पर आए है, ये वहीं लोग है जो वहां हिंसा में मारे जाने से बच गए हैं.
वहीं सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वे याचिका में उठाए गए सभी सवालों के जवाब मार्च में सुनवाई के दौरान देंगे