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लोन मोरेटोरियम मामला : अगले सप्ताह तक टली सुनवाई

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Published : Nov 19, 2020, 5:19 PM IST

लोन मोरेटोरियम मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई टाल दी है. कोर्ट इस मामले पर सुनवाई अगले सप्ताह करेगी.

लोन मोरेटोरियम मामला
लोन मोरेटोरियम मामला

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने लोन मोरेटोरियम मामले में सुनवाई अगले सप्ताह तक टाल दी है. सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को बिजली उत्पादकों (पावर प्रोड्यूसर्स बॉडी )द्वारा मांगी गई ऋण राहत पर जवाब देने का निर्देश दिया. इसके अलावा बिजली उत्पादकों को आरबीआई को अपने सुझाव देने को कहा है.

न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने इससे जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई की, जिन्होंने ऋण स्थगन (लोन मोरेटोरियम) अवधि के दौरान ऋण पर ब्याज में छूट की मांग की थी. कोर्ट ने आज उन दलीलों को निपटाने का निर्देश दिया जो सरकार के संकल्प तंत्र से संतुष्ट थीं.

यूनियन ने अदालत में हलफनामा प्रस्तुत किया था, जिसमें दो करोड़ तक के छोटे और एमएसएमई लोन और वहन करने की क्षमता के बारे में बताया गया था. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को इस बारे में जानकारी दी कि इस मुद्दे पर अब क्या किया गया है.

यह भी पढ़ें- सुप्रीम कोर्ट का उत्तराखंड सरकार को निर्देश, हरिद्वार से हटाया जाए अवैध निर्माण

याचिका दायर करने वाली कंपनियों की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी शीर्ष अदालत के समक्ष पेश हुए. इस दौरान उन्होंने कहा कि आरबीआई के परिपत्रों को शामिल किए जाने का इरादा है, लेकिन कुछ ऐसे निष्कर्ष हैं जो उनके जैसे लोगों को आहत कर रहे हैं.

उन्होंने तर्क दिया कि कोरोना के शुरुआती दौर में सात मार्च को संसदीय पैनल ने भी उनके लिए ऋण संरचना का समर्थन किया था. ज्यादातर बैंक हमारे लोन को री-स्ट्रक्चर करने को तैयार नहीं हैं. बिजली उत्पादन कंपनियों पर 1.2 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है, लेकिन इनमें एफपीआई या एलआईसी को पैसा लगाने की इजाजत नहीं दी जा रही है.

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने लोन मोरेटोरियम मामले में सुनवाई अगले सप्ताह तक टाल दी है. सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को बिजली उत्पादकों (पावर प्रोड्यूसर्स बॉडी )द्वारा मांगी गई ऋण राहत पर जवाब देने का निर्देश दिया. इसके अलावा बिजली उत्पादकों को आरबीआई को अपने सुझाव देने को कहा है.

न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने इससे जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई की, जिन्होंने ऋण स्थगन (लोन मोरेटोरियम) अवधि के दौरान ऋण पर ब्याज में छूट की मांग की थी. कोर्ट ने आज उन दलीलों को निपटाने का निर्देश दिया जो सरकार के संकल्प तंत्र से संतुष्ट थीं.

यूनियन ने अदालत में हलफनामा प्रस्तुत किया था, जिसमें दो करोड़ तक के छोटे और एमएसएमई लोन और वहन करने की क्षमता के बारे में बताया गया था. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को इस बारे में जानकारी दी कि इस मुद्दे पर अब क्या किया गया है.

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याचिका दायर करने वाली कंपनियों की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी शीर्ष अदालत के समक्ष पेश हुए. इस दौरान उन्होंने कहा कि आरबीआई के परिपत्रों को शामिल किए जाने का इरादा है, लेकिन कुछ ऐसे निष्कर्ष हैं जो उनके जैसे लोगों को आहत कर रहे हैं.

उन्होंने तर्क दिया कि कोरोना के शुरुआती दौर में सात मार्च को संसदीय पैनल ने भी उनके लिए ऋण संरचना का समर्थन किया था. ज्यादातर बैंक हमारे लोन को री-स्ट्रक्चर करने को तैयार नहीं हैं. बिजली उत्पादन कंपनियों पर 1.2 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है, लेकिन इनमें एफपीआई या एलआईसी को पैसा लगाने की इजाजत नहीं दी जा रही है.

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