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94 वर्षीय महिला की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी किया

94 वर्षीय महिला की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है. शीर्ष अदालत में दायर इस याचिका में साल 1975 में देश में लगाए गए आपातकाल को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की गई है. इसके साथ ही 25 करोड़ रुपये की राशि से उसकी भरपाई करने की भी मांग की गई है.

सुप्रीम कोर्ट
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Published : Dec 14, 2020, 6:15 PM IST

Updated : Dec 14, 2020, 6:24 PM IST

नई दिल्ली : 94 वर्षीय महिला ने सुप्रीम कोर्ट में एक रिट याचिका दायर की है, उन्होंने 1975 में देश में लगाई गई इमरजेंसी को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की है. इसके साथ ही जिम्मेदार संबंधित अधिकारियों से 25 करोड़ की मुआवजा राशि की भी मांग की है. शीर्ष अदालत ने इस संबंध में केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है.

याचिकाकर्ता ने कहा है, आपातकाल के दौरान उन्हें परेशान करने वाले अधिकारियों की धमकी के कारण उन्हें, उनके पति और बच्चों को देश छोड़ना पड़ा. उनके दिवंगत पति का करोल बाग में व्यवसाय था.

महिला के पति को विदेशी मुद्रा संरक्षण और तस्करी निरोधक अधिनियम (COFEPOSE) के संरक्षण के तहत गिरफ्तार भी किया गया था, जिसका परिणाम पूरे परिवार को भुगतना पड़ा.

'संपत्तियों को बहाल करने के लिए संघर्ष'
याचिकाकर्ता पिछले 35 वर्षों से अधिकारों का उल्लंघन करने और उनकी संपत्तियों को बहाल करने के लिए संघर्ष कर रहा है. हमारे देश के इतिहास की प्रासंगिक और अंधेरे अवधि के दौरान देश के कई अन्य नागरिकों की तरह याचिकाकर्ता और उनके पति तत्कालीन सरकारी अधिकारियों और अन्य लोगों द्वारा किए गए अत्याचार के शिकार हुए थे.

'देश छोड़ने के लिए किया मजबूर'
याचिकाकर्ता और उनके पति को जेल में डाले जाने के डर से देश छोड़ने के लिए मजबूर किया गया था. अधिकारियों द्वारा उन्हें लगातार यह कहते हुए सुना गया कि वे अपनी तमाम चल-अचल संपत्ति और देश छोड़कर चले जाएं. बाद में याचिकाकर्ता और उसके बच्चे विदेश चले गए, क्योंकि उनका ज्यादातर सामान और संपत्ति जब्त कर ली गई थी.

25 करोड़ रुपये की वसूली का मुआवजा
याचिका में संबंधित अधिकारियों से 25 करोड़ रुपये की वसूली का मुआवजा दिलवाने की मांग की गई है. याचिका में कहा गया है कि इस असंवैधानिक अन्याय का असर उनके परिवार की तकरीबन तीन पीढ़ियों पर पड़ा है. इस इमरजेंसी ने ऐसी परिस्थिति पैदा की है कि रिश्तेदारों और दोस्तों ने भी साथ छोड़ दिया.

पढ़ें - सुप्रीम कोर्ट पहुंची 94 वर्षीय महिला, इमरजेंसी से जुड़ा है मामला

नुकसान की भरपाई की मांग
इसी वर्ष सितंबर महीने में वीरा सरीन द्वारा दाखिल की गई याचिका में गृह मंत्रालय को भी एक पक्षकार नियुक्त किया गया है. महिला ने शीर्ष अदालत से चार दशक से ज्यादा समय से उसके और उसके बच्चों को हुए नुकसान की भरपाई की मांग की गई है. अदालत के समक्ष सुनवाई के लिए याचिका अभी भी आ रही है. महिला फिलहाल देहरादून में अपनी बेटी के साथ रहतीं हैं.

सरीन के व्यावसायिक ठिकानों में छापेमारी
1957 में वीरा सरीन ने एचके सरीन से विवाह किया था, जिनका करोल बाग और कनॉट प्लेस में उत्कर्ष कला और रत्न का कारोबार था. जून 1975 में आपातकाल घोषित होने के फौरन बाद, सीमा शुल्क अधिनियम के संदिग्ध उल्लंघन पर सरीन के व्यावसायिक ठिकानों पर छापे मारे गए और कीमती सामान, आभूषण और कलाकृतियां जब्त कर ली गईं.

नई दिल्ली : 94 वर्षीय महिला ने सुप्रीम कोर्ट में एक रिट याचिका दायर की है, उन्होंने 1975 में देश में लगाई गई इमरजेंसी को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की है. इसके साथ ही जिम्मेदार संबंधित अधिकारियों से 25 करोड़ की मुआवजा राशि की भी मांग की है. शीर्ष अदालत ने इस संबंध में केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है.

याचिकाकर्ता ने कहा है, आपातकाल के दौरान उन्हें परेशान करने वाले अधिकारियों की धमकी के कारण उन्हें, उनके पति और बच्चों को देश छोड़ना पड़ा. उनके दिवंगत पति का करोल बाग में व्यवसाय था.

महिला के पति को विदेशी मुद्रा संरक्षण और तस्करी निरोधक अधिनियम (COFEPOSE) के संरक्षण के तहत गिरफ्तार भी किया गया था, जिसका परिणाम पूरे परिवार को भुगतना पड़ा.

'संपत्तियों को बहाल करने के लिए संघर्ष'
याचिकाकर्ता पिछले 35 वर्षों से अधिकारों का उल्लंघन करने और उनकी संपत्तियों को बहाल करने के लिए संघर्ष कर रहा है. हमारे देश के इतिहास की प्रासंगिक और अंधेरे अवधि के दौरान देश के कई अन्य नागरिकों की तरह याचिकाकर्ता और उनके पति तत्कालीन सरकारी अधिकारियों और अन्य लोगों द्वारा किए गए अत्याचार के शिकार हुए थे.

'देश छोड़ने के लिए किया मजबूर'
याचिकाकर्ता और उनके पति को जेल में डाले जाने के डर से देश छोड़ने के लिए मजबूर किया गया था. अधिकारियों द्वारा उन्हें लगातार यह कहते हुए सुना गया कि वे अपनी तमाम चल-अचल संपत्ति और देश छोड़कर चले जाएं. बाद में याचिकाकर्ता और उसके बच्चे विदेश चले गए, क्योंकि उनका ज्यादातर सामान और संपत्ति जब्त कर ली गई थी.

25 करोड़ रुपये की वसूली का मुआवजा
याचिका में संबंधित अधिकारियों से 25 करोड़ रुपये की वसूली का मुआवजा दिलवाने की मांग की गई है. याचिका में कहा गया है कि इस असंवैधानिक अन्याय का असर उनके परिवार की तकरीबन तीन पीढ़ियों पर पड़ा है. इस इमरजेंसी ने ऐसी परिस्थिति पैदा की है कि रिश्तेदारों और दोस्तों ने भी साथ छोड़ दिया.

पढ़ें - सुप्रीम कोर्ट पहुंची 94 वर्षीय महिला, इमरजेंसी से जुड़ा है मामला

नुकसान की भरपाई की मांग
इसी वर्ष सितंबर महीने में वीरा सरीन द्वारा दाखिल की गई याचिका में गृह मंत्रालय को भी एक पक्षकार नियुक्त किया गया है. महिला ने शीर्ष अदालत से चार दशक से ज्यादा समय से उसके और उसके बच्चों को हुए नुकसान की भरपाई की मांग की गई है. अदालत के समक्ष सुनवाई के लिए याचिका अभी भी आ रही है. महिला फिलहाल देहरादून में अपनी बेटी के साथ रहतीं हैं.

सरीन के व्यावसायिक ठिकानों में छापेमारी
1957 में वीरा सरीन ने एचके सरीन से विवाह किया था, जिनका करोल बाग और कनॉट प्लेस में उत्कर्ष कला और रत्न का कारोबार था. जून 1975 में आपातकाल घोषित होने के फौरन बाद, सीमा शुल्क अधिनियम के संदिग्ध उल्लंघन पर सरीन के व्यावसायिक ठिकानों पर छापे मारे गए और कीमती सामान, आभूषण और कलाकृतियां जब्त कर ली गईं.

Last Updated : Dec 14, 2020, 6:24 PM IST
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