नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने विशेष अधिनियमों के तहत गिरफ्तार कैदियों को जमानत नहीं देने की उच्चाधिकार समिति (एचपीसी) की सिफारिशों को बरकरार रखने के बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली एक याचिका को आज खारिज कर दिया.
मेधा पाटेकर ने दायर की थी याचिका
उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने एक्टिविस्ट मेधा पाटेकर द्वारा दायर याचिका पर फैसला दिया. याचिका में मेधा पाटेकर ने तर्क दिया था कि कोविड-19 के मामले बढ़ने पर भी विशेष अधिनियम के तहत कैदियों को महाराष्ट्र रिहा नहीं कर रहा है. अदालत ने कहा कि राज्य सरकार ने 36 स्थानों पर अस्थाई जेल स्थापित की हैं. 2597 कैदी इनमें रह रहे हैं. जेलों में भीड़ बढ़ने पर अन्य कैदियों को भी स्थानांतरित किया जाएगा. याचिकाकर्ता ने तर्क दिया था कि कैदी आधिकारिक क्षमता से अधिक हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने एचपीसी का गठन करने को कहा था
कोर्ट ने पाया कि एचपीसी द्वारा कुछ विशेष कैटेगरीज के लिए अंतरिम जमानत खारिज कर दी है. जमानत खारिज होने वालों पर गंभीर अपराध का आरोप है. इनकी रिहाई से समाज पर बड़े पैमाने पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. कोर्ट ने एचपीसी की राय और बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश को सही माना. हालांकि, अदालत ने याचिकाकर्ताओं को एचपीसी के पास आवेदन करने की अनुमति दी है. सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को एक एचपीसी का गठन करने के लिए कहा था, जो कैदियों के कैटेगरीज पर फैसला कर सकता है, जिन्हें कोरोना महामारी के मद्देनजर जमानत पर रिहा किया जा सकता है.