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सुप्रीम कोर्ट में मराठा आरक्षण के खिलाफ शुक्रवार को होगी सुनवाई - महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण

बॉम्बे हाईकोर्ट ने मराठा समुदाय के लिए नौकरी और शिक्षण संस्थाओं में आरक्षण के लिए राज्य सरकार के फैसले पर मुहर लगाई थी. इसके खिलाफ शीर्ष अदालत में याचिका दायर की गई है, जिसकी सुनवाई शुक्रवार को की जाएगी. जानें क्या है पूरा मामला.

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Published : Jul 8, 2019, 7:39 PM IST

Updated : Jul 8, 2019, 8:16 PM IST

नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय बॉम्बे हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ शुक्रवार को एक याचिका पर सुनवाई करेगा, जिसमें महाराष्ट्र के मराठा समुदाय को दी गई शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण की अनुमति दी जाती है.

आपको बता दें, सुप्रीम कोर्ट में ये याचिका एक एनजीओ 'यूथ फॉर इक्वलिटी' ने दायर की थी.

गौरतलब है कि जून में बॉम्बे उच्च न्यायालय ने सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग (SEBC) श्रेणी के तहत मराठा समुदाय को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण की वैधता को बरकरार रखा था लेकिन इसे 16 प्रतिशत से कम कर दिया था.

पढ़ें: भारत के सभी जिलों में मानवाधिकार कोर्ट की मांग, SC ने केंद्र और राज्यों को भेजा नोटिस

अदालत ने 16 प्रतिशत आरक्षण को कम करते हुए शिक्षा में 12 प्रतिशत और रोजगार में 13 प्रतिशत आरक्षण को मंजूरी देते हुए कहा कि इससे ज्यादा आरक्षण देना उचित नहीं है.

इस संबंध में न्यायाधीश रंजीत मोरे और न्यायाधीश भारती डांगरे की खंडपीठ ने यह भी कहा कि सरकार SEBC के लिए एक अलग श्रेणी बनाने और उन्हें आरक्षण देने का अधिकार रखती है.

गौरतलब है, यह फैसला राज्य सरकार के 29 नवंबर 2018 के दिये गए फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं के संबंध में आया, जिसमें SEBC श्रेणी के तहत मराठा समुदाय को 16 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है.

नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय बॉम्बे हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ शुक्रवार को एक याचिका पर सुनवाई करेगा, जिसमें महाराष्ट्र के मराठा समुदाय को दी गई शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण की अनुमति दी जाती है.

आपको बता दें, सुप्रीम कोर्ट में ये याचिका एक एनजीओ 'यूथ फॉर इक्वलिटी' ने दायर की थी.

गौरतलब है कि जून में बॉम्बे उच्च न्यायालय ने सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग (SEBC) श्रेणी के तहत मराठा समुदाय को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण की वैधता को बरकरार रखा था लेकिन इसे 16 प्रतिशत से कम कर दिया था.

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अदालत ने 16 प्रतिशत आरक्षण को कम करते हुए शिक्षा में 12 प्रतिशत और रोजगार में 13 प्रतिशत आरक्षण को मंजूरी देते हुए कहा कि इससे ज्यादा आरक्षण देना उचित नहीं है.

इस संबंध में न्यायाधीश रंजीत मोरे और न्यायाधीश भारती डांगरे की खंडपीठ ने यह भी कहा कि सरकार SEBC के लिए एक अलग श्रेणी बनाने और उन्हें आरक्षण देने का अधिकार रखती है.

गौरतलब है, यह फैसला राज्य सरकार के 29 नवंबर 2018 के दिये गए फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं के संबंध में आया, जिसमें SEBC श्रेणी के तहत मराठा समुदाय को 16 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है.

Intro:The Supreme Court agreed to hear a plea on friday this week filed by a NGO "Youth for Equality" against the Bombay High Court order which had upheld the reservation in education and jobs granted by the state of Maharashtra to the maratha community.


Body:The Bombay High court, in its june order, had upheld the validity of reservation granted to the Maratha community by the state government under the socially and educationally backward class cateogary(SEBC) in government jobs and educational institutions.

However the court has held that 16% reservation is not justifiable and ruled that reservation should not exceed 12% in employment and 13% in education as recommended by Backward commission.

The division bench of Justices Ranjit More and Bharti Dangre dismissed the petition filed challenging the Maratha Reservation Act(Maharashtra State Reservation of seats for admission in educational institutions in the state and for appointmentsto the posts in the public services under the state) for Socially and Educationally Backward Act(SEBC),2018, passed by the state legislative assembly on 29th November,2018, granting reservation to Marathas.


Conclusion:
Last Updated : Jul 8, 2019, 8:16 PM IST
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