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सैनिकों की तैनाती को अनुच्छेद 35ए को निरस्त करने से जोड़कर फैलाई जा रही है अफवाह: शिवराज चौहान - shivraj hits back mehbooba mufti

जम्मू कश्मीर में पार्टी के सदस्यता अभियान की शुरूआत करने के लिए आए भाजपा के वरिष्ठ नेता और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कश्मीर में संविधान के अनुच्छेद 35ए को निरस्त करने से जोड़कर अफवाह फैलाई जा रही है.

शिवराज चौहान ( फाइल फोटो)
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Published : Jul 28, 2019, 3:38 PM IST

श्रीनगर: भाजपा के वरिष्ठ नेता और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार को कहा कि कश्मीर में संविधान के अनुच्छेद 35ए को निरस्त करने से जोड़कर अफवाह फैलाई जा रही है.

उन्होंने कहा कि कश्मीर के मुख्यधारा के राजनेता घाटी में सैनिकों की तैनाती और संविधान के अनुच्छेद 35ए को निरस्त करने से जोड़कर अफवाह फैला रहे हैं.

चौहान का यह बयान उस समय आया है जब केंद्र द्वारा कश्मीर घाटी में आतंकवाद निरोधक अभियानों को मजबूती प्रदान करने और कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने के लिए घाटी में करीब 10000 केंद्रीय बलों भेजना का एलान किया है.

चौहान ने कहा, ' यह अफवाह हमारे मित्रों द्वारा फैलाई जा रही है. सैनिकों की तैनाती एक सामान्य प्रक्रिया है.'

अनुच्छेद 35ए राज्य विधानसभा को जम्मू कश्मीर के स्थायी निवासियों को परिभाषित करने और उन्हें विशेषाधिकार प्रदान करने की शक्ति प्रदान करता है.'

बता दें कि शिवराज चौहान जम्मू कश्मीर में पार्टी के सदस्यता अभियान की शुरूआत करने के लिए आए हैं.

चौहान ने आगे कहा कि सरकार ने यह भी कहा है कि हम विधानसभा चुनाव के लिए तैयार हैं जब भी चुनाव आयोग इन्हें कराना चाहे और चुनाव कराने के लिए अतिरिक्त बलों की जरुरत होती है.

उन्होंने कहा, 'इसमें और कुछ नहीं है लेकिन उमर (अब्दुल्ला) और महबूबा (मुफ्ती) को कुछ मुद्दा चाहिए, इसलिए वे इसे उठा रहे हैं.

यह पूछे जाने पर कि क्या केंद्र 35ए निरस्त करने की योजना बना रहा है, चौहान ने कहा कि मामला उच्चतम न्यायालय के समक्ष है.

बता दें कि बृहस्पतिवार को केंद्र सरकार ने आतंकवाद निरोधक अभियानों को मजबूती प्रदान करने और कानून एवं व्यवस्था बनाये रखने के लिए जम्मू कश्मीर में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) की 100 कंपनियां तैनात करने का आदेश दिया था.जबकि सीएपीएफ की एक कंपनी में करीब 100 कर्मी होते हैं.

केंद्र सरकार इस फैसले पर जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि केंद्र को जम्मू कश्मीर में चीजों को सुलझाने की अपनी नीति पर पुनर्विचार करने की जरुरत है.

महबूबा ने एक ट्वीट करते हुए कहा था कि 'घाटी में अतिरिक्त 10,000 सैनिकों को तैनात करने के केंद्र के फैसले ने लोगों में भय उत्पन्न कर दिया है. कश्मीर में सुरक्षा बलों की कोई कमी नहीं है. जम्मू-कश्मीर एक राजनीतिक समस्या है जिसे सैन्य तरीकों से हल नहीं किया जा सकता. भारत सरकार को अपनी नीति पर पुनर्विचार और उसे दुरूस्त करने की जरूरत है.'

चौहान ने नेशनल कान्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला की टिप्पणी की भी आलोचना की जिसमें उन्होंने लोगों को आगामी विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करने के खिलाफ आगाह किया था क्योंकि इससे भाजपा को फायदा हो सकता है.

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि मैंने उनकी टिप्पणी सुनी है. वह लोगों को आगाह कर रहे थे लेकिन उदाहरण ऐसे लोगों का दिया जिन्होंने देश के खिलाफ काम किया और उनका नहीं जिन्होंने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दी. वह इसको लेकर चिंतित है जिस तरह से भाजपा घाटी में अपना प्रभाव बढ़ा रही है.

जानकारी दे दें कि अब्दुल्ला ने शुक्रवार को पार्टी के एक कार्यक्रम में कहा था कि संसदीय चुनाव का रुख यदि विधानसभा चुनाव में भी जारी रहा तो त्राल से भाजपा का विधायक होगा.

उन्होंने कहा, अगर चुनाव का बहिष्कार हुआ तो कल्पना करिए उसी त्राल से भाजपा का एक विधायक होगा जहां से बुरहान वानी और जाकिर मुसा था.

गौरतलब है कि वानी और मुसा क्रमश: हिजबुल मुजाहिदीन और अंसार गजवत-उल हिंद के आतंकवादी थे और सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए थे.

चौहान ने आरोप लगाया कि अब्दुल्ला और महबूबा ने जम्मू कश्मीर का लूटा लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ एक निर्णायक लड़ाई शुरू की है.

यह पूछे जाने पर कि क्या भाजपा राज्य में सरकार बनाने के लिए फिर से किसी क्षेत्रीय पार्टी के साथ हाथ मिलाएगी, चौहान ने कहा कि भगवा पार्टी अपने बल पर सत्ता में आएगी.

उन्होंने नियंत्रण रेखा के पार स्थित शारदा पीठ मंदिर भारतीय तीर्थयात्रियों के लिए खोलने की मांग की.

पढ़ें- महबूबा मुफ्ती बोलीं, अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती से लोगों में डर फैल रहा है

उन्होंने कहा, विदेश मंत्रालय ने मंदिर को दर्शन के लिए खोलने की मांग पाकिस्तान के साथ उठाई है, सरकार मुद्दे को पाकिस्तान के साथ उठाएगी लेकिन समाज यह भी मांग करता है कि मंदिर को खोला जाए ताकि लोग वहां जाकर दर्शन कर सकें.

पूर्व मंत्री एवं पीपुल्स कान्फ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद गनी लोन ने कहा, सैनिकों की तैनाती की खबरों ने लोगों में डर और दहशत पैदा कर दी है. किसी को भी इस बात का कोई अंदाजा नहीं है कि क्या होने वाला है. संकेत ठीक नहीं हैं और अफवाहों का बाजार गर्म है और उस पर विश्वास किया जाए कश्मीरी लोगों की विशेष पहचान खतरे में है.

उन्होंने कहा, यदि वर्तमान सरकार का वास्तव में ऐसा कोई इरादा है तो यह दुस्साहस को अस्वीकार्य सीमाओं तक विस्तारित करने के बराबर होगा.

श्रीनगर: भाजपा के वरिष्ठ नेता और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार को कहा कि कश्मीर में संविधान के अनुच्छेद 35ए को निरस्त करने से जोड़कर अफवाह फैलाई जा रही है.

उन्होंने कहा कि कश्मीर के मुख्यधारा के राजनेता घाटी में सैनिकों की तैनाती और संविधान के अनुच्छेद 35ए को निरस्त करने से जोड़कर अफवाह फैला रहे हैं.

चौहान का यह बयान उस समय आया है जब केंद्र द्वारा कश्मीर घाटी में आतंकवाद निरोधक अभियानों को मजबूती प्रदान करने और कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने के लिए घाटी में करीब 10000 केंद्रीय बलों भेजना का एलान किया है.

चौहान ने कहा, ' यह अफवाह हमारे मित्रों द्वारा फैलाई जा रही है. सैनिकों की तैनाती एक सामान्य प्रक्रिया है.'

अनुच्छेद 35ए राज्य विधानसभा को जम्मू कश्मीर के स्थायी निवासियों को परिभाषित करने और उन्हें विशेषाधिकार प्रदान करने की शक्ति प्रदान करता है.'

बता दें कि शिवराज चौहान जम्मू कश्मीर में पार्टी के सदस्यता अभियान की शुरूआत करने के लिए आए हैं.

चौहान ने आगे कहा कि सरकार ने यह भी कहा है कि हम विधानसभा चुनाव के लिए तैयार हैं जब भी चुनाव आयोग इन्हें कराना चाहे और चुनाव कराने के लिए अतिरिक्त बलों की जरुरत होती है.

उन्होंने कहा, 'इसमें और कुछ नहीं है लेकिन उमर (अब्दुल्ला) और महबूबा (मुफ्ती) को कुछ मुद्दा चाहिए, इसलिए वे इसे उठा रहे हैं.

यह पूछे जाने पर कि क्या केंद्र 35ए निरस्त करने की योजना बना रहा है, चौहान ने कहा कि मामला उच्चतम न्यायालय के समक्ष है.

बता दें कि बृहस्पतिवार को केंद्र सरकार ने आतंकवाद निरोधक अभियानों को मजबूती प्रदान करने और कानून एवं व्यवस्था बनाये रखने के लिए जम्मू कश्मीर में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) की 100 कंपनियां तैनात करने का आदेश दिया था.जबकि सीएपीएफ की एक कंपनी में करीब 100 कर्मी होते हैं.

केंद्र सरकार इस फैसले पर जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि केंद्र को जम्मू कश्मीर में चीजों को सुलझाने की अपनी नीति पर पुनर्विचार करने की जरुरत है.

महबूबा ने एक ट्वीट करते हुए कहा था कि 'घाटी में अतिरिक्त 10,000 सैनिकों को तैनात करने के केंद्र के फैसले ने लोगों में भय उत्पन्न कर दिया है. कश्मीर में सुरक्षा बलों की कोई कमी नहीं है. जम्मू-कश्मीर एक राजनीतिक समस्या है जिसे सैन्य तरीकों से हल नहीं किया जा सकता. भारत सरकार को अपनी नीति पर पुनर्विचार और उसे दुरूस्त करने की जरूरत है.'

चौहान ने नेशनल कान्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला की टिप्पणी की भी आलोचना की जिसमें उन्होंने लोगों को आगामी विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करने के खिलाफ आगाह किया था क्योंकि इससे भाजपा को फायदा हो सकता है.

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि मैंने उनकी टिप्पणी सुनी है. वह लोगों को आगाह कर रहे थे लेकिन उदाहरण ऐसे लोगों का दिया जिन्होंने देश के खिलाफ काम किया और उनका नहीं जिन्होंने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दी. वह इसको लेकर चिंतित है जिस तरह से भाजपा घाटी में अपना प्रभाव बढ़ा रही है.

जानकारी दे दें कि अब्दुल्ला ने शुक्रवार को पार्टी के एक कार्यक्रम में कहा था कि संसदीय चुनाव का रुख यदि विधानसभा चुनाव में भी जारी रहा तो त्राल से भाजपा का विधायक होगा.

उन्होंने कहा, अगर चुनाव का बहिष्कार हुआ तो कल्पना करिए उसी त्राल से भाजपा का एक विधायक होगा जहां से बुरहान वानी और जाकिर मुसा था.

गौरतलब है कि वानी और मुसा क्रमश: हिजबुल मुजाहिदीन और अंसार गजवत-उल हिंद के आतंकवादी थे और सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए थे.

चौहान ने आरोप लगाया कि अब्दुल्ला और महबूबा ने जम्मू कश्मीर का लूटा लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ एक निर्णायक लड़ाई शुरू की है.

यह पूछे जाने पर कि क्या भाजपा राज्य में सरकार बनाने के लिए फिर से किसी क्षेत्रीय पार्टी के साथ हाथ मिलाएगी, चौहान ने कहा कि भगवा पार्टी अपने बल पर सत्ता में आएगी.

उन्होंने नियंत्रण रेखा के पार स्थित शारदा पीठ मंदिर भारतीय तीर्थयात्रियों के लिए खोलने की मांग की.

पढ़ें- महबूबा मुफ्ती बोलीं, अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती से लोगों में डर फैल रहा है

उन्होंने कहा, विदेश मंत्रालय ने मंदिर को दर्शन के लिए खोलने की मांग पाकिस्तान के साथ उठाई है, सरकार मुद्दे को पाकिस्तान के साथ उठाएगी लेकिन समाज यह भी मांग करता है कि मंदिर को खोला जाए ताकि लोग वहां जाकर दर्शन कर सकें.

पूर्व मंत्री एवं पीपुल्स कान्फ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद गनी लोन ने कहा, सैनिकों की तैनाती की खबरों ने लोगों में डर और दहशत पैदा कर दी है. किसी को भी इस बात का कोई अंदाजा नहीं है कि क्या होने वाला है. संकेत ठीक नहीं हैं और अफवाहों का बाजार गर्म है और उस पर विश्वास किया जाए कश्मीरी लोगों की विशेष पहचान खतरे में है.

उन्होंने कहा, यदि वर्तमान सरकार का वास्तव में ऐसा कोई इरादा है तो यह दुस्साहस को अस्वीकार्य सीमाओं तक विस्तारित करने के बराबर होगा.

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