पटना: बिहार में दूसरे चरण में 94 सीटों पर चुनाव होने जा रहा है. दूसरे चरण में 17 जिलों की सीटें शामिल हैं, जहां 3 नवंबर को वोटिंग होगी. इसमें पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, गोपालगंज, सिवान, सारण, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, शिवहर, मधुबनी, दरभंगा, समस्तीपुर, वैशाली, बेगूसराय, खगड़िया, भागलपुर, नालंदा और पटना शामिल है. इसमें दो दर्जन सीटें ऐसी हैं, जहां मुस्लिम मतदाताओं के वोट का असर पड़ता है. पेश है खास रिपोर्ट.
ओवैसी का नया गठबंधन कितना असर डालेगा
बिहार विधानसभा चुनाव में मुस्लिम मतदाता महागठबंधन को वोट कर रहे हैं या जेडीयू की तरफ झुकाव रहेगा या ओवैसी के बनाए गठबंधन की तरफ जाएंगे. इस पर फिलहाल सस्पेंस बना हुआ है.
2015 के विधानसभा चुनाव से ओवैसी की नजर सीमांचल के साथ-साथ मुस्लिम बहुल इलाकों पर है. लोकसभा चुनाव में ओवैसी की पार्टी ने दमदार उपस्थिति दर्ज करने की कोशिश की थी, हालांकि सीट तो नहीं मिला लेकिन किशनगंज में उनके उम्मीदवार अख्तरुल ईमान को लगभग 3,00,000 वोट मिले थे.
राजनीतिक विशेषज्ञ की राय
इस बार ओवैसी ने उपेंद्र कुशवाहा को मुख्यमंत्री बनाने के लिए नया गठबंधन बनाया है. लेकिन राजनीतिक विशेषज्ञ डीएम दिवाकर का कहना है कि मुस्लिम मतदाता बीजेपी को हराने के लिए पूरी कोशिश करते हैं और इस बार राम मंदिर, तीन तलाक के साथ एनआरसी और सीएए का भी मुद्दा है. ऐसे में जेडीयू के बीजेपी के साथ होने के कारण जो मुस्लिम मतदाता जेडीयू के साथ थे, उसमें से अधिकांश के छिटकने का डर है.
दिवाकर ने कहा कि मुस्लिम मतदाता ओवैसी के गठबंधन और कुछ जगहों पर जेडीयू के उम्मीदवारों को वोट दे सकते हैं.
वहीं, जेडीयू के विधान पार्षद गुलाम रसूल बलियावी का दावा है बिहार में नीतीश कुमार ने मुस्लिमों के लिए बहुत कुछ किया है और मुस्लिम मतदाता भी अब बदल चुके हैं.
मुस्लिम वोटरों की आबादी 16 से 17%
बिहार में मुस्लिम वोट का प्रतिशत 16 से 17 फीसदी के आसपास है. 1990 से पहले तक मुस्लिम वोट एकमुश्त कांग्रेस को मिलता रहा है. लालू प्रसाद ने MY समीकरण के माध्यम से मुस्लिम वोटों पर कांग्रेस के एकाधिकार को समाप्त कर दिया, लेकिन 2005 जब नीतीश कुमार सत्ता में आए तो उन्होंने MY समीकरण को भी ध्वस्त करना शुरू कर दिया.
नीतीश के कामकाज और मुस्लिम प्रेम के कारण उन्हें मौलाना नीतीश भी कहा जाने लगा था. इसलिए बीजेपी के साथ गठबंधन के बावजूद नीतीश कुमार के स्टैंड को लेकर मुस्लिम बड़ी संख्या में जेडीयू को वोट करते रहे. लेकिन जब महागठबंधन से नीतीश अलग हुए तो एक बार फिर से मुस्लिम वोट उनसे दूर होने लगे.
पिछले लोकसभा चुनाव से ओवैसी की पार्टी की एंट्री के बाद मुस्लिम बहुल इलाकों में मुस्लिम वोट पर सियासत भी होने लगी है. मुस्लिम वोटरों पर ओवैसी का गठबंधन भी अब अपना दावा करने लगा है. सीमांचल की 16 सीटों के अलावा दरभंगा की दो सीटें और मधुबनी और चंपारण की 1-1 सीट ऐसी है जहां मुस्लिम मतदाता जीत-हार का फैसला करते हैं. यहां करीब 30 फीसदी मुस्लिम आबादी है.
किस सीट पर किसका कब्जा
ओवैसी की पार्टी की जिन मुस्लिम बहुल सीटों पर नजर है, उसमें से जोकीहाट, बिस्फी, बरारी, बायसी, केवटी, समस्तीपुर, महुआ, झंझारपुर, साहिबगंज, ढाका, बरौली , शाहपुर, रघुनाथपुर, मखदुमपुर और साहेबपुर कमाल सीट पर आरजेडी का कब्जा है. वहीं, अमौर, बेतिया, नरकटियागंज, कदवा, कहलगांव, औरंगाबाद, वजीरगंज सीट कांग्रेस के पास है. जबकि फुलवारी बाजपट्टी, दारौंदा और सिमरी बख्तियारपुर सीट पर जेडीयू का कब्जा है.
ऐसे बिहार में 47 सीट ऐसी है जहां मुस्लिम आबादी 20 फीसदी से अधिक है. बिहार में आरजेडी ने एमवाई समीकरण के सहारे मुस्लिम वोटों पर कई सालों तक राज किया. नीतीश कुमार ने उसे तोड़ने की कोशिश की लेकिन अब ओवैसी की पार्टी के आने से मुस्लिम वोटों के समीकरण बिगड़ने की चर्चा है.
10 नवंबर को होगी मतों की गिनती
दूसरे फेज में जहां चुनाव होना है उसमें भागलपुर, दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, सिवान, गोपालगंज और बेगूसराय मुस्लिम वोट बैंक के लिहाज से महत्वपूर्ण है. इन जिलों में दो दर्जन विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं, जहां मुस्लिम वोट का प्रतिशत अच्छा खासा है.
सीमांचल इलाकों में जहां मुस्लिम वोटर उम्मीदवार की जीत में निर्णायक भूमिका निभाते हैं. यहां 7 नवंबर को तीसरे फेज में चुनाव होगा. बता दें कि 10 नवंबर को मतों की गिनती होगी.