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पश्चिम बंगाल ने सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत EWS आरक्षण की घोषणा की

पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी की सरकार ने सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने का फैसला लिया है. इसका आर्थिक रुप से कमजोर लोगों को लाभ मिलेगा. इस फैसले को ममता कैबिनेट में मंत्री पार्थ चटर्जी ने ऐतिहासिक करार दिया. पढ़ें पूरा विवरण

ममता बनर्जी
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Published : Jul 3, 2019, 3:14 PM IST

कोलकाता: पश्चिम बंगाल सरकार ने आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला लिया है. शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने बताया कि पश्चिम बंगाल में सरकारी नौकरी में10 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा.

केंद्र में भाजपा की अगुवाई वाली एनडीए सरकार के आने के छह महीने बाद इस यह फैसला लिया गया है.

केंद्र में भाजपा नीत राजग सरकार द्वारा इसी तरह के प्रस्ताव को मंजूरी देने के छह महीने बाद पश्चिम बंगाल सरकार ने यह फैसला लिया है. ममता बनर्जी सरकार ने सामान्य श्रेणी में आर्थिक रूप से कमजोर तबके के लिए सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में 10 प्रतिशत आरक्षण देने की घोषणा की.

पढ़ें: मिजोरम में इमारत ढही, मलबे में दबकर तीन लोगों की मौत : पुलिस

संसदीय मामलों के मंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा, 'यह एक ऐतिहासिक फैसला है. आर्थिक रूप से कमजोर तबके से जुड़े होने को परिभाषित करने के लिए कई कारक हैं. जल्द जारी होने वाले सरकारी आदेश में इन विवरणों का उल्लेख किया जाएगा.'

कैबिनेट बैठक के बाद संवाददाताओं से उन्होंने कहा कि इसके बारे में योग्यता की घोषणा बाद में की जाएगी लेकिन अन्य आरक्षण के दायरे में आने वाले इस आरक्षण के लिए योग्य नहीं माने जाएंगे.

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने लोकसभा में सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने का विधेयक पारित किया गया. ये 124वां संशोधन विधेयक था.

लगभग पांच घंटे की चर्चा के बाद 8 जनवरी, 2019 की रात विधेयक पर मतदान हुआ था. इसके समर्थन में 323 मत पड़े थे, जबकि विरोध में केवल 3 मत डाले गए.

विधेयक पास होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करके इसे ऐतिहासिक बताया था. उन्होंने लिखा, 'संविधान (124वां संशोधन) विधेयक, 2019 लोकसभा में पास होना हमारे देश के इतिहास में एक ऐतिहासिक क्षण है. यह समाज के सभी तबकों को न्याय दिलाने के लिए एक प्रभावी उपाय को प्राप्त करने में मदद करेगा.'

प्रधानमंत्री मोदी ने कुल तीन ट्वीट किए थे, इसके बाद किए गए ट्वीट में उन्होंने सभी सांसदों का शुक्रिया अदा किया. वहीं तीसरे ट्वीट में लिखा कि उनकी सरकार 'सबका साथ, सबका विकास' के सिद्धांत को लेकर पूरी तरह प्रतिबद्ध है.

पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री राजीब बनर्जी ने कहा कि आरक्षण सामान्य वर्ग के लोगों के लिए होगा.

बनर्जी ने कहा, 'एससी, एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षण यथावत बना हुआ है. यह नया कोटा तीन निर्दिष्ट श्रेणियों के बाहर के लोगों के लिए है.'

पढ़ें: मूसलाधार बारिश से मुम्बई बेहाल, महाराष्ट्र में मृतकों की संख्या 50 हुई

7 जनवरी को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लोकसभा चुनाव से पहले उच्च जातियों की एक प्रमुख मांग को पूरा करते हुए सामान्य वर्ग में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 10 प्रतिशत नौकरी और शिक्षा कोटा को मंजूरी दे दी. पश्चिम बंगाल उन राज्यों में से एक है, जिन्होंने इसे लागू नहीं किया.

राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता अब्दुल मन्नान, वरिष्ठ माकपा नेता सुजन चक्रवर्ती और साथ ही भाजपा के मनोज तिग्गा ने इस कदम का स्वागत किया.

तिग्गा ने कहा, 'मुझे लगता है कि पश्चिम बंगाल सरकार देर से जागी है. केंद्र में हमारी पार्टी ने पहले ही इसे पेश कर दिया है. यह देखना अच्छा है कि राज्य सरकार केंद्र सरकार के नक्शेकदम पर चल रही है, लेकिन हम लाभार्थियों की पहचान प्रक्रिया के बारे में चिंतित हैं.'

कोलकाता: पश्चिम बंगाल सरकार ने आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला लिया है. शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने बताया कि पश्चिम बंगाल में सरकारी नौकरी में10 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा.

केंद्र में भाजपा की अगुवाई वाली एनडीए सरकार के आने के छह महीने बाद इस यह फैसला लिया गया है.

केंद्र में भाजपा नीत राजग सरकार द्वारा इसी तरह के प्रस्ताव को मंजूरी देने के छह महीने बाद पश्चिम बंगाल सरकार ने यह फैसला लिया है. ममता बनर्जी सरकार ने सामान्य श्रेणी में आर्थिक रूप से कमजोर तबके के लिए सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में 10 प्रतिशत आरक्षण देने की घोषणा की.

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संसदीय मामलों के मंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा, 'यह एक ऐतिहासिक फैसला है. आर्थिक रूप से कमजोर तबके से जुड़े होने को परिभाषित करने के लिए कई कारक हैं. जल्द जारी होने वाले सरकारी आदेश में इन विवरणों का उल्लेख किया जाएगा.'

कैबिनेट बैठक के बाद संवाददाताओं से उन्होंने कहा कि इसके बारे में योग्यता की घोषणा बाद में की जाएगी लेकिन अन्य आरक्षण के दायरे में आने वाले इस आरक्षण के लिए योग्य नहीं माने जाएंगे.

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने लोकसभा में सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने का विधेयक पारित किया गया. ये 124वां संशोधन विधेयक था.

लगभग पांच घंटे की चर्चा के बाद 8 जनवरी, 2019 की रात विधेयक पर मतदान हुआ था. इसके समर्थन में 323 मत पड़े थे, जबकि विरोध में केवल 3 मत डाले गए.

विधेयक पास होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करके इसे ऐतिहासिक बताया था. उन्होंने लिखा, 'संविधान (124वां संशोधन) विधेयक, 2019 लोकसभा में पास होना हमारे देश के इतिहास में एक ऐतिहासिक क्षण है. यह समाज के सभी तबकों को न्याय दिलाने के लिए एक प्रभावी उपाय को प्राप्त करने में मदद करेगा.'

प्रधानमंत्री मोदी ने कुल तीन ट्वीट किए थे, इसके बाद किए गए ट्वीट में उन्होंने सभी सांसदों का शुक्रिया अदा किया. वहीं तीसरे ट्वीट में लिखा कि उनकी सरकार 'सबका साथ, सबका विकास' के सिद्धांत को लेकर पूरी तरह प्रतिबद्ध है.

पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री राजीब बनर्जी ने कहा कि आरक्षण सामान्य वर्ग के लोगों के लिए होगा.

बनर्जी ने कहा, 'एससी, एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षण यथावत बना हुआ है. यह नया कोटा तीन निर्दिष्ट श्रेणियों के बाहर के लोगों के लिए है.'

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7 जनवरी को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लोकसभा चुनाव से पहले उच्च जातियों की एक प्रमुख मांग को पूरा करते हुए सामान्य वर्ग में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 10 प्रतिशत नौकरी और शिक्षा कोटा को मंजूरी दे दी. पश्चिम बंगाल उन राज्यों में से एक है, जिन्होंने इसे लागू नहीं किया.

राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता अब्दुल मन्नान, वरिष्ठ माकपा नेता सुजन चक्रवर्ती और साथ ही भाजपा के मनोज तिग्गा ने इस कदम का स्वागत किया.

तिग्गा ने कहा, 'मुझे लगता है कि पश्चिम बंगाल सरकार देर से जागी है. केंद्र में हमारी पार्टी ने पहले ही इसे पेश कर दिया है. यह देखना अच्छा है कि राज्य सरकार केंद्र सरकार के नक्शेकदम पर चल रही है, लेकिन हम लाभार्थियों की पहचान प्रक्रिया के बारे में चिंतित हैं.'

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WB-EWS RESERVATIONS
West Bengal announces 10 per cent EWS quota in govt jobs
         Kolkata, Jul 2 (PTI) The Mamata Banerjee government in West Bengal Tuesday announced 10 per cent reservation in government jobs and educational institutions for the economically weaker sections in the general category, state minister Partha Chatterjee said.
         The decision came six months after the BJP-led NDA government at the Centre approved a similar proposal.
         "It's a historic decision. There are many factors to define someone who belongs to the economically weaker section. These details will be mentioned in the government order that will be issued soon," Parliamentary Affairs Minister Partha Chatterjee said.
         The details about the eligibility criteria for it would be announced later, but those who are already covered by other quotas will not be considered for this reservation, he told reporters after a cabinet meeting.
         Backward Classes Welfare Minister Rajib Banerjee said the reservation would be for the people from the general classes.
         "Reservation for the SCs, STs and OBCs remain as they are. This new quota is for those outside the three specified categories," Banerjee said.
         On January 7, the Union Cabinet cleared a 10 per cent job and education quota for economically weaker sections in the general category, meeting a key demand of upper castes ahead of the Lok Sabha polls. West Bengal is one of the states which did not implement it.
         Leader of the opposition in the state assembly, Abdul Mannan, senior CPI(M) leader Sujan Chakraborty as well as the BJP's Manoj Tigga welcomed the move.
         "It's the result of years of struggle. Though we are happy, we are concerned over the process of identification. We want a foolproof system to ensure that only deserving ones are identified as beneficiaries," Mannan said.
         "I think the West Bengal government has woke up late. Our party in the Centre has already introduced it. It's good to see that the state is following the Centre's footsteps. But we are concerned about the identification process of the beneficiaries," Tigga said. PTI SCH NN
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