वर्धा (महाराष्ट्र) : राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती के दिन को विश्व अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है. विश्व में बापू को उनके अहिंसात्मक आंदोलन के लिए जाना जाता है. आज के दिन हम जिनका जन्मदिन मनाते हैं, उन्होंने अहिंसा की धारणा को आगे लाने में मदद की. उनके इस प्रयोग का सामाजिक प्रतिक्रिया के रूप में प्रभाव पूरी दुनिया में जबरदस्त तरीके से पड़ा. पीएम मोदी समेत सभी राजनीतिक दलों के नेताओं ने महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की.
चरखे से रहा बापू का अटूट रिश्ता
बता दें, बापू का चरखे से अटूट रिश्ता रहा है. यह भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महात्मा गांधी का एक हथियार भी रहा है. जब से उन्होंने चरखे को हाथ लगाया है, तभी से चरखे को एक अलग पहचान मिली है. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इस चरखे का इतिहास पांच हजार साल पुराना है. मोहनजोदड़ो के समय में पत्थर के महीन पत्थरों पर कुछ सबूतों से चरखे की उत्पत्ति को माना जाता है. यदि आप इसके इतिहास को करीब से जानना चाहते हैं, तो आपको महाराष्ट्र के वर्धा का चरखा घर आना पड़ेगा. चरखा घर में आपको कई तरह के चरखे देखने को मिलेंगे.
चरखे के महत्व को किया गया व्यक्त
ईटीवी भारत ने महात्मा गांधी की 151वीं जयंती के मौके पर वर्धा के चरखा घर का दौरा किया और तमाम जानकारियां जुटाईं. इस चरखा घर में लोहे का सबसे बड़े आकार का चरखा रखा है. जिसको लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्डस में जगह मिली है. यहां के 7 कमरे में अलग-अलग तरह के चरखों के बारे में सर जेजे स्कूल के प्रोफेसरों और छात्रों ने कई पहलुओं को प्रस्तुत किया है. यहां प्रोजेक्टर के माध्यम से 1 से 2 मिनट की फिल्मों में चरखे के निर्माण से लेकर महात्मा गांधी की कृतियों, स्वराज, ग्रामोद्योग, विभिन्न आंगन और स्वतंत्र आंदोलन के महत्व को व्यक्त किया है. इसमें सात अलग-अलग कताई पहिए होते हैं जो हाथ से घुमाए जाते हैं ताकि सेंसर के माध्यम से वीडियो को शुरू किया जा सके और इस जानकारी को वीडियो और ऑडियो प्रारूप में देखा जा सके.
प्रोफेसर ने दी जानकारी
सर जेजे स्कूल के प्रोफेसर विजय सकपाल ने ईटीवी भारत को बताया कि हम लोग अच्छी तरह से जानते हैं कि बापू ने किस तरह चरखे का प्रयोग किया और उसको डेवलेप किया. उन्होंने बताया कि चरखा पांच हजार साल पहले मोहनजोदड़ो के समय आया था. प्रोफेसर विजय सकपाल ने जानकारी दी कि बापू के समय में कई चरखे आए, लेकिन गांधीजी ने सिर्फ आसानी से चलने वाले चरखों को ही प्राथमिकता दी. इसके पीछे उनका उद्देश्य सभी लोगों को काम दिलाना मकसद था. उन्होंने कहा कि यहां आए सभी लोगों को इन चरखों की जानकारी मिल सके, इस वजह से हम लोगों ने 1 से 2 मिनट की फिल्म बनाई है, जो सभी पहलुओं को दर्शाती है.
सर जेजे स्कूल के स्टूडेंट ने साझा की बातें
ईटीवी भारत ने जब सर जेजे स्कूल के स्टूडेंट पराग जाधव से बात की तो उन्होंने बताया कि हम लोग बचपन से महात्मा गांधी के बारे में पढ़ते आ रहे हैं. बापू के बारे में बहुत जानते हैं, लेकिन यहां आकर एक नया अनुभव मिलेगा. डॉक्यूमेंट्री फिल्म के माध्यम से ऐसी तमाम जानकारियां मिलेंगी, जो कहीं नहीं मिलेगी.