नई दिल्ली : देश को झकझोर कर रख देने वाले निर्भया कांड के बाद उम्मीद की जा रही थी कि समाज में महिलाओं को लेकर संवेदनशीलता में कुछ तो प्रगति हुई होगी, लेकिन उन्नाव और हैदराबाद में हुई वारदातें इस उम्मीद को तोड़ती दिखीं. देश में आज भी महिलाओं के प्रति हिंसा और दुष्कर्म की घटनाएं बदश्तूर जारी हैं. इससे व्यथित राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने देश की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं.
रेखा शर्मा निर्भया कांड की सातवीं बरसी की पूर्व संध्या पर राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा महिला सुरक्षा और समाज पर आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लेने पहुंची थीं. उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि कोर्ट किसी भी मुद्दे पर फैसला सच में बहुत देरी से सुनाता है. कानून बना दिए गए हैं, लेकिन कोई भी सुधार नहीं हुआ है. देश में कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने की जरूरत है.
रेखा शर्मा ने कहा कि जो कानून को लागू करने वाले हैं, वे भी महिलाओं के प्रति संवदेनशीलता नहीं दिखाते. साथ ही उन्होंने कहा कि चाहे पुलिस सिस्टम हो या ज्यूडिशियरी स्टिसम हो, कहीं न कहीं वे भी महिलाओं के प्रति संवेदनशीलता नहीं दर्शाते.
उन्होंने कहा, सोसाइटी बीमार हो गईं है. इस बीमारी को दूर करने के लिए लोगों की सोच को बदलने की जरूरत है.
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रेका शर्मा ने कहा, 'परिवार से लेकर पूरे समाज को बदलने की जरूरत है. हम लोग स्कूलों में जागरूकता फैलाने के लिए कार्यक्रम कर रहे हैं. निचले स्तर पर जाकर लोगों को जागरूक करने की जरूरत है.'
उन्होंने कहा कि राजनीति में भी लोग इसी समाज से आते हैं और उनकी भी यही सोच है और वे महिलाओं को वोट बैंक के रूप में देखते हैं. राजनीति में महिलाओं की संख्या बहुत कम है. साथ ही उन्होंने कहा कि राजनीति में महिलाओं की भागीदारी 50 प्रतिशत होनी चाहिए.