नई दिल्ली: कर्नाटक के बागी विधायक स्पीकर रमेश कुमार से मिलने आज कर्नाटक विधानसौधा पहुंचे. इससे पहले कोर्ट ने सभी बागी विधायकों से आज शाम 6:00 बजे स्पीकर के समक्ष पेश होने को कहा. कोर्ट ने स्पीकर की याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया है.
स्पीकर का बिंदुवार संबोधन
- उन्होंने ऐसा व्यवहार किया, जैसे प्रदेश में कोई भूकंप आया हो.
- मैंने उन्हें बताया कि वे मुझसे बात कर सकते थे. मैं उन्हें सुरक्षा मुहैया कराता.
- बागी विधायकों ने मुझे बताया कि किसी ने उन्हें धमकी दी, इस कारण वे डर से मुंबई गए.
- सुप्रीम कोर्ट ने मुझे फैसला लेने के लिए कहा है, मैंने पूरे घटनाक्रम की वीडियोग्राफी कराई है. मैं इसे सुप्रीम कोर्ट को सौंप दूंगा.
- मुझे रातभर इन इस्तीफों की जांच कर ये तय करना है कि ये वास्तविक हैं.
- मैं देर इसलिए कर रहा हूं, क्योंकि मुझे इस धरती से प्यार है. मैं जल्दबाजी में कोई काम नहीं करना चाहता.
- मेरी जवाबदेही कर्नाटक की जनता और देश के संविधान के प्रति है.
- राज्यपाल क्या कर सकते हैं? क्या ये दुरुपयोग नहीं है. वे सुप्रीम कोर्ट गए.
- विधायकों ने मुझे बात नहीं की, सीधे राज्यपाल से मिलने चले गए.
- मैं स्वैच्छिक और वास्तविक इस्तीफों के बारे में बात नहीं कर सकता.
- आठ पत्र प्रारूप के मुताबिक नहीं थे. बाकी मामलों में मुझे ये जानना था कि ये स्वेच्छा से दिए गए हैं और वास्तविक हैं.
- सोमवार को कर्नाटक विधानसभा रूल और कार्यप्रणाली 202 के तहत मैंने सभी इस्तीफों की स्क्रूटनी की.
- विधायकों ने पहले से अप्वाइंटमांट भी नहीं लिया था. इसलिए ये कहना कि मैं उनसे नहीं मिलने के कारण भाग गया, ये गलत है.
- छह जुलाई को मैं दोपहर 1:30 बजे तक अपने चैंबर में था. विधायक दो बजे आए.
- इससे पहले किसी भी विधायक ने मुझे मुलाकात करने जैसी कोई जानकारी नहीं दी.
- मैं उस समय कार्यालय में था, हालांकि, बाद में मैं निजी काम से छुट्टी पर चला गया.
- राज्यपाल वजुभाई वाला ने मुझे छह जुलाई को जानकारी दी.
सुप्रीम कोर्ट ने अदालत ने कर्नाटक के स्पीकर केआर रमेश कुमार को निर्देश दिया है कि वह विधायकों के इस्तीफे के मामले पर आज ही फैसला करें. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बचे हुए दिन में स्पीकर को अपना फैसला लेना होगा. आदेश की कॉपी जमा होने के बाद शुक्रवार को एक बार फिर से इस मामले की सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा.
सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक के बागी विधायकों से आज (गुरुवार) शाम छह बजे स्पीकर के सामने पेश होने का आदेश दिया है. कोर्ट का कहना है कि स्पीकर दिन के शेष भाग में अपना निर्णय लेंगे. साथ ही विधायकों को सुरक्षा देने के लिए डीजीपी को निर्देशित किया गया है. कोर्ट ने कहा है कि बागी विधायक अपना इस्तीफा स्पीकर के सामने सौंप सकते हैं. कोर्ट के आदेश के बाद सभी बागी विधायक छत्रपति शिवाजी अन्तरराष्ट्रीय हवाई अड्डा पहुंचे.
दूसरी तरफ कर्नाटक विधानसभा स्पीकर रमेश कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. उन्होंने अदालत से उस फैसले को वापस लेने की अपील की है, जिसमें उन्होंने सभी बागी विधायकों को आज ही स्पीकर के सामने पेश होने को कहा था.
रमेश कुमार की तरफ से इस मोहलत को बढ़ाने की अपील की गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को सुनने के लिए हामी भर दी है. मामला अब शुक्रवार को ही सुना जाएगा.
ऐसे में गुरुवार शाम को 6 बजे तक विधायकों को स्पीकर के सामने जाना होगा.
इस याचिका में विधायकों ने कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष पर उनका इस्तीफा जानबूझकर स्वीकार नहीं करने का आरोप लगाया है.
कर्नाटक में राजनीतिक संकट के बीच राज्यपाल वाजुभाई वाला ने कहा कि सरकार के साथ-साथ कर्नाटक के मुख्य सचिव को भी कोई फैसला नहीं लेना चाहिए. साथ ही प्रशासनिक निर्णय नहीं लिया जाना चाहिए. राज्य सरकार को एक और संकट का सामना करना पड़ रहा है.
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस की पीठ ने याचिका पर सुनवाई की. याचिका में विधानसभा अध्यक्ष को इन विधायकों का इस्तीफा स्वीकार करने का निर्देश देने की मांग की गई थी.
सीजेआई की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने बुधवार की सुबह जब कर्नाटक के राजनीतिक संकट के मुद्दे का उल्लेख किया गया तो बागी विधायकों को आश्वासन दिया गया कि अदालत देखेगी कि उनकी याचिका को तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जा सकता है या नहीं.
पीठ ने बागी विधायकों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी की इन दलीलों पर संज्ञान लिया कि ये विधायक पहले ही विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे चुके हैं और अब नये सिरे से चुनाव लड़ना चाहते हैं.
उन्होंने इस याचिका पर जल्द सुनवाई करने का अनुरोध किया जिसमें आरोप लगाया गया है कि विधानसभा अध्यक्ष ने पक्षपातपूर्ण तरीके से कार्रवाई की है और जानबूझ कर उनके इस्तीफे स्वीकार नहीं किये हैं.
पढ़ें-कर्नाटक में आपातकाल से भी बदतर हालात : एच डी देवेगौड़ा
इन बागी विधायकों ने अपनी याचिका में विधानसभा अध्यक्ष पर आरोप लगाया गया है कि वह अल्पमत सरकार को बचा रहे हैं. रोहतगी ने जब इस याचिका पर शीघ्र सुनवाई के लिये बहुत अनुरोध किया तो पीठ ने कहा, 'हम देखेंगे.'
बागी विधायकों ने याचिका में आरोप लगाया है, 'सुनियोजित तरीके से कदम उठाते हुये कांग्रेस पार्टी ने इस्तीफा देने वाले विधायकों को अयोग्य घोषित करने का अनुरोध करते हुये अध्यक्ष के समक्ष याचिका दायर की है. यह कहना निरर्थक ही है कि अयोग्यता की कार्यवाही पूरी तरह गैर कानूनी है.'
याचिका में कहा गया है कि राज्य विधानसभा का सत्र 12 जुलाई को शुरू होने वाला है और अध्यक्ष ने उसी दिन विधायकों को व्यक्तिगत रूप से उनके समक्ष पेश होने के लिये कहा है, जिससे उन्हें अयोग्य घोषित करने की अध्यक्ष की मंशा का पता चलता है.
याचिका के अनुसार, 'सारा मकसद ही याचिकाकर्ताओं को अयोग्य करार देने तथा अयोग्यता की धमकी के तहत सदन में बहुमत के समर्थन के बगैर ही अल्पमत सरकार को काम करने की अनुमति देना है. यह कहना चाहते हैं कि अध्यक्ष की कार्रवाई मनमानी और अनुचित है तथा संविधान का हनन करती है.'
बागी विधायकों ने आगे कहा है कि उनके त्यागपत्र संविधान के प्रावधानों और नियमों के अनुसार ही हैं.
पढ़ें-कर्नाटक Live: बेंगलुरु विधान सौधा में धारा 144 लागू
याचिका के अनुसार 'स्पष्ट रूप से आपत्ति की आवश्यकता नहीं है और ऐसा लगता है कि यह कार्यवाही में विलंब करने का प्रयास है, इस तरह सत्तारूढ़ व्यवस्था को इस्तीफा देने वाले विधायकों पर दबाव बनाने का मौका देना है.'
विधायकों ने कहा है कि उनके त्यागपत्र स्वेच्छा से दिये गये हैं और सही हैं. यही नहीं, उन्होंने खुद अनेक टेलीविजन साक्षात्कार और बयान देकर अध्यक्ष से बार-बार इस्तीफे को स्वीकार करने का अनुरोध किया है.
याचिका में कहा गया है, 'अल्पमत में आने के बावजूद मुख्यमंत्री सदन का विश्वास मत प्राप्त करने से इंकार कर रहे हैं. अध्यक्ष और सरकार के बीच संगठित प्रयासों का ही नतीजा है कि ऐसी सरकार जिसे सदन का विश्वास हासिल नहीं है, गैरकानूनी तरीके से सत्ता में बनी है.'
राज्य विधानसभा अध्यक्ष ने मंगलवार को कहा था कि 14 बागी विधायकों में से नौ के इस्तीफे सही प्रारूप में नहीं थे.
कांग्रेस ने इस मामले में अध्यक्ष के आर रमेश कुमार से हस्तक्षेप करने और इन विधायकों को अयोग्य करार देने का अनुरोध किया है. कांग्रेस ने भाजपा पर आरोप लगाया है कि वह उसके सदस्यों को धन का प्रलोभन दे रही है. हालांकि, भाजपा ने इस तरह के आरोपों से इंकार किया है.
कर्नाटक विधानसभा के 13 सदस्यों - कांग्रेस के 10 और जद(एस) के तीन- ने छह जुलाई को सदन की सदस्यता से अपने-अपने त्यागपत्र विधानसभा अध्यक्ष के कार्यालय को सौंपे थे. इसके साथ ही राज्य में कांग्रेस-जद (एस) गठबंधन सरकार के लिये राजनीतिक संकट पैदा हो गया था. इसी बीच, कांग्रेस के एक अन्य विधायक आर रोशन बेग ने भी मंगलवार को इस्तीफा दे दिया.
पढ़ें-कर्नाटक में BJP ने दिया धरना, CM का इस्तीफा मांगा, गवर्नर से मिलने की संभावना
विधानसभा अध्यक्ष ने बताया है कि इस्तीफा देने वाले 14 विधायकों में एस टी सोमशेखर, मुनिरत्न, बी ए बसवराज, प्रताप गौडा पाटिल, बी सी पाटिल, रमेश जारकिहोली, ए शिवमरा हब्बर, महेश कुमातल्ली, रामलिंग रेड्डी, आनंद सिंह और बेग (सभी कांग्रेस) और गोपालैया, नारायण गौडा, अडगुर एच विश्वनाथ (सभी जद-एस) शामिल हैं.
राज्य में सत्तारूढ़ गठबंधन में 116 सदस्य हैं. अध्यक्ष के अलावा इनमें कांग्रेस के 78, जद (एस) के 37 और बसपा का एक सदस्य शामिल हैं.
यदि इन 14 बागी विधायकों का इस्तीफा स्वीकार हो जाता है तो गठबंधन के सदस्यों की संख्या घटकर 102 हो जायेगी. विधानसभा अध्यक्ष भी वोट कर सकते हैं.