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लोकसभा से पास हुआ SC-ST आरक्षण बिल - एंग्लो इंडियन सीट पर हो सकता है विचार

केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने लोकसाभा में SC-ST पर आरक्षण की अवधि बढ़ाने को लेकर पेश किया संविधान संशोधन विधेयक लोक सभा से पास हो गया है.

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रविशंकर प्रसाद केंद्रीय मंत्री
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Published : Dec 10, 2019, 4:54 PM IST

Updated : Dec 10, 2019, 8:25 PM IST

नई दिल्ली : अनुसूचित जाति और जनजाति के आरक्षण को 10 साल के लिए बढ़ाने से जुड़े संविधान संशोधन विधेयक को लोकसभा से पारित कर दिया गया है.

मंगलवार को कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने संसद एवं राज्यों की विधानसभाओं में अनुसूचित जाति और जनजाति के आरक्षण को 10 साल के लिए बढ़ाने से जुड़े संविधान संशोधन विधेयक को सर्वसम्मति से पारित करने की लोकसभा से अपील की थी.

लोक सभा से बिल पास
रविशंकर प्रसाद ने मंगलवार को 'संविधान (एक सौ छब्बीस संशोधन) विधेयक-2019' को चर्चा एवं पारित कराने के लिए सदन में रखते हुए यह भी कहा कि एंग्लो-इंडियन के आरक्षण का प्रस्ताव अभी नहीं आया है, लेकिन इसके लिए दरवाजे बंद नहीं हुए हैं.
रविशंकर प्रसाद
दूसरी तरफ, कांग्रेस ने इस मुद्दे पर विधि मंत्री पर सदन को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए कहा कि एंग्लो-इंडियन समुदाय को संसद और विधानसभा में मिले आरक्षण को बरकरार रखा जाए तथा इस वर्ग की सामाजिक-आर्थिक-शैक्षणिक स्थिति का पता करने के लिए एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया जाना चाहिए.बहरहाल, रविशंकर प्रसाद ने कहा कि संविधान निर्माताओं ने अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए आरक्षण की व्यवस्था की थी. पिछले 70 वर्षों के दौरान हर एक दशक पर इसे आगे बढ़ाया गया है. वर्तमान में 10 साल की मियाद 25 जनवरी, 2020 को पूरी हो रही है, ऐसे में यह विधेयक लाया गया है ताकि इसे 25 जनवरी, 2030 तक बढ़ाया जा सके.

उन्होंने कहा, 'ऐतिहासिक कारणों से अनुसूचित जाति और जनजाति के साथ भेदभाव हुआ, उसी के मुआवजे के रूप में आरक्षण की व्यवस्था की गई. यह हम सबका कर्तव्य है कि हम इन समुदायों के सशक्तीकरण के लिए प्रयास करें.'

प्रसाद ने कहा कि लोकसभा में अनुसूचित जाति के लिए 84 तथा विधानसभाओं में 614 सीटें हैं जबकि लोकसभा में अनुसूचित जनजाति के लिए 47 सीटें तथा विधानसभाओं 554 सीटें आरक्षित हैं.

पढ़ें - नागरिकता संशोधन विधेयक : लोकसभा के बाद अब राज्यसभा की चुनौती

कानून मंत्री ने कहा कि 2011 की जनगणना की मुताबिक देश में सिर्फ 296 एंग्लो-इंडियन हैं. इस विधेयक में इनके लिए आरक्षण का प्रस्ताव नहीं है, लेकिन इस पर विचार किया जाएगा. अभी इनके लिए दरवाजे बंद नहीं हुए हैं.

विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस के हिबी ईडेन ने कानून मंत्री पर सदन को गुमराह करने का आरोप लगातया. उन्होंने दावा किया कि इनकी जो संख्या बतायी गई है, वह सत्य नहीं है और कहीं अधिक है.

उन्होंने कहा कि एंग्लो-इंडियन का देश के विकास में बड़ा योगदान रहा है और उनके लिए आरक्षण बरकरार रहना चाहिए.

ईडेन ने कहा कि कांग्रेस पार्टी अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए आरक्षण की पक्षधर है और इसे 10 साल के लिए बढ़ाए जाने का पूरा समर्थन करती है.

उन्होंने यह भी कहा कि एंग्लो-इंडियन वर्ग के सामाजिक-आर्थिक-शैक्षणिक स्थिति का पता करने के लिए एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया जाना चाहिए.

नई दिल्ली : अनुसूचित जाति और जनजाति के आरक्षण को 10 साल के लिए बढ़ाने से जुड़े संविधान संशोधन विधेयक को लोकसभा से पारित कर दिया गया है.

मंगलवार को कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने संसद एवं राज्यों की विधानसभाओं में अनुसूचित जाति और जनजाति के आरक्षण को 10 साल के लिए बढ़ाने से जुड़े संविधान संशोधन विधेयक को सर्वसम्मति से पारित करने की लोकसभा से अपील की थी.

लोक सभा से बिल पास
रविशंकर प्रसाद ने मंगलवार को 'संविधान (एक सौ छब्बीस संशोधन) विधेयक-2019' को चर्चा एवं पारित कराने के लिए सदन में रखते हुए यह भी कहा कि एंग्लो-इंडियन के आरक्षण का प्रस्ताव अभी नहीं आया है, लेकिन इसके लिए दरवाजे बंद नहीं हुए हैं.
रविशंकर प्रसाद
दूसरी तरफ, कांग्रेस ने इस मुद्दे पर विधि मंत्री पर सदन को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए कहा कि एंग्लो-इंडियन समुदाय को संसद और विधानसभा में मिले आरक्षण को बरकरार रखा जाए तथा इस वर्ग की सामाजिक-आर्थिक-शैक्षणिक स्थिति का पता करने के लिए एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया जाना चाहिए.बहरहाल, रविशंकर प्रसाद ने कहा कि संविधान निर्माताओं ने अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए आरक्षण की व्यवस्था की थी. पिछले 70 वर्षों के दौरान हर एक दशक पर इसे आगे बढ़ाया गया है. वर्तमान में 10 साल की मियाद 25 जनवरी, 2020 को पूरी हो रही है, ऐसे में यह विधेयक लाया गया है ताकि इसे 25 जनवरी, 2030 तक बढ़ाया जा सके.

उन्होंने कहा, 'ऐतिहासिक कारणों से अनुसूचित जाति और जनजाति के साथ भेदभाव हुआ, उसी के मुआवजे के रूप में आरक्षण की व्यवस्था की गई. यह हम सबका कर्तव्य है कि हम इन समुदायों के सशक्तीकरण के लिए प्रयास करें.'

प्रसाद ने कहा कि लोकसभा में अनुसूचित जाति के लिए 84 तथा विधानसभाओं में 614 सीटें हैं जबकि लोकसभा में अनुसूचित जनजाति के लिए 47 सीटें तथा विधानसभाओं 554 सीटें आरक्षित हैं.

पढ़ें - नागरिकता संशोधन विधेयक : लोकसभा के बाद अब राज्यसभा की चुनौती

कानून मंत्री ने कहा कि 2011 की जनगणना की मुताबिक देश में सिर्फ 296 एंग्लो-इंडियन हैं. इस विधेयक में इनके लिए आरक्षण का प्रस्ताव नहीं है, लेकिन इस पर विचार किया जाएगा. अभी इनके लिए दरवाजे बंद नहीं हुए हैं.

विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस के हिबी ईडेन ने कानून मंत्री पर सदन को गुमराह करने का आरोप लगातया. उन्होंने दावा किया कि इनकी जो संख्या बतायी गई है, वह सत्य नहीं है और कहीं अधिक है.

उन्होंने कहा कि एंग्लो-इंडियन का देश के विकास में बड़ा योगदान रहा है और उनके लिए आरक्षण बरकरार रहना चाहिए.

ईडेन ने कहा कि कांग्रेस पार्टी अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए आरक्षण की पक्षधर है और इसे 10 साल के लिए बढ़ाए जाने का पूरा समर्थन करती है.

उन्होंने यह भी कहा कि एंग्लो-इंडियन वर्ग के सामाजिक-आर्थिक-शैक्षणिक स्थिति का पता करने के लिए एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया जाना चाहिए.

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पीटीआई-भाषा संवाददाता 15:45 HRS IST




             
  • अनुसूचित जाति और जनजाति का आरक्षण बना रहेगा, एंग्लो-इंडियन के आरक्षण के लिए दरवाजे बंद नहीं हुए : प्रसाद



नयी दिल्ली, 10 दिसंबर (भाषा) कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने संसद एवं राज्यों की विधानसभाओं में अनुसूचित जाति और जनजाति के आरक्षण को 10 साल के लिए बढ़ाने से जुड़े संविधान संशोधन विधेयक को सर्वसम्मति से पारित करने की अपील करते हुए मंगलवार को लोकसभा में कहा कि इन दोनों वर्गों के लिए आरक्षण बना रहेगा ।



‘संविधान(एक सौ छब्बीस संशोधन) विधेयक-2019’ को चर्चा एवं पारित कराने के लिए सदन में रखते हुए उन्होंने यह भी कहा कि एंग्लो-इंडियन के आरक्षण का प्रस्ताव अभी नहीं आया है, लेकिन इसके लिए दरवाजे बंद नहीं हुए हैं।



दूसरी तरफ, कांग्रेस ने इस मुद्दे पर विधि मंत्री पर सदन को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए कहा कि एंग्लो-इंडियन समुदाय को संसद और विधानसभा में मिले आरक्षण को बरकरार रखा जाए तथा इस वर्ग की सामाजिक-आर्थिक-शैक्षणिक स्थिति का पता करने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया जाना चाहिए।



बहरहाल, केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि संविधान निर्माताओं ने अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए आरक्षण की व्यवस्था की थी और इसके 70 वर्षों के दौरान हर एक दशक पर आगे बढ़ाया गया। वर्तमान में 10 साल की मियाद 25 जनवरी, 2020 को पूरी हो रही है, ऐसे में यह विधेयक लाया गया है ताकि इसे 25 जनवरी, 2030 तक बढ़ाया जा सके।



उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक कारणों से अनुसूचित जाति और जनजाति के साथ भेदभाव हुआ, उसी के मुआवजे के रूप में आरक्षण की व्यवस्था की गई। यह हम सबका कर्तव्य है कि हम इन समुदायों के सशक्तीकरण के लिए प्रयास करें।



मंत्री ने कहा कि लोकसभा में अनुसूचित जाति के लिए 84 तथा विधानसभाओं में 614 सीटें और जनजाति के लिए 47 सीटें तथा विधानसभाओं 554 सीटें आरक्षित हैं।



प्रसाद ने कहा कि 2011 की जनगणना की मुताबिक देश में सिर्फ 296 एंग्लो-इंडियन हैं। इस विधेयक में इनके लिए आरक्षण का प्रस्ताव नहीं है, लेकिन इस पर विचार किया जाएगा। अभी इनके लिए दरवाजे बंद नहीं हुए हैं।



विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस के हिबी ईडेन ने कानून मंत्री पर सदन को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए दावा किया कि इनकी जो संख्या बतायी गई है, वह सत्य नहीं है और कहीं अधिक है ।



उन्होंने कहा कि एंग्लो-इंडियन का देश के विकास में बड़ा योगदान रहा है और उनके लिए आरक्षण बरकरार रहना चाहिए।



ईडेन ने कहा कि कांग्रेस पार्टी अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए आरक्षण की पक्षधर है और इसे 10 साल के लिए बढ़ाए जाने का पूरा समर्थन करती है।



उन्होंने यह भी कहा कि एंग्लो-इंडियन वर्ग के सामाजिक-आर्थिक-शैक्षणिक स्थिति का पता करने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया जाना चाहिए।



जारी


Conclusion:
Last Updated : Dec 10, 2019, 8:25 PM IST
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