नई दिल्ली : अनुसूचित जाति और जनजाति के आरक्षण को 10 साल के लिए बढ़ाने से जुड़े संविधान संशोधन विधेयक को लोकसभा से पारित कर दिया गया है.
मंगलवार को कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने संसद एवं राज्यों की विधानसभाओं में अनुसूचित जाति और जनजाति के आरक्षण को 10 साल के लिए बढ़ाने से जुड़े संविधान संशोधन विधेयक को सर्वसम्मति से पारित करने की लोकसभा से अपील की थी.
उन्होंने कहा, 'ऐतिहासिक कारणों से अनुसूचित जाति और जनजाति के साथ भेदभाव हुआ, उसी के मुआवजे के रूप में आरक्षण की व्यवस्था की गई. यह हम सबका कर्तव्य है कि हम इन समुदायों के सशक्तीकरण के लिए प्रयास करें.'
प्रसाद ने कहा कि लोकसभा में अनुसूचित जाति के लिए 84 तथा विधानसभाओं में 614 सीटें हैं जबकि लोकसभा में अनुसूचित जनजाति के लिए 47 सीटें तथा विधानसभाओं 554 सीटें आरक्षित हैं.
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कानून मंत्री ने कहा कि 2011 की जनगणना की मुताबिक देश में सिर्फ 296 एंग्लो-इंडियन हैं. इस विधेयक में इनके लिए आरक्षण का प्रस्ताव नहीं है, लेकिन इस पर विचार किया जाएगा. अभी इनके लिए दरवाजे बंद नहीं हुए हैं.
विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस के हिबी ईडेन ने कानून मंत्री पर सदन को गुमराह करने का आरोप लगातया. उन्होंने दावा किया कि इनकी जो संख्या बतायी गई है, वह सत्य नहीं है और कहीं अधिक है.
उन्होंने कहा कि एंग्लो-इंडियन का देश के विकास में बड़ा योगदान रहा है और उनके लिए आरक्षण बरकरार रहना चाहिए.
ईडेन ने कहा कि कांग्रेस पार्टी अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए आरक्षण की पक्षधर है और इसे 10 साल के लिए बढ़ाए जाने का पूरा समर्थन करती है.
उन्होंने यह भी कहा कि एंग्लो-इंडियन वर्ग के सामाजिक-आर्थिक-शैक्षणिक स्थिति का पता करने के लिए एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया जाना चाहिए.