नई दिल्ली : राम मंदिर ट्रस्ट बनाने की तारीख खत्म होने में अब पांच दिन ही शेष बचे हैं. सरकार को अभी इस पर फैसला करना बाकी है. ट्रस्ट के गठन की जिम्मेवारी केन्द्रीय गृह मंत्रालय की है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट का गठन तीन महीने के भीतर होना चाहिए.
सूत्र बताते हैं कि ट्रस्ट में किसको जगह मिले, इस पर विवाद है. लिहाजा, सरकार इस पर सहमति बनाने में जुटी है. ट्रस्ट किस तरह से काम करेगा, मंदिर निर्माण का कार्य कैसे बढ़ेगा, इस पर अंतिम फैसला होना बाकी है. मंदिर निर्माण के खर्च की निगरानी ट्रस्ट करेगा.
सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मुद्दे का निबटारा करते हुए अपने ऐतिहासिक फैसले में मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त कर दिया था. और इसके लिए ट्रस्ट के गठन तथा मस्जिद के लिए जमीन देने का निर्णय किया था. मस्जिद के लिए भी जमीन की तलाश ट्रस्ट करेगा.
सूत्रों के मुताबिक मंत्रालय ने राम मंदिर निर्माण के वास्ते ट्रस्ट बनाने के लिए एक आधारभूत ढांचा तैयार किया है. उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड को दी जाने वाली जमीन की पहचान की जा चुकी है. लेकिन इस पर कैबिनेट की मुहर लगनी बाकी है.
घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल की स्वीकृति मिलने के बाद ट्रस्ट निर्माण की घोषणा और मस्जिद के लिए पांच एकड़ का प्लॉट देने की पेशकश जल्द ही की जाएगी.
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अधिकारी ने कहा कि उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड को तीन प्लॉट की पेशकश की जाएगी, जिससे कि वह कोई एक उपयुक्त प्लॉट चुन सके.
शीर्ष अदालत ने नौ नवंबर 2019 के अपने निर्णय में अयोध्या में ट्रस्ट के माध्यम से संबंधित स्थल पर राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त कर दिया था और केंद्र को निर्देश दिया था कि वह सुन्नी वक्फ बोर्ड को नई मस्जिद के निर्माण के लिए अयोध्या में पांच एकड़ का प्लॉट दे.
इस संबंध में एक अन्य अधिकारी ने बताया कि सभी चीजें केंद्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष रखी जाएंगी, जिससे कि अंतिम निर्णय किया जा सके.
अयोध्या से जुड़े सभी मामलों और संबंधित अदालती आदेशों को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय में एक समर्पित डेस्क पर काम किया जा रहा है.
अधिकारी ने कहा कि अतिरिक्त सचिव ज्ञानेश कुमार के नेतृत्व में तीन अधिकारी डेस्क संबंधी दायित्व निभाते हैं.