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भाषा विवाद पर बोले रजनीकांत- नहीं थोपी जा सकती है हिंदी

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की हिंदी भाषा के मुद्दे पर अभिनेता रजनीकांत ने आलोचना की है. उनसे पहले कमल हासन भी हिंदी थोपे जाने का विरोध कर चुके हैं. रजनीकांत ने कहा कि दक्षिण भारत के किसी भी राज्य में हिंदी थोपना नामंजूर है. जानें क्या कुछ कहा रजनीकांत ने....

रजनीकांत
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Published : Sep 18, 2019, 2:47 PM IST

Updated : Oct 1, 2019, 1:39 AM IST

चेन्नई: हिंदी दिवस पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के 'एक देश एक भाषा' के बयान के बाद भाषा विवाद बढ़ता ही जा रहा है. अभिनेता कमल हासन के बाद अब अभिनेता रजनीकांत ने भी हिंदी थोपे जाने का विरोध किया था. उन्होंने कहा कि सिर्फ तमिलनाडु ही नहीं दक्षिण भारत के किसी भी राज्य में हिंदी नहीं थोपी जानी चाहिए.

अभिनेता से नेता बने रजनीकांत ने कहा कि तमिलनाडु के अलावा दक्षिण भारत का कोई भी राज्य हिंदी को स्वीकार नहीं करेगा. सिर्फ हिंदी ही नहीं किसी अन्य भाषा को भी नहीं थोपा जाना चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि 'एक भाषा' देश की एकता और विकास के लिए अच्छी है लेकिन इसे जबरदस्ती लोगों पर थोपना मंजूर नहीं है.

मीडिया से बातचीत के दौरान रजनीकांत

बता दें इससे पहले अभिनेता-नेता कमल हासन ने भी एक देश एक भाषा होने के बयान का विरोध करते हुए कहा था कि विविधता में एकता एक वादा है, जिसे हमने भारत को गणराज्य बनाने के समय किया था. अब किसी शाह, सुलतान या सम्राट को उस वादे को नहीं तोड़ना चाहिए. हम सभी भाषाओं का सम्मान करते हैं, लेकिन हमारी मातृभाषा हमेशा तमिल रहेगी.

पढ़ें-हिंदी पर जंगः 'कोई 'शाह' नहीं तोड़ सकता 1950 का ये वादा'

कमल हासन ने एक ट्वीट में कहा था कि आप को नया कानून या नई योजना बनाने से पहले लोगों से सलाह करनी चाहिए.

अमित शाह ने हिंदी दिवस के मौके पर ट्वीट में कहा था, 'भारत विभिन्न भाषाओं का देश है, हर भाषा का अपना महत्व है. लेकिन पूरे देश की एक भाषा होनी जरूरी है, जो भारत की दुनिया में पहचान बने. आज अगर कोई भाषा देश को एकजुट करने काम कर रही है तो यह सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा हिंदी है.'

पढ़ें-हिंदी दिवस: ममता बोलीं, सभी भाषाओं का सम्मान हो लेकिन मातृभाषा की कीमत पर नहीं

बता दें, केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल के नेता हिंदी भाषा का विरोध कर चुके हैं.

चेन्नई: हिंदी दिवस पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के 'एक देश एक भाषा' के बयान के बाद भाषा विवाद बढ़ता ही जा रहा है. अभिनेता कमल हासन के बाद अब अभिनेता रजनीकांत ने भी हिंदी थोपे जाने का विरोध किया था. उन्होंने कहा कि सिर्फ तमिलनाडु ही नहीं दक्षिण भारत के किसी भी राज्य में हिंदी नहीं थोपी जानी चाहिए.

अभिनेता से नेता बने रजनीकांत ने कहा कि तमिलनाडु के अलावा दक्षिण भारत का कोई भी राज्य हिंदी को स्वीकार नहीं करेगा. सिर्फ हिंदी ही नहीं किसी अन्य भाषा को भी नहीं थोपा जाना चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि 'एक भाषा' देश की एकता और विकास के लिए अच्छी है लेकिन इसे जबरदस्ती लोगों पर थोपना मंजूर नहीं है.

मीडिया से बातचीत के दौरान रजनीकांत

बता दें इससे पहले अभिनेता-नेता कमल हासन ने भी एक देश एक भाषा होने के बयान का विरोध करते हुए कहा था कि विविधता में एकता एक वादा है, जिसे हमने भारत को गणराज्य बनाने के समय किया था. अब किसी शाह, सुलतान या सम्राट को उस वादे को नहीं तोड़ना चाहिए. हम सभी भाषाओं का सम्मान करते हैं, लेकिन हमारी मातृभाषा हमेशा तमिल रहेगी.

पढ़ें-हिंदी पर जंगः 'कोई 'शाह' नहीं तोड़ सकता 1950 का ये वादा'

कमल हासन ने एक ट्वीट में कहा था कि आप को नया कानून या नई योजना बनाने से पहले लोगों से सलाह करनी चाहिए.

अमित शाह ने हिंदी दिवस के मौके पर ट्वीट में कहा था, 'भारत विभिन्न भाषाओं का देश है, हर भाषा का अपना महत्व है. लेकिन पूरे देश की एक भाषा होनी जरूरी है, जो भारत की दुनिया में पहचान बने. आज अगर कोई भाषा देश को एकजुट करने काम कर रही है तो यह सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा हिंदी है.'

पढ़ें-हिंदी दिवस: ममता बोलीं, सभी भाषाओं का सम्मान हो लेकिन मातृभाषा की कीमत पर नहीं

बता दें, केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल के नेता हिंदी भाषा का विरोध कर चुके हैं.

ZCZC
PRI GEN NAT
.CHENNAI MDS3
TN-HINDI-LD RAJINIKANTH
Don't impose Hindi; common language not possible in India:
Rajini
(Eds: Adds more quotes, background)
Chennai, Sept 18 (PTI) Veteran actor Rajinikanth on
Wednesday said the concept of a common langauge in India was
not possible and asserted any attempts of Hindi imposition
would not be only be resisted by southern states, but even
many in the North.
The actor's remarks came in response to Union Home
Minister Amit Shah's recent pitch for Hindi as a common
language, which drew sharp reactions from various south
Indian leaders including DMK President MK Stalin and Congress
leader and former Karnataka Chief Minister Siddaramaiah.
The 'Superstar' said Hindi should not be imposed, as the
concept of a common language was "unfortunately" not possible
in the country.
"A common language not just for India but any country is
good for its unity and progress. Unfortunately, (one cannot)
bring a common language in our country. So you cannot impose
any language," he told reporters at the airport here.
"Especially, if you impose Hindi, not just Tamil Nadu,
no southern state will accept that. Many states in northern
parts will also not accept that," Rajinikanth, who has
announced that he will enter politics ahead of the next
Assembly polls (2021), said.
On Saturday, Shah had pitched for a common language for
the country and said it is Hindi which is spoken the most
and that it can unite the whole nation.
The home minister had also said efforts would be made
to expand Hindi to different parts of the country and asked
everyone to use their native languages as much as possible.
"India has many languages and every language has its
importance. But it is absolutely necessary that the entire
country should have one language that becomes India's identity
globally," he had said.
The remarks had drawn widespread criticism, especially
in Tamil Nadu, with the BJP's ally, the ruling AIADMK saying
there will be only "adverse reaction" if Hindi is imposed in
the state.
The DMK, whose leader Stalin had dubbed Shah's statement
as "shocking," has announced a state-wide stir on Friday
against Shah's Hindi pitch.
Incidentally, Karnataka Chief Minister and BJP veteran
B S Yediyurappa had asserted Kannada was the principal
language in his state and that its importance would never be
compromised.
While all official languages in the country were equal,
Kannada was the principal language in Karnataka and there will
be no compromise with its importance, he had said.
Rajinikanth's contemporary and Makkal Needhi Maiam
founder-president Kamal Haasan, had warned of a bigger protest
in Tamil Nadu than the pro-jallikattu agitation in 2017
against any attempts of Hindi imposition.
Tamil Nadu was witness to the famous anti-hindi agitation
successfully taken forward by the DMK in the 1960s, against
the alleged imposition of the language.
To a query on erection of banners, an issue which had
hogged limelight following the death of a techie here last
week after one such hoarding fell on her, Rajinikanth said he
had always advised his fans against such a practice.
A 23-year old woman techie riding a two-wheeler had lost
balance and fell down after an illegal hoarding put up by an
AIADMK functionary crashed on her and she was run over by a
water tanker that came behind her.
The incident led to a public outrage, with even the
Madras High Court frowning on illegal banners. PTI SA COR
ROH
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09181335
NNNN
Last Updated : Oct 1, 2019, 1:39 AM IST
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