जैसलमेर : 'प्रवासी वन्य जीवों की प्रजातियों के संरक्षण और संवर्धन' के लिए संयुक्त राष्ट्र का 13वां अधिवेशन भारत की मेजबानी में 17 से 22 फरवरी तक गुजरात के गांधीनगर में आयोजित किया जा रहा है. आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस अधिवेशन का उद्घाटन करेंगे. इसकी शुरूआत 'ग्रेट इंडियन बस्टर्ड' यानी की गोडावण से होगी.
गौरतलब है कि इस सम्मेलन में संकटग्रस्त और विलुप्त हो रहे वन्य प्राणियों के प्रवासी प्रजाति के संरक्षण पर चर्चा होगी. सम्मेलन में जैसलमेर उपवन संरक्षक डीएनपी कपिल चन्द्रावत हिस्सा ले रहे हैं, जो गोडावण के संरक्षण के संबंधित विषयों पर अपने विचार साझा करेंगे. इस अंतरराष्ट्रीय सम्मलेन में खास बात यह है कि भारत इसमें गोडावण के संरक्षण और गोडावण CMS की सूची में शामिल करवाने का प्रयास करेगा, जिससे इसके संरक्षण के लिए और अधिक प्रयास किए जा सकेगें और इसके लिए अन्य देश भी सामने आएंगे.
राजस्थान का राज्यपक्षी गोडावण ...
गोडावण यानी ग्रेट इंडियन बस्टर्ड राजस्थान का राज्य पक्षी है, जिनकी संख्या धीरे-धीरे कम होती जा रही है. गोडावण भारत का सबसे बड़ा पक्षी है. जिसे भारत के शुतुरमुर्ग भी कहा जाता है. सरहदी जिले जैसलमेर के डेजर्ट नेशनल पार्क में राजस्थान के एक मात्र स्थान पर इसका संरक्षण किया जाता है.
इस बार यह होगी थीम...
सीएमएस COP-13 (कॉफ्रेंस ऑफ पार्टीस टू दि कंसरवेशन ऑफ माइग्रेटरी स्पीशीज ऑफ वाइल्ड एनीमल्स) में 15 देशों के मंत्री, 18 राज्यों के वन और पर्यावरण मंत्री समेत कुल 130 देश शामिल होंगे. इसमें देश-विदेश के विशेषज्ञों के अलावा वैज्ञानिकों की मौजूदगी भी देखने को मिलेगी.
CMS COP-13 की थीम माइग्रेटरी स्पीशीज कनेक्ट दि प्लेनेट एंड वी वेल्कल थीम रखा गया है. इस अधिवेशन में जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण के कारण होने वाली समस्याओं समेत विज्ञान के नए तरीकों पर भी चर्चा की जाएगी.
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जैसलमेर के डीएनपी यानि डेजर्ट नेशनल पार्क क्षेत्र में काफी संख्या में गोडावण पक्षी पाया जाता है. इसके संरक्षण के लिए वन विभाग की ओर से हेचरी भी स्थापित की गई है. जहां पर हाल ही में 9 गोडावण के चुजों ने जन्म लिया था. यहां गोडावण के विचरण क्षेत्र और पैटर्न को समझने के लिए भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून के वैज्ञानिकों की मदद से गोडावण को जीपीएस टैग भी लगाए गए थे. ऐसे में गुजरात में हो रहे इस सम्मेलन के बाद राज्य पक्षी गोडावण के संरक्षण के लिए और अधिक प्रयास होने की संभावना बनी हुई है.
क्या है सीएमएस.....
कंसरवेशन ऑफ माइग्रेटरी स्पीशीज (सीएमएस) संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के तहत एक अंतरराष्ट्रीय संधि है. इसे बोन कन्वेंशन के नाम से भी जाना जाता है. सीएमएस का उद्देश्य थलीय, समुद्री और उड़ने वाले अप्रवासी जीव जंतुओं का संरक्षण करना है. इस कन्वेंशन से अप्रवासी वन्यजीवों और उनके प्राकृतिक आवास पर विचार विमर्श के लिए एक वैश्विक प्लेटफार्म तैयार होता है.