तेजपुर : चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश में एक गांव के निर्माण को लेकर विवाद बढ़ता ही जा रहा है. सीमावर्ती राज्य में चीन की कथित आक्रामकता के खिलाफ लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया. लोगों ने प्रदर्शन करते हुए चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का पुतला जलाया और नारेबाजी की. वहीं शनिवार को तवांग में चीन के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करने के लिए विभिन्न स्थानीय संगठनों ने आह्वान किया है.
पहाड़ी राज्य के ऊपरी सुबनसिरी जिले में अरुणाचल प्रदेश में चीन की कथित आक्रामकता के खिलाफ लोगों ने विरोध रैली निकाली. गुरुवार को जिले के टैगिन समुदाय के छात्र संगठन टैगिन यूथ ऑर्गेनाइजेशन ने ऊपरी सुबनसिरी जिले के दिबांग घाटी में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का पुतला जलाया. प्रदर्शनकारियों ने चीनी सरकार और राष्ट्रपति के खिलाफ भी नारेबाजी की.
त्सारी चू नदी के तट पर स्थित यह गांव ऊपरी सुबनसिरी जिले में स्थित है, जो एक ऐसा क्षेत्र है जो भारत और चीन द्वारा लंबे समय से विवादित है और इसे सशस्त्र संघर्ष द्वारा चिह्नित किया गया है. हालांकि, यह क्षेत्र भारतीय क्षेत्र है. आधिकारिक सरकारी नक्शे के अनुसार, यह 1959 से प्रभावी चीनी नियंत्रण में है.
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अरुणाचल प्रदेश के भाजपा सांसद तापिर गाओ ने लोकसभा में भी अपने राज्य के सुबनसिरी जिले में चीनी घुसपैठ की बात की थी. उन्होंने कहा कि चीन वहां एक जल विद्युत परियोजना स्थापित कर रहा है. समाचार एजेंसी से बात करते हुए उन्होंने कहा है कि चीन ने साल 1980 से ही अरुणाचल प्रदेश के कई हिस्सों पर कब्जा कर रखा है, जहां उसने निर्माण के कार्य भी किए हैं. तापिर गाओ का आरोप है कि चीन ने मैकमोहन रेखा के अंदर ही भारत की तरफ स्थित 'बीसा' और 'माजा' के बीच एक हवाई पट्टी का भी निर्माण किया है.
विदेश मंत्रालय ने पहले ताजा चीनी आक्रमण की रिपोर्टों का खंडन किया था. मंत्रालय ने कहा था कि चीन ने केवल अपने देश में सीमा पर एक गांव की स्थापना की है. वह सड़कों का निर्माण कर क्षेत्र में पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहा है.
तेजपुर स्थित रक्षा विभाग के जनसंपर्क अधिकारी लेंफ्टिनेंट हर्षवर्धन पांडेय ने भी चीन के पॉवर प्रोटेक्ट के निर्माण के रिपोर्ट का खंडन किया.