नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि नई शिक्षा नीति का लक्ष्य रोजगार मांगने वालों की जगह रोजगार देने वालों को तैयार करना और देश की शिक्षा प्रणाली के प्रयोजन तथा विषय-वस्तु में परिवर्तन का प्रयास करना है.
चौथे स्मार्ट इंडिया हैकाथन के फिनाले को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि नई शिक्षा नीति-2020 में अंतर-विषय अध्ययन पर जोर दिया गया है, जो यह सुनिश्चित करेगा कि छात्र जो सीखना चाहता है पूरा ध्यान उसी पर हो. इस नीति का लक्ष्य है छात्रों पर से बस्ते का बोझ उतारकर उन्हें जीवन में काम आने योग्य चीजें सीखने के लिए प्रेरित करना.
प्रधानमंत्री ने कहा कि नई शिक्षा नीति का एक बड़ा लक्ष्य सभी तक शिक्षा को पहुंचाना है. इस नीति का लक्ष्य 2035 तक उच्च शिक्षा में औसत दाखिले को 50 प्रतिशत तक बढ़ाना है.
मोदी ने कहा, 'यह सिर्फ एक नीतिगत दस्तावेज नहीं है बल्कि 130 करोड़ से अधिक भारतीयों की आकांक्षाओं का प्रतिबिंब है. आप भी अपने आसपास देखते होंगे, आज भी अनेक बच्चों को लगता है कि उनको एक ऐसे विषय के आधार पर परखा जाता है. जिसमें उनकी दिलचस्पी ही नहीं है... माता-पिता का, रिश्तेदारों का, दोस्तों का दबाव होता है तो वह दूसरों द्वारा चुने गए विषय पढ़ने लगते हैं.'
उन्होंने कहा कि इस प्रवृत्ति ने देश को एक बहुत बड़ी आबादी ऐसी दी है, जो पढ़ी-लिखी तो है, लेकिन जो उसने पढ़ा है उसमें से अधिकतर, उसके काम नहीं आता... डिग्रियों के अंबार के बाद भी वह अपने आप में एक अधूरापन महसूस करती है. नई शिक्षा नीति के माध्यम से इसी रुख को बदलने का प्रयास किया जा रहा है. पहले की कमियों को दूर किया जा रहा है. भारत की शिक्षा व्यवस्था में अब एक व्यवस्थित सुधार, शिक्षा के प्रयोजन और विषय-वस्तु दोनों में परिवर्तन करने का प्रयास है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि नई शिक्षा नीति-2020 हमारे देश के 21वीं सदी के युवाओं की सोच, उनकी जरूरतों, उनकी आशाओं-अपेक्षाओं और आकांक्षाओं को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई है.
उन्होंने कहा, 'एक ही आकार (के कपड़े या जूते) सभी को नहीं आते हैं. एक विषय से तय नहीं होता है कि आप कौन हैं. नए की खोज करने की कोई सीमा नहीं है. तानव इतिहास में ऐसे तमाम उदाहरण है जिन्होंने अलग-अलग क्षेत्रों में बहुत अच्छा किया है. फिर चाहे वह आर्यभट्ट हों या फिर लियोनार्दो दा विंसी, हेलेन केलर या गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर.'
छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि 21वीं सदी ज्ञान का काम है. यह सीखने, अनुसंधान और नवोन्मेष पर ध्यान देने का समय है. भारत की नई शिक्षा नीति, 2020 यही करती है. हम भारत में शिक्षा की गुणवत्ता पर ध्यान दे रहे हैं. हमारा प्रयास अपनी शिक्षा प्रणाली को हमारे छात्रों के लिए सबसे आधुनिक और बेहतर बनाने का है.
मोदी ने कहा नई नीति उस भाव के बारे में है जो दिखाता है कि हम स्कूली बस्तों के बोझ से बाहर निकल रहे हैं, जिनकी स्कूल के बाहर कोई जरुरत नहीं पड़ती, हम सीखने की उस प्रक्रिया की तरफ बढ़ रहे हैं जो जीवन में मददगार हो, सिर्फ रटने की जगह तर्कपूर्ण तरीके से सोचना सीख रहे हैं. गरीबों को बेहतर जीवन देने के लिए जीवन की सुगमता का लक्ष्य हासिल करने में युवा वर्ग की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है.
केन्द्रीय कैबिनेट ने इस सप्ताह की शुरुआत में नई शिक्षा नीति-2020 की घोषणा कर देश की 34 साल पुरानी, 1986 में बनी शिक्षा नीति को बदल दिया. नई नीति का लक्ष्य भारत के स्कूलों और उच्च शिक्षा प्रणाली में इस तरह के सुधार करना है कि हमारा देश दुनिया में ज्ञान का सुपरपॉवर कहलाए.
शिक्षा नीति के तहत पांचवीं कक्षा तक के बच्चों की पढ़ाई उनकी मातृ भाषा या क्षेत्रीय भाषा में होगी, बोर्ड परीक्षाओं के महत्व को इसमें कुछ कम किया गया है, विधि और मेडिकल कॉलेजों के अलावा अन्य सभी विषयों की उच्च शिक्षा के एक एकल नियामक का प्रावधान है, साथ ही विश्वविद्यालयों में दाखिले के लिए समान प्रवेश परीक्षा की बात कही गई है.
पुरानी नीति के 10+2 (दसवीं कक्षा तक, फिर बारहवीं कक्षा तक) के ढांचे में बदलाव करते हुए नई नीति में 5+3+3+4 का ढांचा लागू किया गया है. इसके लिए आयु सीमा क्रमश: 3-8 साल, 8-11 साल, 11-14 साल और 14-18 साल तय की गई है. एम.फिल खत्म कर दिया गया है और निजी तथा सरकारी उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए समान नियम बनाए गए हैं.
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अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'अब शिक्षा नीति में जो बदलाव लाए गए हैं उससे भारत की भाषाएं आगे बढ़ेंगी, उनका और विकास होगा. यह भारत के ज्ञान को तो बढ़ाएंगी ही, भारत की एकता को भी बढ़ाएंगी.'